This is a comprehensive introduction to Ancient Indian History, focused primarily on the prehistoric and early periods leading to the rise of significant civilizations such as the Indus Valley Civilization. Hosted by Aadesh Singh, the video discusses various phases of Indian history, including prehistoric periods characterized by the use of tools made from stone and the gradual evolution of human societies. The presentation covers the transition from nomadic lifestyles to settled agricultural societies, the emergence of urban centers, and the impact of major empires such as the Maurya and Gupta. It emphasizes the importance of archaeological findings in reconstructing the historical narrative and explores significant cultural, social, and political developments in ancient India.
Highlights
- 🎶 Introduction to Ancient Indian History: The video sets the stage for a marathon discussion on ancient Indian history, covering significant periods and cultures.
- 🏺 Prehistoric Periods: It elaborates on the prehistoric era, highlighting the use of stone tools and the lifestyle of early humans as hunters and gatherers.
- 🏛️ Indus Valley Civilization: The discussion includes a detailed exploration of the Indus Valley Civilization, its urban planning, and social structure.
- 📜 Literary Sources: The role of non-literary and literary sources in reconstructing historical narratives is emphasized.
- ⚔️ Major Empires: The video outlines the rise and influence of major empires, including the Maurya and Gupta dynasties, on Indian history.
- 💡 Cultural Developments: It touches on cultural aspects such as religion, philosophy, and the evolution of social structures in ancient India.
- 📚 Archaeological Evidence: The importance of archaeological discoveries in understanding ancient Indian societies is highlighted throughout the video.
Key Insights
🧐 Historical Reconstruction: The study of history involves reconstructing the past through various sources, both written and archaeological. This allows historians to piece together a comprehensive narrative of human development over time. The distinction between non-literary and literary sources is crucial in this process, as it highlights different methodologies in understanding ancient societies.
🌍 Transition from Prehistoric to Historic: The shift from a hunter-gatherer lifestyle to settled agricultural practices marks a significant transformation in human society. This transition not only impacted the social structure but also led to the emergence of urban centers, which were critical in the development of complex societies.
🏙️ Indus Valley Civilization’s Significance: The Indus Valley Civilization, often considered one of the world’s earliest urban civilizations, is a focal point in ancient Indian history. Its advanced urban planning, drainage systems, and trade networks showcase the sophistication of early Indian societies and their ability to manage resources efficiently.
🏆 Cultural and Religious Developments: The rise of significant religious and philosophical movements, including Jainism and Buddhism, during the later periods of ancient India had a profound impact on societal structure and cultural practices. These movements challenged existing norms and provided alternative perspectives on spirituality and ethics, contributing to a rich cultural tapestry.
📈 Economic Practices: The development of trade networks and agricultural practices facilitated economic growth and the establishment of powerful states. The interplay between agriculture, trade, and political power is a recurring theme in the history of ancient India, demonstrating how economic factors influenced societal changes.
🛠️ Technological Advancements: The evolution of tool-making techniques and the adoption of metals marked significant technological advancements in ancient Indian societies. This progress not only improved agricultural productivity but also enhanced the capacity for trade and warfare, shaping the geopolitical landscape of the time.
🔍 Archaeological Evidence and Its Impact: Archaeological discoveries are essential for understanding ancient civilizations. They provide tangible evidence of past human activities, social structures, and cultural practices, allowing historians to form a more accurate picture of ancient life. The importance of ongoing archaeological work in revealing new insights into India’s past cannot be overstated.
Overall, the video serves as an informative introduction to the complexities of ancient Indian history, emphasizing the interconnectedness of various societal elements—economic, political, cultural, and technological—that shaped the early stages of civilization in the Indian subcontinent.
हिस्ट्री यानी की इतिहास एक ग्रीक शब्द हिस्टोरिया से बना है जिसका मीनिंग है इंक्वारी इन्वेस्टिगेशन या पेस्ट नॉलेज हम सभी जानते हैं की अतीत का अध्ययन पिछली घटनाओं के साथ साथ इन घटनाओं से जुड़े खोज संग्रह और व्याख्या से संबंधित होता है और इसी करण हिस्ट्री के रिकंस्ट्रक्शन में हिस्टोरिकल सोर्सेस की एक हम भूमिका होती है इन सोर्सेस को दो भागन में विभाजित किया जा सकता है पहले नॉन लिटरेरी सोर्सेस और दूसरा लिटरेरी सोर्सेस में कोइंस इनस्क्रिप्शंस मॉन्यूमेंट्स और आर्कियोलॉजिकल रीमेंस शामिल होते हैं हिस्टोरियन के अनुसार पेस्ट की स्टडी को
परी हिस्ट्री प्रोटो हिस्ट्री और हिस्ट्री में विभाजित किया गया है फ्री हिस्ट्री इतिहास की उसे हिस से जुड़ा है जब राइटिंग यानी की लेखन का आविष्कार नहीं हुआ था इस दूर का उपलब्ध ज्ञान कुछ और चा लॉजिकल एविडेंस पर आधारित है जैसे की उसे समय की पोती आर्टी फैक्ट्स स्टोन टूल्स और मेटल इंप्लीमेंट्स जो कई परी हिस्टोरिक साइट से प्राप्त हुए हैं वहीं दूसरी तरफ आर्कियोलॉजिकल सोर्सेस के साथ-साथ रिटन एविडेंस का युग हिस्ट्री का निर्माण करता है इसके अलावा परी हिस्ट्री और हिस्ट्री के बीच के दूर को प्रोटो हिस्ट्री के रूप में जाना जाता है ये उसे
टाइम पीरियड को इंडिकेट करता है जिसके रिटर्न रिकॉर्ड्स तो अवेलेबल हैं लेकिन उनकी स्क्रिप्ट दिसावर ना होने के करण हिस्टोरियन उसे इनफॉरमेशन को डिकोड नहीं कर पे हैं आज हम इंडिया के परी हिस्टोरिक पीरियड के बड़े में विस्तार से चर्चा करेंगे इसमें लगभग 20000 ई से लेकर 350 तो 2500 ई तक का टाइम पीरियड आता है माना जाता है की इस प्रारंभिक कल में भारतीय मानवरिटोरिस के थे और हंटिंग गैदरिंग जैसी एक्टिविटीज के जारी अपना जीवन यापन करते थे फ्री हिस्टोरिक आगे में डिफरेंट फेस में धीरे-धीरे मानव सेटल लाइफ की तरफ आगे
बढ़ता है तो आई विस्तार से समझते हैं ह्यूमन हिस्ट्री की इस फाउंडेशन आगे को फ्री हिस्टोरिक पीरियड इंडिया में परी हिस्ट्री एविडेंस मिले हैं जिम पत्थर के औजार यानी की स्टोन टूल्स सबसे ज्यादा मंत्र में पे गए हैं यह संभावना है की लोगों ने पत्थर लकड़ी और हड्डी के टूल्स और वेपंस बनाए और उनका इस्तेमाल जिम से स्टोन टूल्स सबसे अच्छे रूप में आज तक संरक्षित हैं इसीलिए इस कल को लिधिकेज या स्टोन आगे कहा जाता है जियोलॉजिकल आगे स्टोन टूल्स के टाइप्स और प्रीहिस्टोरिक लोगों के लाइफस्टाइल के आधार पर स्टोन आगे को मुख्य रूप से तीन
प्रकार में वर्गीकृत किया गया है पहले पीलायलतिक आगे यानी ओल्ड स्टोन आगे दूसरा मेजर लिधिकेज यानी मिडिल स्टोन आगे और तीसरा नेउलिथिक यानी न्यू स्टोन आगे आई इस दूर को विस्तार से समझते हैं जो की 30 हंड्रेड थाउजेंड पी सी से 10000 ई के बीच मनी जाति है जिसका अर्थ है पुराना और लिथोस जिसका अर्थ है स्टोन और इस तरह यह नाम स्टोन टूल्स के महत्व को दर्शाता है पिलॉयलिथिक पीरियड की यह लंबी अवधि मानव इतिहास की 99% हिस को कर करती है भारत में पिलॉयलिथिक पीरियड के सबसे पहले आर्कियोलॉजिकल एविडेंस की डिस्कवरी का श्री ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया के
जियोलॉजिस्ट रॉबर्ट ड्रग्स फूड को दिया जाता है उन्होंने 1863 में तमिलनाडु राज्य के पल्लवपुरम जिला में पल्लवरम हैंडबैग की खोज की थी इसी करण उन्हें फादर ऑफ परी हिस्टोरिक आर्कायोलॉजी भी कहा जाता है दोस्तों प्राचीन लोगों के द्वारा उपयोग किया जान वाले स्टोन टूल्स और क्लाइमेट के डिफरेंस के आधार पर इस युग को तीन फेस में बंता गया है इसमें पहले फैज है लोअर लिधिकेज जो 300000 ई से 100 थाउजेंड ई तक के पीरियड को कर करता है यह दूर आईसीजे का था और इस दूर का मानव मुख्य रूप से हंटर और गदर था खोजकर्ताओं के अनुसार उसे समय
ह्यूमंस बिना पॉलिश किया हुए रफ और हैवी स्टोन रूल्स जैसे की हैंड चांसेस चॉपर्स और क्लीवर्स का इस्तेमाल का भी प्रयोग किया जाता था महाराष्ट्र राज्य का एक छोटा सा शहर बोरी ओल्डेस्ट लोअर पिलॉयलिथिक साइट्स में से एक है इसके अलावा कश्मीर वाली राजस्थान के डीडवाना डेजर्ट एरिया और थार डेजर्ट में भी अनेक स्थल मिले हैं क्योंकि इस युग में स्टोन के टूल्स महत्वपूर्ण थे इसीलिए लोगों ने ऐसी जगह को खोजना की कोशिश की जहां अच्छी क्वालिटी के स्टोन आसानी से उपलब्ध हो ऐसी साइट पर प्राचीन लोग स्टोन टूल्स बनाते थे और उन्हें स्थान को फैक्ट्री सीड्स के रूप
में जाना जाता था इनमें केव्स और शेल्टर भी शामिल हैं जहां लोग लंबे समय तक आश्रय भी लिया करते थे इन्हें हैबिटेशन काम फैक्ट्री साइट्स कहा जान लगा लोगों ने नेचुरल केव्स को इसलिए चुनाव क्योंकि यह बारिश गर्मी और तेज हवा से उन्हें बचाने की जगह प्रधान करती थी विंध्यास और डेक्कन प्लाटों में नेचुरल केव्स और शेल्टर पे जाते हैं यह रॉक शेल्टर नर्मदा घाटी के पास है मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका केव्स और रॉक शेल्टर इन्हीं सीड्स का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है इस दूर के विभिन्न प्रकार के स्टोन टूल्स उत्तर प्रदेश की बेलन घाटी में भी पे गए
हैं जो विंध्यास फुटहिल्स में स्थित है इसके साथ ही आंध्र प्रदेश के नागार्जुन कंडोम में भी लोअर पसलियां लिटिक आगे के साक्ष्य मिलते हैं इस दूर की अन्य मुख्य साइट्स में गुजरात का सौराष्ट्र रीजन डेक्कन प्लेटो और छुट्टन नागपुर शामिल है अब बात करते हैं दूसरे फैज यानी मिडिल पोलियोलिथिक आगे की जो 10000 ई से 40000 ई के बीच का कल था दोस्तों मिडिल पोलियोलिथिक आगे में ह्यूमंस ने शॉप और पॉइंटेड टूल्स जैसे फ्लेक्स ब्लैड्स और प्वाइंटर्स बनाना शुरू किया था वे छोटे एनिमल्स को करने के लिए और मीत कटिंग के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल करते थे लोअर
पालोोलिथिक आगे की तुलना में इस दूर के टूल्स छोटे हल्के और पतले थे इस युग के अवशेष नर्मदा नदी के किनारे कई स्थान पर और तुंगभद्र नदी के दक्षिण में भी कई स्थान पर पे जाते हैं इसके अलावा राजस्थान की लूणी वाली अप की बेलन वाली और एमपी की भीमबेटका केव्स भी इस दूर के मुख्य स्थलों में शामिल हैं तीसरा फीस है अपार जो 40000 ई से 10000 ई तक का पीरियड था दोस्तों अगर पिलॉयलिथिक आगे की आगे के लास्ट फैज के साथ कोई इनसाइड करता था जब क्लाइमेट तुलनात्मक रूप से वार्मर और ह्यूमिडिटी काम हो चुकी थी इस दूर को आधुनिक लोगों की उपस्थित का प्रतीक माना
जाता है इस आगे के साथ ही मॉडर्न ह्यूमन बीइंग स्पीशीज यानी की होमो सेपियंस का उद्धव हुआ था इस समय के स्टोन टूल्स में टेक्नोलॉजी का एडवांसमेंट देखने को मिलते हैं नीडल्स फिशिंग टूल्स पैरेलल साइड ब्लैड्स और बोरिंग टूल्स जैसे उपकरणों का आविष्कार इस दूर में हुआ इंडिया में ब्लैड्स और आंध्र प्रदेश कर्नाटक महाराष्ट्र एमपी सदन अप झारखंड और आसपास के क्षेत्र में पे गए गुजरात सेंड ड्यून्स के अपार लेवल्स में भी ब्लैड्स स्क्रैपर्स और फ्लिक्स जैसे टूल्स पे गए हैं इसके साथ ही बोन टूल्स अपनी विशेषता केवल आंध्र प्रदेश की कुरनूल
और मुख्यतला चिंतामणि गावी के वेबसाइट पर पे गए हैं तो अभी तक हमने पिलॉयलिथिक आगे को समझा लगभग 12000 ई से लेकर 10000 ई तक की अवधि में क्लाइमेट चेंज के साक्षी पे जाते हैं इस समय के साथ ही मजॉलिथिक आगे की शुरुआत हुई थी तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के करण की मेल्टिंग और फ्लोर फौना में कई बदलाव हुए और इसी के साथ ह्यूमंस की जीवन शैली और उपयोग में किया जान वाले टूल्स में भी एडवांसमेंट देखने को मिले आई एक नजर डालते हैं मेसोलिथिक आगे की विशेषताओं पर मेसोलिथिक आगे 10000 ई 26000 ई मेसोलिथिक शब्द दो ग्रीक शब्द मीसो और
लिथोसी लिया उसका अर्थ स्टोन होता है ये तो हमने पहले ही समझ लिया है मीसो का अर्थ होता है मिडिल इसीलिए परी हिस्ट्री को मिडिल स्टोन आगे के रूप में भी जाना जाता है मेसोलीथीकल्चर पिलॉयलिथिक की तुलना में अधिक मॉडल और डाइवर्सिटी के लिए जाना जाता है गंगा प्लांस में फर्स्ट ह्यूमन कॉलोनाइजेशन इसी अवधि के दौरान हुआ था इस युग के टूल्स में माइक्रो लिप्स सबसे प्रमुख उपकरण थे माइक्रो लिप्स एक प्रकार के मिनिएचर स्टोन टूल्स थे जो आमतौर पर क्रिप्टो क्रिस्टलाइन से लेकर या चोट जैसे फाइनली ग्रीन रॉक से बने होते थे इन
माइक्रो लिप्स का इस्तेमाल ह्यूमन छोटे जानवरों और पक्षियों का शिकार करने के लिए किया करते थे इसके अलावा इनका कंपोजिट टूल्स बनाने के लिए उपयोग होता था इन कंपोजिट टूल्स का प्लांट गैदरिंग हार्वेस्टिंग ग्रीटिंग इत्यादि जैसे काम के लिए इस्तेमाल किया जाता था उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला के रॉक शेल्टर में माइक्रो लीड्स और अन्य मेसोलिथिक टूल्स की सबसे पहले खोज की गई थी इसके अलावा राजस्थान का बागोर क्षेत्र सबसे बड़ी डाक्यूमेंट्री मेजरलिथिक साइट्स में से एक है बैग और कोठारी नदी पर स्थित है जहां खुदाई में माइक्रो लीड्स के साथ
एनिमल बोनस और शव भी प्राप्त हुए इसके साथ ही ये माइक्रो लिप्स ताप्ती साबरमती नर्मदा और माही नदी की कुछ घाटियों में भी पे गए हैं जैसा की हमने पहले देखा की मजो लिटिक युग का आरंभ क्लाइमेट चेंज के साथ हुआ था तापमान की वृद्धि के करण कई क्षेत्र में ग्रेसलैंड्स का विकास होने लगा जिसके परिणाम स्वरूप डियर एंटीलॉप गो शिव और कैटल यानी की घास पर जीवित रहने वाले जानवरों की संख्या में वृद्धि हुई जहां अभी तक ह्यूमंस हंटर गदर के रूप में जीवन बीता रहे थे अब वह एनिमल डॉमेस्टिकेशन उनके फूड हैबिट्स और ब्रीडिंग सीजंस के बड़े में सीखने लगे
मध्य प्रदेश के आजमगढ़ में एनिमल डॉमेस्टिकेशन का सबसे पुराना साक्ष्य मिलता है डॉमेस्टिकेटेड एनिमल्स में पहले वाइल्ड डॉग था इसके अलावा शिव और गोट सबसे आम पालतू जानवर हुआ करते थे मेसोलिथिक ह्यूमंस ने जानवरों की खाल के बने कपड़े भी पहनना शुरू कर दिया था इसके साथ-साथ मेसोलिथिक आगे बूथ और था जब सबकॉन्टिनेंट के विभिन्न भागन में वीट बाली और राइस सहित कई और अनाज प्राकृतिक रूप से उगने लगे थे इसके अलावा मेसोलिथिक लोग 8 लवर्स भी थे और उन्होंने रॉक पेंटिंग्स की शुरुआत की इन पेंटिंग्स की थीम्स ज्यादातर वाइल्ड एनिमल्स हंटिंग
डांसिंग जैसी एक्टिविटीज को डिपिक्ट करती है पूरे इंडिया में लगभग 150 मजोलीथिक रॉक आर्ट साइड शामिल थी रोग के विपरीत इस युग के लोग मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास करते थे और इसीलिए उन्होंने ह्यूमन और एनिमल डेड बॉडीज को फूड आइटम्स और दूसरे वस्तुओं के साथ दफनाने का रिचुअल शुरू किया था गुजरात में स्थित लिंगराज और वेस्ट बंगाल में स्थित बुरहानपुर भी महत्वपूर्ण मेजर्लीटिक्स साइट्स में शामिल हैं इनसाइड से वाइल्ड एनिमल्स जैसे की राइनोसेरॉस और ब्लैकबर्ग की बोनस और ह्यूमंस स्केलेटन के साथ बड़ी संख्या में माइक्रो लीड्स बरामद किया गए हैं दोस्तों
मेजॉलीथिक कल के बाद 6000 ई से 1000 ई तक का दूर स्टोन आगे के लास्ट फैज नेउलिथिक आगे के रूप में जाना जाता है आई न्यू लिटिल पीरियड की विशेषताओं पर नजर डालते हैं न्यू लिधिकेज 6000 ई 21000 ई नेउलिथिक शब्द ग्रीक शब्द नियॉन से लिया इस प्रकार नेउलिथिक युग न्यू स्टोरेज को रेफर करता है प्रसिद्ध गार्डन चाइल्ड ने अपनी किताब मां में एक सिम सेल्फ में लिखा है की नेउलिथिक युग ने मनुष्य के जीवन में क्रांति लड़ी उनके द्वारा इस क्रांति को नेउलिथिक रिवॉल्यूशन का नाम दिया गया जी प्रकार हमने देखा की बेलिओलीथिक आगे में ह्यूमंस पुरी तरह से
नेचर पर डिपेंडेंट और हंटर गदर थे और मेजर लिटिक आगे में ह्यूमंस द्वारा एनिमल डॉमेस्टिकेशन शुरू हुआ परिवर्तन और आधुनिकता की श्रृंखला में नेउलिथिक आगे में मानव फूड गठेरे से फूड प्रोड्यूसर बन गए नेउलिथिक पीरियड अपनी एग्रीकल्चर की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है अप के अलावा के पास स्थित और महगरा भारत ही नहीं बल्कि पुरी दुनिया में राइस कल पोजीशन का सबसे पुराना प्रमाण प्रधान करते हैं ओल्ड स्टोन आगे के विपरीत इस कल में लोग पॉलिश्ड स्टोन टूल्स और एक्सिस का उपयोग करने के क्रूड फ्लेक्स स्टोन की तुलना में अधिक
रिफाइंड दिखाई देते हैं इसके साथ ही वह बोन से बनी टूल्स भी इस्तेमाल करते थे जैसे नीडल्स स्क्रैपर्स बोस अरा हेडसेट नए पॉलिश टूल्स के उपयोग से ह्यूमंस के लिए खेती शिकार और अन्य केमोन को बेहतर तरीके से करना आसन हो गया बिहार के चिराग साइड से बूंद से बने वेपंस प्राप्त हुए हैं अगर हम एग्रीकल्चर की बात करें तो नेउलिथिक आगे के लोग फलों के साथ रागी कॉटन राइस वीट बार्ली और हॉर्स ग्राम गो करते थे इसके साथ ही डॉमेस्टिकेटेड एनिमल्स में कैटलशिप और गुड शामिल थे कश्मीर के मुरझा होम साइट की एक बार डॉमेस्टिकेशन का पर प्रधान करती है एग्रो
पेस्टोरल सोसाइटी के अन्य प्रमाण कर्नाटक मस्की और ब्रह्म गिरी साइड से प्राप्त हुए हैं पौधों और जानवरों को पालतू बनाने की शुरुआत से बड़ी मंत्र में फूड ग्रेस और एनिमल फूड का प्रोडक्शन होने लगा था और प्रोड्यूस किया गए इनपुट ग्रेस और कुक फूड को स्टोर करने के लिए मिट्टी के बर्तन यानी की पॉटरी मेकिंग की शुरुआत हुई और इस प्रकार मिट्टी के बर्तन पहले बार नेउलिथिक आगे में दिखाई दिए इसी कल की पोती को ग्रेवी ब्लैक बर्निश्ड वेयर और मत इंप्रेस्ड वीर के तहत क्लासीफाइड किया गया था इनिशियल स्टेज में हैंडमेड पॉटरी बनाए गए
थे लेकिन बाद में फुट व्हील्स का इन्वेंशन हुआ यह लोग कॉटन और वूल के कपड़े बनाना भी सिख चुके थे कॉटन का ओल्डेस्ट एविडेंस मेहरगढ़ साइट से प्राप्त हुआ जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है न्यू लिटिक युग के लोग मिट्टी के बने रैक्टेंगुलर और सर्कुलर हाउसेस में रहते थे और इस प्रकार फर्स्ट सेटल्ड सोसाइटी और अर्लीस्ट इंडियन विलेज की नीव नेउलिथिक आगे में राखी गई थी इसके साथ ही कश्मीर वाली में पित्त द्वेलिंग के साक्षी भी मिले हैं जो यह बताते हैं की यहां नेउलिथिक लोग पिट्स में रहते थे हालांकि इस कल में भी लोग पहाड़ी
क्षेत्र और रिवर वाली से अधिक दूर नहीं रहते थे क्योंकि वे तब भी पुरी तरह स्टोन टूल्स और वेपंस पर निर्भर थे इसके साथ ही एग्रीकल्चर पोटरी और एनिमल डॉमेस्टिकेशन के लिए नेचर से उन्हें नेचुरल रिसोर्सेस मिलते थे नेउलिथिक आगे के अंत के साथ स्टोन आगे का भी अंत हुआ और इसी दौरान कई संस्कृतियों ने धातु यानी की मेटल का उपयोग करना शुरू कर दिया ज्यादातर ये मेटल कॉपर और लो ग्रेट ब्रोंज थे मेटल के उपयोग पर आधारित इस संस्कृति को चल को लिटिक यानी की कॉपरस्टोन फ्रिज के रूप में जाना जान लगा आई जानते हैं इसके बड़े में चल को लिधिकेज
2000 ई 2500 ई ये कलर मुख्य रूप से परी हड़प्पा फैज में अच्छी गई थी जहां एनिमल रियरिंग और और सेटलमेंट होने लगे थे लेकिन कई स्थान पर यह पोस्ट हड़पन फेस तक भी फैली हुई थी केज और हड़प्पा आगे के बीच ट्रांजिशन पीरियड को रिप्रेजेंट करता है जी पर हड़प्पा सिविलाइजेशन की ग्रैजुएल इवोल्यूशन को समझा जा सकता है इस युग में कॉपर का उपयोग जैसे टूल्स बनाए जाते थे इस दूर के घर स्टोंस और मड ब्रेक से बनाए गए थे और अभी तक लोग बर्नी ब्रिक से परिचित नहीं थे हालांकि राजस्थान में स्थित गिलुंड साइट एकमात्र स्थान है जहां से बेस्ट ब्रिक्स
के कुछ अवशेष मिले हैं चल को लिटिक सोसाइटी की संस्कृति शहरी नहीं थी और इन्हें एक विलेज सोसाइटी माना जाता है इस युग के साथ सोशल इनिक्वालिटीज की भी शुरुआत हुई जहां एक तरफ विलेज के रैक्टेंगुलर शेप्ड घरों में रहते थे वहीं आम जनता छोटे राउंड हैट्स में रहती थी घरों के अलावा इस युग के बैरियर्स भी विभिन्न प्रकार के होते थे जिसमें सिंगल बैरल से लेकर स्मॉल बॉक्स शेप्ड बैरियर्स और रॉकेट टॉन्ब भी शामिल थे लोग डेड बॉडीज को पोर्ट्स और कॉपर ऑब्जेक्ट्स के साथ अपने घरों के फर्श पर नॉर्थ साउथ डायरेक्शन में दफनाया करते थे वेस्ट
महाराष्ट्र में पे गए बैरियर्स में काफी बड़ी संख्या में छोटे बच्चों को दफनाने के एविडेंस मिले हैं जो यह स्पष्ट करते हैं की नेउलिथिक आगे में इन्फेंट मोर्टालिटी रेट काफी अधिक थी इस दूर में आर्ट और क्राफ्ट में वृद्धि हुई जिसमें कॉपर मिर्च और स्टोन वर्कर्स भी शामिल थे उन्हें स्पिनिंग वीविंग और क्लॉथ मैन्युफैक्चरिंग भी आई थी हालांकि अब तक वो लिखने की कल नहीं जानते थे चल को लिटिक कल की मुख्य पहचान पॉलीक्रोम पेंटेड पोटरी है ब्लैक और रेड पॉटरी उसे युग में काफी प्रचलित थी उनका कलर्ड पोटरी भी बहुत लोग का प्रिया थी
साक्षी राजस्थान पंजाब हरियाणा और वेस्टर्न अप के क्षेत्र में पे गए हैं इसके साथ ही लोग ओन्नामेंट्स के भी शौकीन थे इस युग की महिलाएं शैली और बोनस के बने आभूषण पहनतियों की माला का भी निर्माण करते थे चारकोल अनेक संस्कृतियों के लिए जाना जाता है इन संस्कृतियों का नामकरण उनकी ज्योग्राफिकल लोकेशन के आधार पर किया गया है जैसे साउथ पूर्वी राजस्थान में स्थित आहार या बनास कलर जो बनारस घाटी के नाम से लिया गया है जिसमें इस संस्कृति के अधिकांश साइट्स लोकेटेड हैं यह भारत में सबसे पुरानी चल को लिटिक कलर्स में से एक
है इस कलर के मेजर एक्स के वांटेड सीड्स उदयपुर भीलवाड़ा और राजसमंद जिला में स्थित है यहां से स्टोन ब्लड और राइस कल्टीवेशन के प्रमाण मिले हैं इसके साथ ही रिच सिरामिक ट्रेडीशन के भी साक्ष्य मिलते हैं मेजर कलर में अगला नाम एमपी के उज्जैन में स्थित ते था कलर का है यह चंबल नदी की ट्रिब्यूटरी काली सिंह के तट पर स्थित है इसके अलावा सेंट्रल इंडिया का सबसे प्रमुख चल को लिटिक कलर मालवा कलर है जो नर्मदा नदी के तट पर पूरे मालवा रीजन में फैला हुआ है यहां से ज्वार राइस लेगम्स जैसे फूड ग्रेस के साथ टेराकोटर से बनी वुल्फ फिगराइंस भी
प्राप्त हुए वेस्टर्न महाराष्ट्र का जोर वे कलर प्रवरा नदी के तट पर स्थित है अहमदनगर का दैमाबाद क्षेत्र जोर कलर का एक प्रमुख स्थल है यहां ब्रोंज के बने एलीफेंट राइनोसेरॉस तू व्हील्स चेरियट जैसे ऑब्जेक्ट्स प्राप्त हुए अन्य प्रमुख साइट्स में बिहार का चिराग एमपी का नेवाडा गुजरात कर रंगपुर और महाराष्ट्र का इमाम गांव और नासिक शामिल है इस प्रकार कल मिलकर भारत में दाल कोलिथिक साइट्स रीजनल डाइवर्सिटी को दर्शाते हैं अभी तक हमने स्टोन आगे के अलग-अलग फेस के बड़े में जाना इन सभी पीरियड्स में जो बात आम थी वो है स्टोन और
टूल्स यानी की स्टोन का इस्तेमाल टूल्स या फिर वेपन बनाने के लिए किया जाता था लेकिन 1000 ई के आसपास भारत में एक और पीरियड इमेज हुआ जहां स्टोंस का इस्तेमाल टूल्स के अलावा बैरियर्स और मेमोरियल यानी की कब्र और स्मारक बनाने के लिए किया जाता था और इस फेस को कहते हैं मेगालिथिक पीरियड आई देखते हैं इसको थोड़े विस्तार से मेगालिथिक पीरियड 12500 ई मेघा लेट का शाब्दिक अर्थ बिग स्टोंस होता है और इस कलर में एक सिंगल बड़े स्टोन का उपयोग कर बेरियल्स या मेमोरियल का निर्माण किया जाता था इन मेघालिथिक स्ट्रक्चर्स को दो श्रेणियां
में विभाजित किया जा सकता है एक पॉलिटिक टाइप और दूसरा मोनोलिथिक टाइप पॉलिलिथिक स्ट्रक्चर को बनाने के लिए एक से अधिक स्टोंस का उपयोग किया जाता था और मोनोलिथिक स्ट्रक्चर में सिर्फ एक ही स्टोन से इस्तेमाल होता था हालांकि ये स्ट्रक्चर्स भारत में कई जगह पर पे गए हैं लेकिन मेघाल एथिक कलर विशेष रूप से साउदर्न इंडिया की विशेषता है साउथ इंडिया में बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के मेघाली थे ग्रेव्स और मेमोरियल पे गए हैं जिम कर्नाटक के मास की और गुलबर्गा क्षेत्र में मां हर मेघालिथिक मैटेरियल्स आंध्र प्रदेश और केरला के फुडस्टोन
मेमोरियल केरला का अंब्रेला स्टोन ग्रेव शामिल है इसके अलावा कर्नाटक के सामग्री और तमिलनाडु के जंगल पट्टू में डोलमेन शेव्ड टॉम और कोचीन के रॉकेट केव मेमोरियल पे गए हैं नॉर्टन इंडिया में ऐसे मैगंस कश्मीर के वास्तव और ब्रा और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के बांदा इलाहाबाद मिर्जापुर और वाराणसी डिस्ट्रिक्ट में पे गए हैं इसके अलावा महाराष्ट्र में अधिकांश स्मारक विदर्भ रीजन में पे गए हैं खोजकर्ताओं को इन सभी बैरियर्स में कुछ आम फीचर्स मिले आमतौर पर डेड बॉडीज के साथ रेड और ब्लैक हुए एयरपोर्ट्स को दफनाया जाता था इसके
अलावा आयरन के बने टूल्स वेपंस और स्टोन और गोल्ड के आर्नामेंट्स भी मिले इसके साथ ही कुछ बैरियर्स के स्केलेटन के साथ हॉर्स और हॉर्स इक्विपमेंट मिले तो कभी डोमेस्टिक एनिमल्स जैसे की बफेलो शिव और गोट उदाहरण स्वरूप कर्नाटक के ब्रह्म गिरी साइट में स्केलेटन के साथ 33 गोल्ड बिट्स तू स्टोन वहीं दूसरी और निकॉन साइड से सिर्फ कुछ पार्ट्स मिले स्केलेटन के साथ मिली यह वस्तुएं संभवत उन्हें डेड परसों से जुड़ी रही होगी इन खोजो से पता चला है की दफनाने वाले लोगों के बीच सोशल स्टेटस का अंतर था कुछ अमीर थे तो कुछ गरीब कुछ मुखिया थे तो कुछ लोग
इस युग में हाय क्वालिटी रेड और ब्लैक पॉटरी का उपयोग इसकी खास विशेषता है यह ध्यान देना काफी इंटरेस्टिंग है की नॉर्थ और साउथ दोनों ही रीजंस में मेगालिथिक बैरियर्स के साथ ब्लैक और रेड पॉटरी मिले इन बोट्रीज में कुछ रीजनल वेरिएशंस भी जरूर दिखे लेकिन इन्हें बनाने की तकनीक उसकी साज सजा में कोई बड़ा अंतर नहीं था इसके अलावा ऑब्जेक्ट्स की खोज से ये पता चला है की यह कल्चरल पीरियड आयरन 8 से जुड़ा हुआ होगा आर्कियोलॉजिकल एविडेंस के हिसाब से इंडिया में आयरन का इस्तेमाल 1000 ई से 500 ई के बीच विस्तृत रूप से होने लगा था जहां एक
और इस दूर में आयन टूल्स और वेपंस आम हो गए थे वहीं इसके साथ-साथ डेटेड लिटरेचर भी लिखा जान लगा था इस प्रकार मेघालिथिक पीरियड आयरन आगे की उसे अवधि को मार्क करता है जहां परी हिस्ट्री की समाप्ति और हिस्ट्री की शुरुआत का एक ट्रांजिशन फैज देखने को मिलता है कंक्लुजन दोस्तों भारत के परी हिस्टोरिक आगे में स्टोन आगे कॉरपोरेट और आयरन आगे तीनों शामिल थे फ्री हिस्टोरिक इंडिया ने की आगे के साथ साथ होमो सेपियंस के उद्धव को भी देखा इस चर्चा को कनक्लूड करते हुए हम यह का सकते हैं की प्रीहिस्टोरिकल्चर ह्यूमन इवोल्यूशन और डेवलपमेंट के
ग्रैजुएल और फंडामेंटल फैज को रेफर करती है हिस्टोरिक पीरियड यानी हड़प्पा सिविलाइजेशन की नीव पढ़ने लगी थी जिसे हम आगे आने वाले वीडियो लेक्चरर्स में देखेंगे सिंधु वाली सिविल जन हिस्ट्री और ज्योग्राफी दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं सिंधु वाली सिविलाइजेशन की जो भारत के इतिहास का सबसे पुराना और दुनिया में सबसे पुराने अर्बन सिविलाइजेशन में से सिंधु वाली सिविलाइजेशन यानी आईबीसी आज से लगभग 4500 सालों पहले 2600 ई ए में एक अर्बन सिविलाइजेशन की तरह एक्जिस्टेंस में आया और जब दुनिया भर में बरबरिज्म का दूर था तब सिंधु वाली सभ्यता
के पैमानों को सेट कर रही थी सिंधु वाली सिविलाइजेशन के बड़े में जानकारी मिलन हमारे इतिहास का वो पहलू है जिसने कॉलोनियलिज्म जैसे सिस्टम के कल्चरल को चैलेंज करने में भी हेल्प किया था जिसके पास गर्व करने जैसा कुछ नहीं इससे जन्म व्हाइट मांस बर्डन नाम के आइडिया का जिसके बेसिस पर ब्रिटिश अपने 200 साल लंबे रूल को मुरली जस्टिफाई करते रहे यहां तक की फेमस इंग्लिश फिलॉस्फर जस मिल जो डेमोक्रेसी और फ्रीडम के बड़े सपोर्टर थे उन्होंने भी ब्रिटिश कॉलोनियलिज्म को जस्टिफाई करते हुए टोलरेंट इंपिरियलिज्म को प्रमोट किया और
क्लेम किया की ब्रिटिशर्स इंडिया में हमारी भलाई और हामी सेबिलाइज करने के लिए आए थे लेकिन वेस्ट का ये घमंड तब टूटने लगा जब सिकंदर कनिंघम ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी असी ने 19th सेंचुरी में कई मेजर आर्कियोलॉजिकल एक्सकैवेशंस किया जिसमें सारनाथ सांची स्तूप और महाबोधि टेंपल जैसे ब्रिलियंट असिएंट आर्किटेक्चर इन वर्ल्ड थे लेकिन इनमें सबसे जबरदस्त डिस्कवरी 1921 में इंडियन हूलॉजिस्ट दयाराम सनी ने की जब उन्होंने हड़प्पा का एक्स वैक्सीनेशन किया इस डिस्कवरी ने दुनिया भर के इतिहासकारों को हैरान करके रख दिया
क्योंकि ये अपने समय में वेल प्लांट ऑर्गेनाइजेशन का एक ऐसा अनोखा नमूना था जो हमें आज भी इंस्पायर करता है इस डिस्कवरी ने ब्रिटिश का मिठू बर्स्ट करते हुए ये बताया की जब यूरोप बरबरिज्म से जूझ रहा था तब इंडिया में एक अर्बन सिविलाइजेशन हर रोज नई ऊंचाइयां ऊ रहा था यह कहानी इस सिंधु वाली सिविलाइजेशन की है जिसने भारतीयों को खुद के इतिहास पर गर्व करने का एक मौका दिया और दुनिया को यह बताया की सभ्यता पर वेस्ट की मोनोपोली नहीं हो शक्ति तो आई पहले हम सिंधु वाली के कुछ मेजर फीचर्स को समझ लेते हैं जो हमें यहां के बाकी पहलुओं को जन में
मददगार होंगे बेसिक फीचर्स दोस्तों सिंधु वाली सिविलाइजेशन टाइटल पहले बार जॉन मार्शल ने उसे किया लेकिन इसे हड़प्पा सिविलाइजेशन भी बोला जाता है और आईवीसी एशिया के तीन और मेजर सिविलाइजेशन मेसोपोटामिया एशिया इजिप्ट और चीन का समकालीन था और सिंधु वाली के मेसोपोटामिया के साथ ट्रेड रिलेशंस के एविडेंस भी हैं सिंधु वाली की सिटीज एग्रीकल्चर पर बेस्ड अर्बन टोंस थे पर यहां की इकोनामी मर्केंटाइलिज्म पर भी बेस्ड थी जहां से मैसिव एक्सपोर्ट्स सी और लैंड रूट दोनों से होते थे इस कॉन्टेक्स्ट में अब हम सिंधु वाली के एक्सकैवेशंस के
इतिहास को ब्रीफली समझेंगे एक्ससविजन इन ब्रिटिश इंडिया और इंडिपेंडेंस इंडिया दोस्तों वैसे तो हड़प्पा आरयूआईएनएस का सबसे पुराना रिकॉर्ड ईस्ट इंडिया कंपनी इस जर्नलिज्म इन बलूचिस्तान अफगानिस्तान और पंजाब में मिलता है जो उन्होंने 1842 में लिखी थी एक और बात ध्यान देने वाली ये है की ब्रिटिश इंपिरियलिज्म एक सिस्टमैटिक प्रॉब्लम थी ना की इंडिविजुअल ऐसा इसलिए क्योंकि कई ब्रिटिशर्स जैसे सिकंदर कनिंघम ने इंडिया के असिएंट कलर और सिविलाइजेशन हिस्ट्री को महत्व देते हुए उसे पर रिसर्च को प्रमोट भी किया यही वजह है की 1853 में
सिकंदर कनिंघम को भी शायद आईबीसी के बड़े में पता चला जब उन्होंने हड़प्पा को विजिट किया लेकिन इसका साइनिफिकेंस वो शायद समझ नहीं पे बाद में 1921 में दयाराम सनी ने हड़प्पा और फिर 1922 में रोड बनर्जी ने मोहनजोदड़ो का एक्सटेंशन एक्स किया है इसके बाद से लगातार सिंधु वाली पर एक्सकैवेशंस हो रहे हैं जिम कई प्रॉमिनेंट आपकियोलॉजिस जैसे ग मजूमदार अमलानंद घोष आर एस बिष्ट जीपी जोशी आर राव और वसंत शिंदे इन वर्ल्ड रहे इन्होंने आईबीसी और साइट्स जैसे शुद्ध का गैंडोर कालीबंगा लोथल को डिस्कवर किया और आज तक 2000 से ज्यादा सिंधु वाली साइट्स
पी गई हैं दोस्तों इंडिपेंडेंस इंडिया के एक्सकैवेशंस की बात करें तो उसमें सबसे मेजर डिस्कवरी थी 1990 में आरएस बिष्ट की जब उन्हें ढोला वीर में स्टोन इनस्क्रिप्शन और इंडसइंड बोर्ड मिले इंडसइंड बोर्ड वुडन प्लेट में सिंधु स्क्रिप्ट का लांगेस्ट इनस्क्रिप्शन है और स्टोन इनस्क्रिप्शन ऐसा पहले इनस्क्रिप्शन है जो स्टोन में है है इसके पहले मिले इनस्क्रिप्शंस टेराकोटा वुड ईटीसेटरा में इनस्क्राइब थे इसके अलावा दूसरी मेजर डिस्कवरी थी इंडिया की राखीगढ़ी साइट जिसे पहले बार अमरेंद्रनाथ ने 1997 में एक्स के वेट किया 2014 में
वसंत शिंदे के एक्सकैवेशंस ने इसे हड़प्पा सिविलाइजेशन की लार्जेस्ट साइट बना दिया जो लगभग 350 हैकटेयर्स में फैली हुई है और इसमें 300 हैकटेयर्स में फैली पाकिस्तान की मोहनजोदड़ो को पीछे छोड़ दिया खैर अब हम बात करते हैं की आईबीसी के इतिहास को हिस्टोरियन कैसे क्लासीफाइड करते दोस्तों हिस्टोरियन आईवीसी को जनरली कर फेस में डिवाइड करते हैं इसमें पहले है परी हड़प्पा जो 3300 ई ए के पहले का फैज है इस दूर में नोमेडिक लोग सेटलमेंट बनाने लगे और एग्रीकल्चर की शुरुआत हुई दूसरा है अर्ली हड़प्पा जो लगभग 3300 ई ए से
200600 ई तक था इस दूर में हड़प्पा में बड़े-बड़े विलेज का इमरजेंसी हुआ जो बाद में अर्बन टोंस में कन्वर्ट हुए तीसरा और सबसे इंपॉर्टेंट है मैच्योर हड़प्पा 2017 आखिरी फैज है लेट हड़प्पज जो 1900 ई 1300 ई ए में मिलता है यहां आईवीसी का डिक्लिन दिखता है जिसके बाद धीरे-धीरे ये सिविलाइजेशन इतिहास बन गया चलिए अब आपको लेकर चलते हैं सिंधु वाली की ज्योग्राफी की और और जानते हैं की ये कहां से कहां तक फैला हुआ था ज्योग्राफी का हड़प्पा साइट्स सिंधु वाली सिविलाइजेशन पंजाब हरियाणा सिंह बलूचिस्तान गुजरात राजस्थान और
वेस्टर्न अप तथा सिंधु और सिंधु की ट्रिब्यूटरीज जैसे रवि के अराउंड लोकेटेड थे और इसीलिए इसे जॉन मार्शल ने सिंधु वाली सिविलाइजेशन बोला एक थ्योरी के हिसाब से सिंधु वाली पहले यहां पर आईवीसी का जन्म हुआ लेकिन बाद में सिंधु वाली की फेरती में डिक्लिन और एनवायरमेंटल चेंज की चलते शायद यहां के लोग गंगा वाली में चले गए जहां बाद में पोस्ट हड़प्पन सेटलमेंट महाजनपद और मगध जैसे किंग्डम्स का राइस हुआ अभी तक मोस्ट आलमगीरपुर ईस्टर्नमास्ट और सूद का गेंद और वेस्टर्नमास्ट हड़प्पा साइट्स हैं सिंधु वाली में मिले 2000 से ज्यादा सीड्स
में से ज्यादातर प्रेजेंट दे इंडिया और पाकिस्तान में भी है जो शायद हरपपंस का ट्रेडिंग कॉलोनी था पोर्ट सिटीज में और का टोडा लोथल कुंतासी गुजरात में अलादीन बालाकोट और सूद का जेंडर जो पाकिस्तान में है नाम की साइड आते हैं जहां से मेजर ट्रेड्स के एविडेंस उषा और और नाम के मेसोपोटामिया सीड्स में मिले हड़प्पन सेल्स हैं इसके बाद हम चर्चा करते हैं हड़प्पा सिविलाइजेशन में हुए मेजर एक्स किविटीशन की जो यहां के इतिहास और समाज को इंटीग्रेटेड करने के लिए प्राइमरी हिस्टोरिकल सोर्सेस हैं उसका टाउन प्लानिंग जिसके ब्रिलियंस को हम
मॉडर्न दे चंडीगढ़ और न्यू रायपुर जैसी प्लांट सिटी से कंपेयर कर सकते हैं कुछ सीड्स को छोड़ दें तो मोस्ट साइट्स के वेस्ट में एक 45 सिटर दिल या किला मिलता है जो शायद रनिंग क्लास के लिए था और ईस्ट में छोटे ब्रिक हाउसेस जो शायद कॉमनवेल्स के लिए थे ये यहां के सोशल स्ट्रैटिफिकेशंस को इंडिकेट करता है और बताता है की समाज में स्टेटस और पावर के बेसिस पर डिवीजन हड़प्पा टाइम्स से थे और ये डिवीजन कास्ट सिस्टम की तरह नहीं थे ढोला वीर में यह सिटेडल पत्थरों का था और यहां एक मिडिल टाउन भी था जो शायद मिडिल क्लासेस के लिए
अब तक नहीं मिला है और लोथल का सितारेल 45 नहीं था बल्कि थोड़ा हाइट पर बनाया गया संघर्ष कर रहे हैं वहीं 4 100 साल पहले हड़प्पा ने मिनिमल टेक्नोलॉजी उसे करके एक इंस्पायरिंग नमूना पेस किया है आईबीसी में ऑलमोस्ट सारे स्टेटस राइट एंगल्स से एक दूसरे से कनेक्ट थे जिनके चारों तरफ शहर बेस हैं तीसरा इंटरेस्टिंग फीचर है ब्रिलियंट अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम मोहनजोदड़ो में साड़ी स्ट्रीट्स में ड्रीम्स मिलते हैं और लगभग सभी घरों में वेस्ट वाटर मैनेजमेंट का इंतजाम भी इन घरों की दीवारों में वर्टिकल पाइप्स थी जो ट्रेन से कनेक्ट हैं इनमें छोटे-छोटे
सेटलिंग पल्स और ट्रैप्स भी हैं जो सेडिमेंट्स को जो ट्रेन को जाम कर सकते हैं ट्रैप कर सकते थे और इन्हें इजीली रिमूव किया जा सकता था मॉडर्न इंडिया में स्वच्छ भारत मिशन के अंदर सैनिटेशन को जो इंर्पोटेंस दिया वेस्ट वाटर मैनेजमेंट कैसे एक फीचर्स और प्रोग्रेसिव सिस्टम था इन ड्रीम्स इस वजह से भी है की यह बिग के थे जो भारत में इसके पहले या कुछ सालों बाद टक सेविलाइजेशन में भी काफी काम मिलते हैं अब बात करते हैं यहां के आर्किटेक्चर की आर्किटेक्चर आईबीसी का सबसे इंपॉर्टेंट आर्किटेक्चर मास्टरपीस मोहनजो डरो का डी ग्रेट बात है
यह बिग ब्रिक्स से बना हुआ 6 * 12 मी साइज का स्ट्रक्चर है जिसका में परपज शायद रिलिजियस था जिसे रिचुअल बेकिंग उसे करते थे ग्रेट बात का फ्लोर और आउटर वाल्स बिटुमिनिश्ड हैं जो इसे वाटर प्रूफ बनाता है यहां स्टोन नहीं दिखता इसके अलावा एक मैसिव वाटर टैंक धुला वीर में भी है अगला स्ट्रक्चर ग्रेनरीज हैं मोहनजो डरो का ग्रेट ग्रेनरी सबसे मैसिव है जिसका उसे शायद टैक्स में मिले ग्रीस की स्टोरेज में होता था हड़प्पा में भी ऐसे सिक्स ग्रेनरीज मिले हैं यहां तू रूम बारिक्स भी थे जहां शायद वर्कर्स रहते थे आगे देखते
हैं हड़प्पा की आठ और क्राफ्ट की कहानी दोस्तों आईबीसी अपनी ब्रिलियंट और वेल डेवलप्ड आर्टीफैक्ट्स और स्कल्पचर्स के लिए भी फेमस है यह हमें हड़प्पा सोसाइटी में पॉसिबल गॉड वरशिप लेजर टॉयज मैटेरियल्स इन उसे एट सिटेरा के बड़े में बताते हैं वैसे तो यहां क्राफ्ट मेकिंग ए आम प्रैक्टिस थी लेकिन मोस्ट क्राफ्ट प्रोडक्शन चांद्वाडोर नागेश्वर और बालाकोट जैसे इंडस्ट्रियल टाउन में होता था इनमें से कई क्राफ्ट्स आज भी इंडियन और ब्रिटिश म्यूजियम में देखें जा सकते हैं स्टोन स्कल्पचर्स स्टोंस स्कल्पचर्स की बात करें तो उनमें
सबसे फेमस स्कल्पचर रेड सेंडस्टोन में बना मेल बॉडी के अपर पार्ट या टॉस है धड़ की निक शोल्डर हेड्स और आर्म्स में सॉकेट होल्स हैं और इसकी डिजाइनिंग काफी डिटेल है इसके अलावा बीयर्डेड मां का स्कल्पचर सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है जो स्ट टाइट या सूप रॉक से बना था यह शायद एक प्रीस्ट था क्योंकि इसके रिपीटेड रिप्रेजेंटेशन और जगह में मिलते हैं यह स्कल्पचर पैटर्न शॉल में लिपटा हुआ है जिसकी आइस एलोंगटेड और हाफ क्लोज्ड हैं देखकर लगता है जैसे वह मेडिटेशन में हो इसका नोज माउथ या मिस्टर करती है की यहां एंब्रॉयडरी प्रैक्टिस में
थी ब्रोंज कास्टिंग दोस्तों ब्रोंज कास्टिंग भी आईबीसी में पॉपुलर था जो इंडिया में एक कंटीन्यूअस ट्रेडीशन में दिखता है इसका एग्जांपल फेमस नटराज कलर है जो 11थ सेंचुरी में चोला उसने बनवाया था ब्रोंज कास्टिंग के लिए दोनों जगह में लास्ट वैक्स टेक्निक का इस्तेमाल होता है सिंधु वाली के सबसे फेमस ब्राउज़र डांसिंग गर्ल बफेलो गो एनिमल फिगर और कालीबंगा और मोहनजोदड़ो के बॉल्स स्कल्पचर्स हैं डांसिंग गर्ल एक फोर इंस्टॉल टेराकोटा आर्ट टेराकोटा यानी की नेचुरल क्ले से बने रेडिश ब्राउन कलर के फिगर्स भी यहां काफी आम थे लेकिन टेराकोटा फिगर का डिटेलिंग
उतना ब्रिलियन नहीं जितना ब्रोंज और स्टोंस स्टेच्यू का है इनमें सबसे फेमस मदर गॉड्स बीयर्डेड मिल्स मास्क ऑफ हंट डेटी कार्ड और सेल्स हैं सबसे प्रॉमिनेंट टेराकोटा फिगर मदर गॉड्स है जो एक क्रूड और स्टैंडिंग फीमेल फिगर है जिसमें निक्लासेस लायन क्लॉथ और गर्ल्स की सजावट है इसमें मोस्ट डिस्टिंक्ट फीचर फैन शेप्ड हेड ड्रेस है जिसके दोनों साइड में कप लाइक प्रोजेक्शंस बाकी के फेशियल फीचर्स क्रूड और काम रियलिस्टिक है कॉपर फेयोंस गोल्ड आइवरी और सिल्वर में भी मिलते हैं सेल्स का इस्तेमाल जनरली ट्रेड में होता था शायद आज एन प्रूफ ऑफ ऑथेंटिसिटी
इनमें सबसे पॉपुलर मोहनजो डरो के पशुपति सेल है जिसमें एलीफेंट टाइगर राइनो बफेलो और दो एंटी लोब्स कावड़ हैं पॉटरी अगला इंपॉर्टेंट क्राफ्ट यहां का पोट है जो लार्जली व्हील मेड थे ना की हैंड मेड सबसे आम [प्रशंसा] स्ट्रेट और एंगुलर शेप्स इन सब के अलावा यहां क्लॉथ मेकिंग में उसे होने वाले स्पिंडल वर्ल्ड कई घरों में मिले जो क्लॉथ मेकिंग के आम प्रैक्टिस के इंडिकेशंस हैं हड़प्पा वोट मेकिंग क्राफ्ट भी जानते थे जिसका इस्तेमाल यह मेजरमेंट टेक्निक मॉडर्न इंडिया तक देखने को मिला जहां 16 आना ₹1 होता था तो ये था सिंधु वाली सिविलाइजेशन के इतिहास
का वो पहलू जिसमें हमने वहां की ज्योग्राफी टाउन प्लानिंग आर्किटेक्चर और मेजर श्यबेशंस और क्राफ्ट्स मेकिंग की बात की ये एक्सकैवेशन हड़प्पा हिस्ट्री के प्राइमरी एविडेंस हैं जिनके थ्रू ही हम उनके इतिहास और समाज के बाकी पहलू जैसे पॉलिटिक्स सोसाइटी इकोनामी रिलिजन कलर और डिक्लिन के बड़े में जान पाते हैं इन एविडेंस के थ्रू हड़प्पान सोसाइटी से रिलेटेड थिअरीज और इन्फ्रेंस की बात हम अगले वीडियो में करेंगे सिंधु वाली सिविलाइजेशन पार्ट 2 इंपॉर्टेंट साइट्स और इन्फ्लुएंस दोस्तों हम बात कर रहे हैं सिंधु वाली सिविलाइजेशन
की जो भारत के इतिहास का पहले अर्बन सिविलाइजेशन था पिछले वीडियो में हमने देखा की सिंधु वाली सिविलाइजेशन क्यों इतना इंपॉर्टेंट पार्ट है हमारे इतिहास का और उसमें कौन-कौन से मेजर एक्सकैवेशंस आज तक हुए हैं हमने सिंधु वाली के इंपॉर्टेंट आर्किटेक्चर और कल्चरल एलिमेंट्स के एविडेंस को समझना की भी कोशिश की है इस दूसरे भाग में हम बात करने वाले हैं वहां की कुछ इंपॉर्टेंट साइट्स के बड़े में और जानेंगे की यहां मिले एविडेंस हमें सिंधु वाली की सोसाइटी पॉलिटिक्स और इकोनामी के बड़े में क्या बताते हैं इसके अलावा सिंधु
वाली के डिक्लिन को लेकर कई डिस्प्यूट हैं जिसके बड़े में हम इस वीडियो में जानेंगे आई हम बात करते हैं आईबीसी की कुछ मेजर साइट्स की सम इंपॉर्टेंट साइट्स हड़प्पा दोस्तों हड़प्पा रवि के किनारे पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस में है रवि के पास होने से इसको ट्रेड नेटवर्क्स एक्वेटिक फूड और ड्रिंकिंग और कल्टीवेशन के लिए पानी का एक्सेस था हड़प्पा ईस्ट से आने वाले ट्रेड रूट का मीटिंग पॉइंट भी माना गया है यहां के मेजर एक्ससकैवेशंस में ग्रेनरीज विद ग्रीक प्लेटफॉर्म वर्कर्स के रूम ब्रोंज स्मेल्टिंग एट सिटेरा हैं जिसके बड़े में
हमने पिछले वीडियो में बात की हड़प्पा इकलौती ऐसी साइट है जहां कॉफिन बैरियर्स का एविडेंस मिला है अगला साइट है मोहनजोदड़ो जिसका इंग्लिश ट्रांसलेशन मांउड ऑफ डी डेड है और यह सिंधु के किनारे पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस के लरकाना में है है यहां पर डी ग्रेट बात डी ग्रेट ग्रेनरी ब्रोंज डांसिंग गर्ल सेल ऑफ पशुपति स्टैचू ऑफ डी बियर डेड मां सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न सेल्स और वन कॉटन के पीस मिले हैं मोहनजोदड़ो एक यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट भी है अगला साइट है धोलावीरा जो गुजरात के रन ऑफ कच्छ में है रिसेंटली इंडियन गवर्नमेंट ने इसे
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में इंक्लूड करने का प्रपोज भी भेजो है ये बड़े रिजर्वस और एलेबोरेट सिस्टम ऑफ वाटर हार्वेस्टिंग के लिए फेमस है चलिए अब समझते हैं हड़प्पा पॉलीटिकल सिस्टम से रिलेटेड थिअरीज के बड़े में पॉलीटिकल सिस्टम दोस्तों यह काफी इंटरेस्टिंग सवाल है की कैसे सिंधु वाली सिविलाइजेशन इतने पुर कम्युनिकेशन सिस्टम के दूर में भी एक यूनिफॉर्म सिविलाइजेशन की तरह एग्जिट करता रहा और इतने वस्त एरिया में फेल गया रिवाइज क्वालिटी के हिसाब से कुछ इतिहासकारों का मत है की सिंधु वाली का आर्किटेक्चर मैग्नीफाइसेंस और यूनिफॉर्म
ब्यूटीफुल स्कल्पचर्स यहां की रनिंग क्लास की पावर को दर्शाते हैं ये दिखता है की उनके पास मैसिव स्ट्रक्चर्स और ब्रिलियंट टाउन प्लानिंग के लिए लेबर और टैक्स मोबिलाइज करने की कैपेबिलिटी थी यहां का पॉलीटिकल सिस्टम शायद एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम था जिसकी वजह से ही आईबीसी कलर एक यूनिफॉर्म कलर था इसके अलावा इन टोंस में मिले सीटेट लक शायद सीट ऑफ पावर थे और मोहनजो डरो की ग्रेट ग्रांडेरी स्टेट का ट्रेजरी जहां टैक्स के रूप में कलेक्ट्रेट ग्रेस रखें जाते थे पॉलीटिकल सिस्टम मैच्योर हड़प्पज में अपने चर्म पर था और
सबसे ज्यादा वेल डेवलप्ड भी कई सारे शहर काफी अच्छे से फोर्टीफाइड थे और पूरा एरिया वाले पापुलेटेड लेकिन यहां ऑर्गेनाइज्ड मिलिट्री के प्रूफ नहीं मिलते हैं पर शायद एक स्टैंडिंग आर्मी पोस्ट करती थी क्योंकि सोल्जर के डिपिक्शन कई स्टोंस में हैं यहां किसी भी तरह के टेंपल का आर्कियोलॉजिकल एविडेंस ना मिलना ये इंडिकेट करता है की शायद यहां प्रीस्ट का रूल नहीं था और पालिटी सेकुलर थी यहां के रुलर्स के लिए ट्रेन और कॉमर्स ज्यादा इंपॉर्टेंट था दें कॉक्वेस्ट और शायद ये रुलर्स लाजली मरचेंट्स थे लेकिन पालिटी के बड़े में यह इंश्योरेंस कनक्लूसिव नहीं है
क्योंकि दूसरी थ्योरी के हिसाब से शायद यहां सिंगल सेंट्रल सेंट्रलाइज्ड स्टेट नहीं था बल्कि हड़प्पन सिटीज में अलग-अलग रुलर्स थे जो हर अर्बन सेंटर को रिप्रेजेंट करते थे शायद वैसे ही जैसे मेडिकल इटालियन सिटी स्टेटस जैसे फ्लोरेंस वन इस जेनेवा मिलन ईटीसी खैर किसी भी पॉलीटिकल सिस्टम के लिए यह जरूरी है की वहां की इकोनामी भी स्ट्रांग फाऊंडेशंस पर बट हो इसलिए अब हम चलते हैं यहां की इकोनामी की तरफ इकोनामी एग्रीकल्चर दोस्तों सिंधु वाली में एग्रीकल्चर में इकोनामिक एक्टिविटी थी जिसका मेजर करण सिंधु वाली की फर्टिलिटी था ये फर्टिलिटी सिंधु के हर
साल ओवरफ्लो की वजह से थी जिसका एविडेंस बोर्ड ब्रिक्स के वाल्स में है जो फ्लड कंट्रोल के लिए उसे होते थे सिंधु वाली के में क्रॉप्स में वीट बाली राय सेसम मस्टर्ड और पीस हैं लेकिन लोथल और रंगपुर में राइस के एविडेंस भी हैं आईबीसी के बड़े में एक इंटरेस्टिंग बात ये है की शायद ये कॉटन प्रोड्यूस करने वाले सबसे पहले लोग थे बने हुए कॉटन का एविडेंस हमें मोहनजो डरो से मिला है और लगभग हर घर में स्पिंडल वर्ल्ड यह बताते हैं की वीविंग एक आम प्रैक्टिस थी यहां किसी भी तरह के मेटल के हाल या पुलाव एविडेंस नहीं मिलता लेकिन राखीगढ़ी और कालीबंगा के पर
फील्स इंडिकेट करते हैं की शायद वुडन ब्लाउज से यहां फ्लोइंग होती है और स्टोन की कटिंग टूल से हार्वेस्टिंग इरिगेशन के लिए शोर तगारी के अलावा कहानी भी मेजर कनाल एविडेंस नहीं है लेकिन छोटे वाटर टैंक्स जरूर थे कालीबंगा के फील्ड्स यह भी बताते हैं की वहां एक साथ दो क्रॉप्स ग्रा की जाति थी इसके अलावा एनिमल डॉमेस्टिकेशन भी आम था जिसमें ऑक्स बफेलो गुड्स शिव बिग और हम्द बल मां एनिमल्स है यहां के लोग डॉग्स कैट्स एलीफेंट राइनो से भी अवेयर थे डोंकी और कैमल्स का उसे ब्लोइंग और ट्रेड में होता था सबसे चौका देने वाली बात यह है की
हड़प्पंस हॉर्स से वेयर नहीं थे क्योंकि उसे पर कोई कनक्लूसिव एविडेंस नहीं मिला है मोहनजो डरो में एक टेराकोटा का हॉर्स लायक क्रीचर और और कोटडा में हॉर्स लाइक एनिमल के स्केलेटन हैं लेकिन यह दवा नहीं कर सकते की वो हॉर्सेज ही हैं खैर विवाद से अलग यह तो साफ है की फ्यूचर सिविलाइजेशन से अलग हड़प्पन सिविलाइजेशन हॉर्स सेंट्रल बिल्कुल नहीं था एग्रीकल्चर के अलावा ट्रेड और कॉमर्स भी हड़प्पा इकोनॉमिक्स था तो आई अब हम हड़प्पन ट्रेड और कॉमर्स के बड़े में जानते हैं इकोनॉमिक्स ट्रेड और कॉमर्स ग्रेनरीज में मिले सेल्स यूनिफॉर्म
स्क्रिप्ट और वेट और मेजर्स यहां ट्रेड का इंर्पोटेंस दिखाई हैं इस ट्रेड में लोथल इंपॉर्टेंट पोर्ट था जो गल्फ ऑफ खंभात में है ट्रेड लार्जली वाटर सिस्टम पर बेस्ड था यानी की यहां ई उसे में नहीं थी शोर तू गे लोपेज़ लेसूलाई के लिए लोथल कार्डिलियन ट्रेड खेतड़ी माइंस कॉपर इंपोर्ट अफगानिस्तान तीन और सिल्वर इंपोर्ट और साउथ इंडिया गोल्ड ट्रेड के लिए फेमस थे चलिए अब समझते हैं की हड़प्पा में सोसाइटी और रिलिजन के बड़े में आर्कियोलॉजिकल एविडेंस हमें क्या जानकारी देते हैं सोसाइटी तो जानते हैं सोसाइटी के बड़े में यहां के समाज में शायद एक वेल
इस्टैबलिश्ड सोशल हायर की थी जो सीटेट ल और लोअर टोंस की एक्जिस्टेंस में दिखता है सोशल डर यहां की रेजिडेंशियल स्ट्रक्चर्स के डिफरेंस में भी है कुछ स्ट्रक्चर्स छोटे और कुछ बड़े गुड क्वालिटी साइंस और स्कल्पचर्स भी यहां के सोशल डर का इंडिकेशन है वैल्युएबल मैटेरियल्स के रेयर ऑब्जेक्ट्स भी मोस्टली बड़े सेटलमेंट में मिले यानी यहां एक रीजनल डिवाइड भी था पर इंस्टेंस के मैनेजर पार्ट्स सिर्फ हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में हैं लेकिन कालीबंगा जैसी साइट्स में नहीं हरपपंस के फैशन सेंस को भी काफी प्रेस किया जाता है जो यहां के व्हाइट स्प्रेड
बी और आर्नामेंट्स में दिखता है इन बीच में नेकलेस फिलिप्स ऑमलेट फिंगरिंग्स इयररिंग्स इंक्लूड है जो प्रेशियस मेटल जेमस्टोन बोनस और बेड क्ले से बनते थे बीट इंडस्ट्रीज और लोथल में फ्लोरिश कर रही थी यह फैशन सेंस यहां के अलग-अलग तरह के क्लोज हेयर स्टाइल्स और बर्ड में भी दिखता है लिपस्टिक कॉस्मेटिक और फेस पेंट के एविडेंस भी हैं जो मॉडर्न दे में भी फैशन आइटम्स हैं रिलिजन की बात करें तो यहां ग्रेट बात के अलावा कोई और रिलिजियस स्ट्रक्चर नहीं मिला लेकिन यहां के लोगों के रिलिजियस प्रैक्टिस के बड़े में बाकी
के एविडेंस से इन्फ्रेंस निकले जा सकते हैं यहां कई सारे वूमेन टेराकोटा फिगराइंस और एंब्रियो वूमेन का रेप स्टेशन शायद गॉड्स ऑफ अर्थ को दर्शाते हैं हड़प्पनास शायद अर्थ को फर्टिलिटी गॉड्स की तरह देखते थे और वरशिप करते थे इसके अलावा पशुपति महादेव भी शायद एक देती थे जो एक सेल में थ्री होंडा हेड के साथ योग पोस्चर में देखते हैं इसके अलावा स्टोन के बने पैलेस वरशिप के एविडेंस भी हैं हड़प्पा शायद ट्री वरशिप भी करते थे क्योंकि हमें एक बेटी का डिपिक्शन पीपल के ब्रांचेस में मिलता है एनिमल वरशिप का सबसे इंपॉर्टेंट एविडेंस वन हॉर्न्ड
यूनिकॉर्न सेल है कई और एनिमल्स का सेल्स में रिप्रेजेंटेशन भी एनिमल वरशिप को इंडिकेट करता है यहां एम्बुलेंस का मिलन बताता है की शायद यह इविल फोर्सेस में भी विश्वास करते थे इन सब के बाद सवाल ये उठाता है क्या दोस्तों हड़प्पा सिविलाइजेशन में लैंग्वेज की बात करें तो यह प्रोटो हिस्टोरिक सोसाइटी थी यानी यहां रिटन एविडेंस तो मिले लेकिन स्क्रिप्ट डिकोड नहीं हुई है हड़प्पा ने आर्ट ऑफ राइटिंग को इन्वेंट किया लेकिन ये शायद अंदर डेवलप्ड थे हड़प्पा स्क्रिप्ट लाजली पिक्टोग्राफिक है यानी उसमें अल्फाबेट्स की जगह
डायग्रामेटिक सिंबल्स हैं इनकी राइटिंग स्टाइल को बूस्ट्रोफे दो बोलते हैं जो राइट तू लेफ्ट और फिर लेफ्ट तू राइट लिखी जाति थी एशिया सिविलाइजेशन में बेरियल प्रैक्टिस को भी काफी इंपॉर्टेंट दिया जाता है इसलिए अब हम हड़पन बेरियल प्रैक्टिस के बड़े में जानेंगे डी बैरियर प्रैक्टिस मोहनजो डरो में तीन तरह कंप्लीट बैरियर फ्रेक्शनल बेरियल्स और पोस्ट क्रीमेशन बैरियर फ्रेक्शनल बैरियर्स में डेड बॉडी को पहले वाइल्ड बेस्ट और बर्ड्स के लिए छोड़ दिया जाता था और बाद में बच्चे हुए बोनस को बेरी किया जाता था सबसे आम बेरियल प्रैक्टिस थी एक्सटेंडेड
इन ह्यूमन की जिसमें हेड जनरली नॉर्थ की तरफ होता था हड़प्पा में वुडन कॉफी और रेडिश क्लॉथ में लिपटी बॉडीज मिली हैं और सूट कोटडा से पोट बेरियल के एविडेंस लोथल में डबल बैरियर का एविडेंस मिला है जहां मेल और फीमेल बॉडीज को साथ में दफन किया गया था इस पर्टिकुलर कैसे में फीमेल स्केलेटन में हेड इंजरी है जिसके चलते क्लेम किया गया की शायद यहां विडो सैक्रिफिस जैसी प्रैक्टिस थी लेकिन बाद में राखीगढ़ी में 2019 में मिले डबल बैरियर में ऐसा कोई इंजरी नहीं मिला ऐसे डबल बैरियर का सिस्टम ना होना यह इंडिकेट करता है की वीडियो सैक्रिफिस की थ्योरी
शायद वीक है है इसके अलावा बेरियल्स में पॉटरी और बाकी के आर्टीफैक्ट्स जैसे बैंगल्स और बीड आफ्टर लाइफ में बिलीफ को इंडिकेट करते हैं बैरियर्स के आर्टीफैक्ट में क्वालिटेटिव डिफरेंस यहां सोशल हायर की थिअरीज को सपोर्ट करते हैं तो यह थी हड़प्पा की सोसाइटी कलर पालिटी और इकोनॉमिक्स की कहानी लेकिन दोस्तों इतनी मैग्नीफिसेंट सिविलाइजेशन के बड़े में इतिहासकार कहते हैं की ये मिस्टीरियस तरीके से खत्म हो गया तो आई समझते हैं हड़प्पा डिक्लिन को थिअरीज का डिक्लिन दोस्तों हड़प्पा डिक्लिन पर काफी विवाद है और 100% सर्टेंटी के साथ कोई भी थ्योरी प्रोवाइड
नहीं है और हिस्टोरियन मानते हैं की यह प्रोसेस 1700 ई के आसपास स्टार्ट हुआ एक थ्योरी के हिसाब से हड़प्पा का डिस्ट्रक्शन इनवेडर्स ने किया इसे आर्यन इनवेजन या माइग्रेशन थ्योरी कहा जाता है कुछ एविडेंस बताते हैं की लोगों ने अपने वैल्युएबल आइटम्स घरों में छुपाने चालू कर दिए थे ये शायद एक इन्वेसन की डर से था| 1920 में मोहनजो डरो में 39 मेल फीमेल और चिल्ड्रन के स्केलेटन मिले और यह प्रिडिक्ट किया गया की शायद ये आउटसाइड इनवेजन में मारे गए थे लेकिन बाद में पता चला की केवल दो स्केलेटन में सौर जैसे अटैक के मार्क्स हैं और वो भी पुराने गाव
थे इसके अलावा यहां किसी भी बैटल का कोई डायरेक्ट एविडेंस नहीं मिलता हो सकता है की मोहनजो डरो के यह 39 लोग किसी डिजीज से मारे गए हो आर्यन थ्योरी के ऊपर डिबेट्स आज भी जारी हैं स्पेशली बायोलॉजी और जेनेटिक स्टडीज में 2019 में जर्नल्स सेल और साइंस में पब्लिश्ड दो स्टडीज ने आर्यन इनवेजन थिअरीज पर डिबेट फिर से शुरू किया इन जनरल्स में पब्लिश्ड स्टडीज का इंटरप्रिटेशन मीडिया में अलग-अलग तरीके से हुआ कुछ ने कहा की इन स्टडीज ने आर्यन माइग्रेशन को डिस्प्राप कर दिया लेकिन कुछ रिपोर्ट्स ने कहा की इन स्टडीज का मिस
रिप्रेजेंटेशन हुआ है स्क्रॉल में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के हिसाब से इन स्टडीज में इंवॉल्वड मोस्ट स्कॉलर्स ने आउट राइट ली आर्यन थ्योरी को रिजेक्ट नहीं किया है एक्सेप्ट फू अगली थ्योरी इन वन मेंटल फैक्टर्स को हड़प्पन डिक्लिन का जिम्मेदार बताती है कहते हैं की 1700 ई ईमेल यमुना और सतलज दोनों पुराने कोर्सेज को आबंदों कर नए कोर्स में फ्लो होने लगी और हकरा घगर भी इसी दूर में ड्राई अप हो गई इसके चलते यहां वाटर सप्लाई काम हो गया इसके अलावा इस दूर में रेनफॉल भी काम हुई सोयल की फर्टिलिटी में रिडक्शन में सीरियल
प्रोडक्शन को काम कर दिया और अर्बन लोग स्टार्वेशन से मा गए रोचेस्टर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मैथमेटिशियन और साइंटिस्ट निशांत मलिक ने किओस और इंट्रडिसीप्लिनरी जर्नल ऑफ नॉन लाइनर साइंस में क्लेम किया की क्लाइमेट चेंज हड़प्पा के डिक्लिन का में करण था यह प्रिडिक्शन एक मैथमेटिक्स मॉडलिंग के बेसिस पर था इसके अलावा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जिओ फिजिसिस्ट मनी का प्रसाद और अमावस नूर के हिसाब से अर्थक्वेक आईबीसी की डिक्लिन का मेजर रीजन था वैसे तो ये रीजन टेक्टोनिकली इन एक्टिव माना जाता है लेकिन 2001 में हुए
अर्थक्वेक एक्टिविटीज के बाद इन रिसचर्स ने हिस्टोरिक और करंट साइज भी सिटी की डाटा को उसे करके कहा की यहां अर्थक्वेक का इतिहास काफी पुराना है इनका कहना है की ढोला वीर में लगभग 2200 ई और कालीबंगा में 2900 और 2700 बीसी में आर्कियोलॉजिकल एविडेंस भी हैं पॉलीटिकल क्राइसिस के चलते ट्रेड नेटवर्क्स कॉलेप्स हो गए जो आईवीसी के अर्बन सेंटर्स के डिक्लिन का करण बना करण कुछ भी हो लेकिन यह फैक्ट है की 1900 ई से हड़प्पा सिटीज का ग्रेंडर काम होने लगा और लोग सिंधु वाली से शिफ्ट होकर बाकी के एरियाज में फेल गए जहां पोस्ट हड़पन
कलर का जन्म हुआ यह हड़प्पा से काफी बैकवर्ड था इसमें इंपॉर्टेंट कलर्स मालवा कलर हर कलर और जोर भी कलर हैं जो प्रायमरीली चल को लिटिक यानी कॉपर डोमिनेटेड सोसाइटी थी और यह हड़प्पा से काफी अलग थी आईबीसी के बाद ऐसा प्रॉमिनेंट सिविलाइजेशन ग्रोथ हमें 1500 सालों बाद महाजनपद और मगध में दिखा लेकिन तब तक इंडियन सोसाइटी विलेज डोमिनेटेड ही रही तो दोस्तों यह थी कहानी सिंधु वाली सिविलाइजेशन की जिसकी अचीवमेंट्स हमें आज भी इंस्पायर करते हैं अर्ली वैदिक आगे आज हम बात करेंगे असिएंट हिस्ट्री के इंपॉर्टेंट पीरियड की जिसकी
शुरुआत आर्यांस की इंडियन माइग्रेशन से हुई सिंधु वाली सिविलाइजेशन अराउंड 1500 ई में और हुआ इसके बाद वैदिक पीरियड नेक्स्ट मेजर सेटलमेंट के रूप में उभर कर आया वैदिक सिविलाइजेशन 1500 ई से करीब 500 ई तक चला जिसको दो पार्ट्स में डिवाइड किया जाता है अर्ली वैदिक आगे जो 1500 से 1000 ई तक चला इस पीरियड में ऋग्वेद को कंपिल किया गया इसलिए इसको राग वैदिक आगे भी कहा जाता है लीटर वैदिक आगे जो 1000 से 500 ई में और हुआ इस आगे में ऋग्वेद के अलावा और टेक्स्ट का कंपोजिशन हुआ जैसे अदर त्रिवेदियाज ब्राह्मण अरण्यक उपनिषद्र इस लेक्चर में हम अर्ली वैदिक
आगे के बड़े में जानेंगे अराइवल ऑफ इंडो आर्यांस दोस्तों राग वैदिक आगे की शुरुआत इंडो आर्यांस और यूरेनियम्स की माइग्रेशन से स्टार्ट होती है आर्यन कलर के में फीचर्स की इनफॉरमेशन के मध्य से मिलती है इसमें मीन टेक्स्ट हैं ऋग्वेद जेंडर पर बेस्ड थी आर्यांस कहां से माइग्रेट हुए डिफरेंट हिस्टोरियन और एक्सपट्र्स ने अलग थिअरीज दी हैं कुछ मानते हैं की इंक्वारी बाल गंगाधर तिलक की बुक रिएक्शन होम इन डी वदाज में उन्होंने आर्यांस का ओरिजन आर्कटिक रीजन को बताया और ये भी माना जाता है की हिंदू कुश माउंटेंस के खैबर पास से
आर्यांस ने इंडिया में एंट्री की खैर मोस्ट एक्सेप्टेड थ्योरी ये है की आर्यांस इमीग्रांट्स की तरह इंडिया में आए पूर्वी अफगानिस्तान नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस पंजाब और वेस्टइंडीज अप के बॉर्डर्स में ये रहते थे अफगानिस्तान के रिवर कुंभ और सिंधु यानी सिंधु रिवर और उसकी 5 डिस्ट्रीब्यूटर यानी झेलम चेनाब रवि व्यास और सतलज का मेंशन ऋग्वेद में देखने को मिलता है जो की हरियाणा राजस्थान के एरिया में थी यह पूरा रीजन जहां इनिशियली आर्यांस ने अपना सेटलमेंट किया उसको लैंड ऑफ सेवन रिवर्स कहा जाता है अब नजर डालते हैं
वैदिक आगे के सबसे इंपॉर्टेंट टेक्स्ट पर ऋग्वेद वेद में ऋग्वेद ही सबसे पहले वेद है इसको यूनेस्को ने वर्ल्ड ह्यूमन हेरिटेज में एड किया है इसमें 128 हिम्स हैं जिनको 10 मस में डिवाइड किया ऋग्वेद एक प्रेयर्स की कलेक्शन है जो अग्नि इंद्र मित्र वरुण और अदर गॉड्स को ऑफर की गई है कुछ पेट्स और गस की फैमिलीज ने इन्हें लिखा है 10 मस में से तू से लेकर 7 तक इसके अर्लीस्ट पार्ट्स से मस वन और नाइन लेटेस्ट एडिशंस हैं जैसा की हमने पहले बताया था की आर्यन कलर के रेफरेंस हमको दूसरे रिलिजियस टेक्स्ट में भी देखने को मिलते हैं तो आई आगे बढ़ाने से पहले इस
एस्पेक्ट पर भी नजर दाल लेते हैं और इलियट को 900 से 800 ई में अटरीब्यूट किया जाता है इन सभी टेक्स्ट का कल्चरल में रखा जा सकता है जिसको वैदिक संस्कृत कहा जा सकता है जो संस्कृत आज हम जानते हैं वह वैदिक संस्कृत से ही ड्राइव हुई इंडो यूरोपियन लैंग्वेज के स्पीकर्स में सिमिलर जेनेटिक सिगनल्स देखने को मिलते हैं जैसे सेंट्रल एशिया स्टेप्स और इंडो आर्यन स्पीकर्स में सिमिलर जेनेटिक सिगनल्स मिले हॉर्स आर्यन कलर का एक इंपॉर्टेंट स्ट्रेट था ऋग्वेद में इसको अश्व बोला गया है जिसके सिमिलर शब्द हमको संस्कृत अविस्तान
ग्रीक लैटिन और अदर इंडो यूरोपियन लैंग्वेज में देखने को मिलते हैं अब इस मिस्टर में मित्र की प्रेयर्स में लगातार हॉर्स और चेरियट का मेंशन देखने को मिलता है ऋग्वेद में गॉड मित्र यही मैन जाते हैं एलियर्ड और इसी में भी हॉर्सेज के रेफरेंस देखने को मिलते हैं सभी टैक्स में देखने को मिलता है जिसका मेंशन लेटर वैदिक टेक्स्ट में मिलता है एक ग्रीक प्रैक्टिस भी हुआ करती थी और हमर ने इसका डिटेल डिस्क्रिप्शन दिया है संस्कृत में बुर्ज को ऊर्जा कहा गया है और इसी के सिमिलर शब्द हमें सिक्स इंडो यूरोपीय लैंग्वेज में देखने को मिलते हैं
क्रिएशन भी एक इंपॉर्टेंट आर्यन ट्वीट हुआ करता था यह प्रैक्टिस वैदिक अव्यवस्था और होमेरिक टेक्स्ट में भी देखने को मिलती है लेकिन इसका कोई रेफरेंस मैच्योर हड़प्पा कलर में देखने को नहीं मिला है है अब इसका और ऋग्वेद दोनों में ही फायर वरशिप काफी इंपॉर्टेंट बताई गई है कल्ट ऑफ सोम जिसको बेस्टन लैंग्वेज में होमो बोला गया है सिर्फ ईरानियन और वैदिक लोगों तक ही कांफ्रेंस रहे इसी तरह के कई रेफरेंस हमको ऋग्वेद और दूसरे रिलिजियस टेक्स्ट में देखने को मिलते हैं अब बढ़ते हैं राग वैदिक कलर की पॉलीटिकल सोशल और इकोनॉमिकल
फीचर्स की तरफ पॉलीटिकल लाइफ राग बेदी कलर में ट्राइब को जन्म बोला जाता था और ट्राईबल के को राजन को पति या गोपा यानी बोला जाता था गॉड से प्री करना भी उसकी ही रिस्पांसिबिलिटी थी इतिहासकारों की मैन तो ऋग्वैदिक पीरियड में राजन की पोजीशन होता है लेकिन इलेक्शन के कुछ इंस्टेंस भी मिले हैं जो की ट्राईबल असेंबली यानी समिति के द्वारा किया जाता था पॉलीटिकल एडमिनिस्ट्रेशन कुछ इस प्रकार था पुरोहित वर्ग मेली रिचुअल्स करते थे इसके बदले में उनको दान यानी गिफ्ट्स और दक्षिण दी जाति थी आर्मी का एक के होता था जिसको
सेनानी बोलते थे टेरिटरी को कंट्रोल करने के लिए एक ऑफिसर होता था जिसको ब्रिज पति बोलते थे विलेज के लीडर को ग्रामीण कहते थे दोस्तों ये जानना जरूरी है की टैक्स कलेक्शन और जस्टिस एडमिनिस्टर करने के लिए कोई भी ऑफिसर अप्वॉइंट किया गया हो इसका कोई एविडेंस नहीं मिला है ऋग्वेद में कई असेंबली इसका मेंशन किया गया है सभा जो की एलिट्स की एक छोटी सी बॉडी थी समिति जो की जनरल पब्लिक मेंबर्स से बनी एक बड़ी फॉक्स बी इसका लीडर राजन हुआ करता था विधाता जो की एक ट्राईबल असेंबली थी और गाना जो की ट्रूप्स हुआ करते थे सभा और विधाता में वूमेन पार्टिसिपेशन भी
देखने को मिलता था राजन के पास कोई रेगुलर आर्मी नहीं हुआ करती थी लेकिन वार के समय छोटी-छोटी ट्राईबल ग्रुप यानी गानों को जॉइन करके एक मिलिशिया यानी आम जनता से बनी एक्मे इकट्ठी की जाति थी वार में रोज और हेलमेट का उसे किया जाता था आर्यांस की सर्वाइवल के लिए उनके सामने मेली दो तरह के कनफ्लिक्ट थे पहले जिसमें वो इंडीजीनस लोगों से कनफ्लिक्ट में आए ऋग्वेद में इस तरह की एक बैटल का मेंशन किया गया है जिसमें भारत किंग देवदास ने इंडीजीनस पीपल डेस के रोलर संभालो को डिफीट किया दूसरा कनफ्लिक्ट था जिसमें आर्यन कम्युनिटी खुद ही आपस में वर्स में
इंगेज्ड रही यहां पर बैटल ऑफ 10 किंग का मेंशन आता है यह बैटल परूश्नी यानी रविवार के तट पर हुआ यह बैटल भारत के सुधन और 10 दूसरी ट्राइब्स के बीच हुआ आर्यन ट्राइब्स थी और पांच नॉन आर्यन 5 आर्यन ट्राइब्स को पांच जाना बोला जाता था इसमें इंक्लूड थी यदि दुर्वासा पूर्व अनु और ध्रुव बैटल ऑफ 10 किंग में भारत के सुधन ने 10 ट्राइब्स को डिफीट करके अपनी सुप्रीम से आगे चलकर पूर्व ट्राइब से हाथ मिलकर कुर ट्राइब को एस्टेब्लिश किया और पांचलस के साथ मिलकर अपार गंजैतिक बेसिन में अपना वर्चस्व बनाया यहां यह बता दें की इसी
ऋग्वेद में मेंशन की गई यही भारत ट्राइब से ही भारतवर्ष कंट्री का नाम प्रचलित हुआ सोशल लाइफ दोस्तों राग वैदिक सोसाइटी के सोशल स्ट्रक्चर का बेसिस था किंशिप कल यानी फैमिली बेसिक यूनिट थी और कुलपा फैमिली के हेड को बोला जाता था हर फैमिली एक बड़े ग्रुप का हिस्सा थी जिसे विश्व यानी कलन बोला जाता था कुछ प्लांस मिलकर लार्जेस्ट सोशल यूनिट था फैमिली एक पटि्रयरचल फैमिली थी यानी फादर हेड ऑफ डी फैमिली थे मैरिज आगे इन इंस्टीट्यूशन एस्टेब्लिश हो चुका था और चाइल्ड मैरिज का भी कोई एविडेंस देखने को नहीं मिलता सती और पर्दा
सिस्टम भी चालान में नहीं था यानी एक टाइम पर एक ही परसों से मैरिज होती थी लेकिन पॉलिगामी के भी कुछ इंस्टेंस मिले हैं सोसाइटी कास्ट लाइंस में डिवाइडेड नहीं थी और ऑक्यूपेशन बर्थ पर बेस्ड नहीं था अलग-अलग ऑक्यूपेशंस के लोग भी सिम कलन से बिलॉन्ग करते थे लोगों के फिजिकल अपीरियंस को लेकर भी ऋग्वेद में थोड़े इंस्टेंस देखने को मिलते हैं इनिशियल स्टेज में वर्ण को परसों के कलर से एसोसिएट किया जाता था कलर डिस्टिंक्शन के चलते ही एक तरह के सोशल ऑर्डर के फॉर्मेशन की संभावना हो शक्ति है सोशल डिवीजन का में फैक्टर इंडीजीनस
ट्राइब्स के आर्यांस द्वारा किया गए कॉक्वेस्ट को कहा जा सकता है ऋग्वेद के केवल टेंथ मंडला के पुरुष सूक्त में ही कर वर्णस का मेंशन देखने को मिलता है इससे अंदाज़ लगाया जा सकता है की वर्ण सिस्टम मेली राग वैदिक आगे के और में इंट्रोड्यूस हुआ इस समय की वर्ण व्यवस्था में सोशल मोबिलिटी पॉसिबल थी और स्ट्रिक्ट सोशल हायर की अब्सेंट थी इसका मतलब है और देखते हैं की राग वैदिक सोसाइटी का इकोनॉमिक्स स्ट्रक्चर क्या था राग वैदिक इकोनामी दोस्तों ऋग्वेद में रेफरेंस देखने को मिलते हैं की इससे यह अंदाज़ लगाया जा सकता है की ऋग्वैदिक पीपल
मेली एक पेस्टोरल पीपल थे वर्ल्ड कैप्चर करना ही था यानी को ही बेसिक वेल्थ थी कोस के लिए किया जान वाले लैंड एक वेल इस्टैबलिश्ड प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं थी गोल्ड कोइंस को निक्षा बोला जाता था जो ई की एक यूनिट थी कोइंस का इस्तेमाल जनरली सिर्फ बड़े ट्रांजैक्शंस के लिए ही किया जाता था ट्रेड मोस्टली बतौर सिस्टम में ही होता था और को भी एक वैल्युएबल यूनिट थी जिसके मध्य से ट्रेड पॉसिबल हो सकता था किंगडम सिर्फ बाली यानी वॉलंटरी ऑफिरिंग्स पर फंक्शन करता था क्योंकि किसी तरह का रेगुलर रिवेन्यू सिस्टम नहीं था ऋग्वेद
में कई तरह की क्राफ्ट्स कमेंशन भी किया गया है जैसे कारपेंटर चेरियट मकर वाइबर पॉटर लेदर वर्कर्स गैंबलिंग पॉपुलर पेस्ट टाइम थे कॉपर और ब्रोंज के लिए पता चला है की इस आगे में इनका उसे किया जाता था हालांकि आयरन टेक्नोलॉजी की उसे का कोई एविडेंस नहीं मिला है ट्रांसपोर्ट के लिए बुलक कार्ट्स हॉर्सेज और जॉन चेरियट का उसे किया जाता था और बोर्ड्स के भी कुछ रेफरेंस देखने को मिलते हैं तो दोस्तों यह तो बात हुई ऋग्वैदिक आगे की सोसाइटी की बेसिक एस्पेक्ट्स यानी पॉलीटिकल सोशल और इकोनॉमिकल एस्पेक्ट्स की इनके अलावा हर सोसाइटी का एक और
इंपॉर्टेंट एस्पेक्ट होता है रिलिजन जो बेसिकली हर सोसाइटी को पाठ प्रोवाइड करता है राग वैदिक रिलिजन राग वैदिक आर्यांस मेली नेचुरल फोर्सेस जैसे अर्थ फायरविंड रेन और थंडर को वरशिप करते थे इन नेचुरल फोर्सेस को डिफरेंट गॉड्स के रूप में देखा जाता था और इन्हीं की पूजा की जाति थी यज्ञ के मध्य से ही इनकी पूजा की जाति थी आइडियल वरशिप और टेंपल्स एक्जिस्टेंस में नहीं थे प्रेयर्स और सेक्रेफिसिस ही वरशिपिंग का डोमिनेट मोड थे यहां ये जानना जरूरी है की आर्यांस गॉड्स को वरशिप स्पिरिचुअल अपलिफ्टमेंट के लिए नहीं किया करते थे
बल्कि प्रजा पशु फूड के लिए किया करते थे ऋग्वेद में वरशिप की जान वाली कुछ देते इस प्रकार हैं जो आर्यन सोल्जर को लीड करते थे डेमोंस के खिलाफ इंटरमीडिएट का रोल प्ले करती थी ऐसा माना जाता है की यज्ञ के समय दी जान वाली आहुति की स्मोक सीधे गॉड्स के पास पहुंचती हैं वरुण जो की तीसरी सबसे इंपॉर्टेंट गॉड मैन जो स्टॉर्म का प्रति एक इंपॉर्टेंट थी जिनको कई हिम्स में मेंशन किया गया है यह सभी नेचुरल फोर्सेस थे जिन्हें दी टी माना गया और साथ ही ह्यूमन एक्टिविटीज भी इनको असाइन की गई इनके अलावा कुछ वूमेन डिमिनिटीज भी थी जैसे अदिति और उषा लेकिन
ऋग्वेद में इनका प्रॉमिनेंस देखने को नहीं मिला फेमस गायत्री मंत्र अटरीब्यूट किया इंर्पोटेंस दिया जाता था कुछ डेमी गॉड यानी अक्षर का मेंशन भी देखने को मिलता है जैसे गंधर्वश अप्सरस आर्यमान ईटीसी तो दोस्तों इस कहानी में हमने देखा अर्ली वैदिक आगे यानी राग वैदिक आगे के बड़े में हमने समझा की किस तरह आर्यांस ने इंडियन सबकॉन्टिनेंट में माइग्रेट किया ना की एक इनवेडर के रूप में बल्कि सेटलमेंट के परपज से और इंडियन असिएंट हिस्ट्री के एक सबसे इंपॉर्टेंट फैज की शुरुआत की आज के मैच्योर इंडियन कलर के फाउंडेशन स्टोन इसी
पीरियड में रखा गया लिटिल वैदिक आगे वैदिक आगे 1500 ई से 500 ई तक चली जिसे दो पार्ट्स में डिवाइड किया गया है अर्ली वैदिक आगे और लेटर वैदिक आगे अर्ली वैदिक आगे 1500 ई से लगभग सोसाइटी के बेसिक ट्रेड्स जैसे सोशल पॉलीटिकल इकोनामिक फीचर्स के बड़े में और फाइनली यह देखेंगे की किस तरह इस आगे को एक ट्रांजिशन स्टेज के रूप में देखा जा सकता है जिसमें इंडियन सोसाइटी प्रिमिटिव लाइफस्टाइल से सोशल ऑर्डर प्रॉपर स्टेटस में तब्दील हुई देखते हैं लीडर वैदिक आगे में कैसे एक्सपेंशन हुआ एक्सपेंशन इन लीटर वैदिक आगे लाइट वैदिक
पीरियड की हिस्ट्री मेली उन वैदिक टेक्स्ट पर बेस्ड है जो ऋग्वेद के बाद कंपोज हुए राग वैदिक सभ्यता सबसे ओल्डेस्ट वैदिक टेक्स्ट है जिसके आधार पर हमें अर्ली वैदिक पीरियड के बड़े में जानकारी मिलती है वैदिक हिम्स और मंत्र को संहिता बोला जाता है इसको रिसाइट करने के लिए और तूने के साथ मिलने के लिए कुछ मोडिफिकेशन हुए जिसको सामवेद नाम दिया गया और अथर्ववेद का कंपोजिशन भी इसी पीरियड में हुआ ब्रह्मनास भी इसी पीरियड में कंपिल हुए जिम रिचुअलिस्टिक फॉर्मुलस और रिचुअल्स का सोशल और रिलिजियस मीनिंग बताया गया यह सारे टैक्स
में 1000 से 500 ई के बीच कंपिल हुए एक्सटेंशन दिगिंग और एक्सप्लोरेशन के बाद इस रीजन में करीब 700 प्रिंटेड ग्रे वेयर यानी पग सीड्स मिली हैं जिसमें अधिन्स और डिशेज मिली इस रीजन में आयरन वेपंस का उसे भी किया जा रहा था वैदिक टेक्स्ट से मालूम पड़ता है की आर्यांस पंजाब से लेकर लगभग पूरे वेस्टर्न अप में गंगा यमुना द्वीप में एक्सपेंड कर चुके थे भारत और पुरुष ने मिलकर एक नई ट्राइब गुरु को फॉर्म किया पर रीजंस को कैप्चर किया इस एरिया को कुरुक्षेत्र यानी लैंड ऑफ क्रम कहा जान लगा सेंट्रल द्वारा में रहने वाले पांचलस के
साथ एकजुट होकर पूरे रीजन में रूल सेटअप किया आज के हिसाब से यह रीजन बरेली बदायूं और फर्रुखाबाद एरिया में आता है हस्तिनापुर को कैपिटल अनाउंस किया गया जो की मेरठ जिला में है लीटर वैदिक टाइम्स में लोगों को बर्नी ब्रिक्स की जानकारी नहीं थी मोस्टली मैड हाउसेस ही बनाए जाते थे पीरियड के और होते होते करीब 500 ई में इस पीरियड के लोग फरदर ईस्ट यानी गौशाला जो की पूर्वी अप में है और विधेहा जो की नॉर्थ बिहार में है तक एक्सपेंड कर गए वो जहां भी गए उन्हें कॉपर इंप्लीमेंट्स ब्लैक और रेड और पोट्स और उबर और रेड कलर
पोट्स इस्तेमाल देखने को मिलता है आयन का पहले उसे इंडिया में करीब 1500 ई में कर्नाटक और राजस्थान में कॉपरस्टोन आगे के समय देखने को मिला इसके बाद वैदिक पीरियड के और होते होते आयन की नॉलेज पूर्वी अप और विधेहा में स्प्रेड हुई वैदिक टेक्स्ट में इसको श्याम और कृष्णा आया यानी ब्लैक मेटल बोला गया है आगे बढ़ते हैं और देखते हैं लीटर वैदिक पीरियड के पॉलीटिकल सोशल और इकोनामिक लाइफ के बड़े में सबसे पहले पॉलीटिकल लाइफ पॉलीटिकल लाइफ लेटर वैदिक पीरियड में बड़े किंग्डम्स की शुरुआत हुई और जनपद और राष्ट्र रस का राइस हुआ यह
टर्म पहले बार इसी पीरियड में उसे किया गया किंग यूजुअली एक क्षत्रिय वर्ण से बिलॉन्ग करता था और मनक ऑलमोस्ट हेरेडिटरी पोजीशन हो चुकी थी इलेक्शन के कुछ इंस्टेंस मिले हैं पर हेरेडिटरी किंशिप इमरजेंसी में था ग्रैजुअली सोशल ऑर्डर को कंट्रोल करना भी किंग का ही फंक्शन बन गया था किंग को कई तरह के नेम से एड्रेस किया जाता था जैसे नॉर्थ में विराट ईस्ट में सम्राट वेस्ट में स्वराज और साउथ में भोज किंग का इन्फ्लुएंस कई तरह के रिचुअल्स के करण स्ट्रांग होता गया जैसे राजसूय सैक्रिफिस जिसको करने से ऐसा माना जाता था
की किंग को सुप्रीम पावर मिलती थी अश्वमेध जिसमें रॉयल हॉर्स दौड़ता था और जितनी टेरिटरी कर करता था उसे पर किंग का उन क्वेश्चन कंट्रोल होता था इन रिचुअल्स के मध्य से किंग अपनी पावर और प्रेस्टीज का प्रदर्शन करता था लीटर वैदिक पीरियड में ट्रबल असेंबलीज ने अपना इंर्पोटेंस को दिया और इसकी जगह रॉयल पावर में मल्टीफोल्ड इंक्रीज हो गया सोशल लाइफ लेटर वैदिक सोसाइटी कर वर्णस में डिवाइडेड थी और और तक यह डिस्टिंक्शन रिगिड हो चुका था इस पीरियड में कल्ट उभरकर आया जिनके करण ब्रह्मनास की इंर्पोटेंस और बाढ़ गई क्योंकि
सैक्रिफिसेज के लिए की जान वाली रिचुअल्स ब्रह्मनाजी किया करते थे एग्रीकल्चर से रिलेटेड फेस्टिवल्स को भी ब्रह्मनाजी ऑफिशल करते थे ऊपर के तीन वर्णस में एक आम फीचर था अपना ना यानी सीक्रेट थ्रेड को पहनना विद वैदिक मंत्र लीडर वैदिक पीरियड में कुछ क्राफ्ट ग्रुप जैसे रथकराज को एक स्पेशल स्टेटस दिया जाता था और यहां तक की उन्हें सीक्रेट थ्रेड पहने की परमिशन भी थी इससे पता चला है की सोशल मोबिलिटी पॉसिबल थी चौथ वर्ण यानी शुद्रास को सीक्रेट थ्रेड पहनना अलाउड नहीं था इसी पीरियड में ही शुद्रास पर सोशल डिसेबिलिटीज को इंफोर्स
करना चालू हुआ जो प्रिंस क्षत्रिय या राजनय ऑर्डर से बिलॉन्ग करता था बाकी तीन वर्णस पर अपनी पावर असोर्ट करता था फैमिली इसमें पैट्रिमोनियल सिस्टम यानी अथॉरिटी ऑफ फादर डेवलप हुआ और वूमेन को जनरली लोअर पोजीशन में रखा जाता था की कुछ वूमेन थियोलोजेंस फिलोसॉफिकल डिस्कशन में बात लेती थी और कुछ क्वींस भी कोरोनेशन सेरेमनी में पार्टिसिपेट करती थी लेकिन जनरली वूमेन को मानसी इनफीरियर और सबोर्डिनेट ही माना जाता था सती और चाइल्ड मैरिज के भी कुछ इंस्टेंस मिले हैं गोत्र स एन इंस्टीट्यूशन लेटर वैदिक आगे में ही अपर हुआ उसे समय गोत्र
का मीनिंग एक ऐसी जगह जहां पर एक क्लांस से बिलॉन्ग करने वाली साड़ी कैटल को रखा जाता था लेकिन समय के साथ हो गया से गोत्र से बिलॉन्ग करने वाले परसंस की मैरिज नहीं प्रैक्टिस की जाति थी ब्रह्मचारी रिटायरमेंट और सन्यास यानी कंप्लीट रिटायरमेंट फ्रॉम डी वर्ल्ड लीटर वैदिक टेक्स्ट में फोर्थ स्टेज टूल्स की बात करें तो आयन टूल्स काम ही ऑप्शन की मदद से पुलाव का इस्तेमाल किया गया रिचुअल्स का डिटेल डिस्कशन किया करते थे आगे चलकर ऐवेंंचुअली प्लानिंग लोअर ऑर्डर्स को असाइन कर दिया गया वैदिक पीपल का प्रॉमिनेंट प्रोडक्शन बार्ली ही
था लेकिन लेटर वैदिक पीपल की के क्रॉप्स अब वही यानी राइस और गोधूम यानी वीट हो चुकी थी कई तरह के लेंटाइल्स का प्रोडक्शन भी किया जाता रहा एग्रीकल्चर प्रिमिटिव मेथड से होते हुए भी उसका वाइड प्रोविंस पर कोई डाउट नहीं है अब बात करते हैं है इस पीरियड में हमें स्मिथ और स्मेल्टर्स के बड़े में सुनने को मिलता है शुरुआत से ही वैदिक पीपल कॉपर से फैमिलियर रहे वेस्टर्न अप और बिहार में कॉपर टूल्स मिले हैं जिससे पता चला है की कॉपर स्मिथ इस पीरियड में थे इनका उसे आर्नामेंट्स और वार और हंटिंग के लिए किया जाता था वीविंग
मेली वूमेन तक कन्फाइंड थी लेकिन वाइड स्किल में प्रैक्टिस की जाति थी लीटर वैदिक पीपल कर तरह की पॉटरी से परिचित थे ब्लैक और रेड वेयर प्रिंटेड वैदिक टेक्स्ट में देखने को मिलता है जिसको टाउन के सेल्स में उसे किया एक्सचेंज मेली बटर में ही होता था लेकिन निष्क एक कन्वेनिएंट यूनिट ऑफ वैल्यू की तरह उसे होता था लीटर वैदिक पीरियड में टैक्स और ट्रिब्यूट्स का कलेक्शन कंपलसरी था और संघर्षरी के द्वारा कलेक्ट किया जाता था दोस्तों अर्ली वैदिक पीरियड की तरह यहां पर भी रिलिजन को समझना जरूरी है क्योंकि रिलिजन के थ्रू सोसाइटी के कलर को
समझना आसन होता है तो आई चलते हैं रिलिजन की और लाइट वैदिक आगे रिलिजन अर्ली वैदिक आगे के दो सबसे इंपॉर्टेंट गॉड्स इंद्र और अग्नि का इंर्पोटेंस इस आगे में खत्म हो गया इनके स्थान पर प्रजापति यानी डी क्रिएटर ने इस आगे में सुप्रीम पोजीशन जेन कर ली कुछ ऐसे प्रॉमिनेंट हो गए जैसे रुद्रा गॉड ऑफ एनिमल्स के करण गॉड को वरशिप किया जाता रहा लेकिन मोड ऑफ वरशिप में सब्सटेंशियल चेंज देखने को मिला प्रेयर्स अभी भी रिसाइट की जाति थी पर वरशिप का डोमिनेट मोड नहीं थी इस कलर का एक कॉर्नरस्टॉर्म था कलर ऑफ सैक्रिफिसेज और ये कल्ट कई तरह के रिचुअल्स और
फॉर्मूला से भारत हुआ था सेक्रेफिसिस का इंर्पोटेंस अब सोसाइटी में बाढ़ गया था सैक्रिफिसेज दो तरह की होती थी पब्लिक और डोमेस्टिक पब्लिक सैक्रिफिसेज में किंग और साड़ी कम्युनिटी शामिल होती थी इंडिविजुअल लेवल पे हाउसहोल्ड में भी सैक्रिफिस की जाति थी जो की डोमेस्टिक सैक्रिफाइस थी सैक्रिफिस में बड़े स्केल में एनिमल्स की कलिंग इंवॉल्वड होती थी स्पेशली कैटल वेल्थ सैक्रिफिस करने वाले को यजमान कहते थे जो यज्ञ को करता था और गेस्ट को घोघना कहते थे कुछ इंपॉर्टेंट या गैस थे अश्वमेध बाजपेया और राजसूय जिनका साइनिफिकेंस हम देख चुके
हैं प्रीस्टले नॉलेज और एक्सपट्र्स की मोनोपोली ब्राह्मण ने बना राखी थी सेक्रेफिसिस को पूरा करने के लिए उनको अच्छा रिवॉर्ड भी दिया जाता था कोस गोल्ड क्लॉथ और हॉर्सेज दक्षिणास के रूप में दिए जाते थे कई बार तो प्लीज दक्षिण के रूप में टेरिटरी का एक पोषण भी मांग लिया करते थे लेकिन ऐसी कोई भी डिमांड को ग्रैंड किया जान का एविडेंस नहीं मिला है कंक्लुजन तो दोस्तों हमने लीटर वैदिक आगे के डिफरेंट एस्पेक्ट्स पर बात की इस पीरियड में सोसाइटी के लोग सेमी नोमेडिक की जगह सेटल्ड लाइफ जीने लगे थे लीटर वैदिक पीरियड के और में हमें प्रिंसली
क्लास के डोमिनेशन के खिलाफ स्ट्रांग रिएक्शन देखने को मिला उपनिषद में आत्मा यानी सेल्फ की नॉलेज पर इम्फैसीज किया गया जो इंपॉर्टेंट चेंज देखने को मिले जैसे इसी पीरियड के और में टेरिटोरियल किंग्डम्स की शुरुआत हुई अंदर क्षत्रिय रुलर्स अर्ली वैदिक टाइम्स की प्रीडमिंताली पेस्टोरल सोसाइटी अब एग्रीकल्चरल सोसाइटी हो चुकी थी ट्राईबल पोस्टर लिस्ट अब फार्मर्स में कन्वर्ट हो चुके थे ट्राइब्स का एक के होता था जिसको राजा या जनपद का जाता था यह के ट्राईबल प्रेजेंटरी के एक्सपेंड पर गो होते रहे और प्रीस्ट को रिवॉर्ड किया करते थे जो उनका
सपोर्ट करते थे आम पीपल यानी वैश्य को गबन करने में शुद्रास अभी भी एक स्मॉल सर्विंग ऑर्डर था ओवरऑल अगर देखें तो लीटर वैदिक आगे की सबसे इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट यह थी की वह एक ट्रबल सोसाइटी से एक वर्ण के आधार पर डिवाइडेड सोसाइटी में तब्दील हो गई थी जैनिज्म आज मैं आपको इंडियन असिएंट हिस्ट्री के ऐसे दौड़ से परिचय करने वाला हूं जिसने इंडियन सोसाइटी को बादल कर गहन प्रभाव छोड़ बल्कि पॉलीटिकल सेटअप और एवं इकोनामी को भी इंपैक्ट किया इसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है गांधीजी की बेसिक एडोलॉजी ऑफ नॉन वायलेंस को यही
से प्रेरणा मिली दोस्तों यह कहानी है सिक्स्थ और फिफ्थ सेंचुरी ई की जब असिएंट हिस्ट्री का वैदिक कलर अपनी चर्म सीमा पर पहुंच चुका था लोग यानी पुरोहित वर्ग और रिचुअल्स के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे इस्पेशली पांचाल और विद्य में जहां सिक्स हंड्रेड बी सी के आसपास उपनिषद को कंपिल किया जा रहा था इन फिलोसॉफिकल टेक्स्ट में रिचुअल्स को क्रिटिसाइज किया गया वैदिक फैज और में कई इंपॉर्टेंट चेंज देखने को मिले जैसे टेरिटोरियल किंग्डम्स की शुरुआत हुई जिन्हें जनपदाश्त बोला जाता था यह जनपद क्षत्रिय रोलर के अंदर में थे
युद्ध का मकसद अब केवल कैटल को कैप्चर करने तक सीमित नहीं था बल्कि टेरिटरी कैप्चर करना भी वार का एक इंपॉर्टेंट एस्पेक्ट था महाभारत वार भी इसी पीरियड की बताई जाति है पेस्टोरल सोसाइटी यानी चरवाहे अब एग्रीकल्चर सोसाइटी में कन्वर्ट हो रहे थे ऐसी दूर में मिड गंगेटिक प्लेन में कई रिलिजियस सेक्स अर्थात संप्रदायियों का उदय हुआ कुछ एस्टीमेट के हिसाब से करीब 626 राइस हुए इनमें से सबसे इंपॉर्टेंट करेंगे और ये डिवीजन धीरे-धीरे विजिट होता चला गया नेचरली इस वर्ण व्यवस्था से सोसाइटी में टेंशन फैली हुई थी इसकी चलते वैश्य और
शुद्रास के क्या रिएक्शन रहे ये पता लगा पन मुश्किल है लेकिन क्षत्रिय वर्ण ने जरूर ब्राह्मण डोमिनेशन के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया इन्होंने वर्ण व्यवस्था में बर्थ के इंर्पोटेंस को लेकर एक प्रकार के प्रोटेस्ट मूवमेंट को चालू किया क्षत्रिय का यही स्ट्रांग रिएक्शन नए रिलिजियस के ओरिजन का एक करण रहा लेकिन न्यू रिलिजियस के राइस का रियल कॉस्ट था नॉर्थ पूर्वी इंडिया में एक नई तरह की एग्रीकल्चर इकोनॉमिकल स्प्रेड होना 6th सेंचुरी ई के और होने तक पूर्वी अप नॉर्थ और साउथ बिहार में आयरन का इस्तेमाल शुरू हुआ जिसके चलते डांस फॉरेस्ट को
क्लियर करना आसन हो गया और बड़े स्केल में लोग यहां रहने लगे और यहां से व्हाइट स्प्रेड एग्रीकल्चर की शुरुआत हुई 500 ई के आसपास नॉर्थ ईस्ट इंडिया में बड़ी मंत्र में सिटीज बचाना चालू हुई जैसे कौशांबी कुशीनगर वाराणसी वैशाली चिरंत तारा दी पाटलिपुत्र राजगीर और चंपा वर्धमान महावीर इनमें से कई सिटीज से एसोसिएटेड रहे सबसे पहले इसी दूर में ट्रेड और कॉमर्स में कोइंस का उसे किया जान लगा जो की पंचमार्ग वैरायटी के कोइंस थे कोइंस के उसे से ट्रेड में अच्छी ग्रोथ हो रही थी जिसकी चलते वेश्याज की इंर्पोटेंस सोसाइटी में बढ़ाने लगी नेचरली
वैश्य वर्ण ने ऐसे रिलिजन को खोजना चालू किया जो उनकी सोशल पोजीशन को इंप्रूव कर सके इसीलिए उन्होंने महावीर का सपोर्ट किया उनके सपोर्ट के कई करण रहे पहले जैनिज्म ने शुरुआत में वर्ण व्यवस्था को इंर्पोटेंस नहीं दी दूसरा जैनिज्म में नॉन वायलेंस की बात की गई जिससे वर्स और हो जाते और ट्रेड और कॉमर्स में तीसरा ब्रह्मनिकल डॉ बुक्स जैसे धर्मसूत्र में मनी लैंडिंग की निंदा की गई इसके करण ट्रेडर्स को नीची नजर से देखा जान लगा और इसी करण ट्रेडिंग क्लास अपना सोशल स्टेटस इंप्रूव करने के लिए नए रिलिजन की खोज करने लगी
दूसरी और सोसाइटी के ओल्ड फैशन लोग पुरानी लाइफ की डिमांड करने लगे जैसे मॉडर्न टाइम्स में इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के दौरान पुराने लोग चेंज को एक्सेप्ट नहीं कर का रहे थे नया क्लॉथिंग पैटर्न प्राइवेट प्रॉपर्टी और नए तरह के घर उन्हें रेस नहीं ए रहे थे और वह प्रिमिटिव लाइफस्टाइल जाते थे जैनिज्म में सिंपल पूरे सैटेलाइट स्टाइल को इंर्पोटेंस दी गई जिससे लोग अट्रैक्ट होने लगे यही सब करण रहे की जैनिज्म जैसे न्यू रिलिजियस प्रोमाइजिंग लगे लगे और इनका राइस होना इजी हो गया वर्धमान महावीर दोस्तों वर्धमान महावीर
जैनिज्म के रियल फाउंडर मैन जाते मान्यताओं के अनुसार उनके सबसे इंपॉर्टेंट रिलिजियस टीचर महावीर के 23 थे जिन्हें तीर्थंकर बोला जाता है जेनस का मानना है की जैनिज्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव थे और उन्होंने ही जैनिज्म को एस्टेब्लिश किया ऋषभदेव अयोध्या के मैन जाते हैं अगर महावीर को 24th तीर्थंकर माना जाए तो जैनिज्म का ओरिजन करीब 9th सेंचुरी ई तक चला जाएगा जबकि अयोध्या का सेटलमेंट 500 ई में स्टार्ट हुआ इसीलिए ऋषभदेव के एक्जिस्टेंस की हिस्टॉरिसिटी एस्टेब्लिश कर पन मुश्किल है बाकी सभी तीर्थंकरों की हिस्टॉरिसिटी भी
एक्सट्रीमली डाउटफुल है जो की 23 तीर्थंकर थे वो बनारस के थे रॉयल लाइफ को आबंदों किया और एक स्टिक यानी तपस्वी बन गए लेकिन इतिहासकारों की मैन तो पार्श्व के इस स्पिरिचुअल सक्सेसर वर्धमान महावीर ही जैनिज्म के रियल फाउंडर हैं महावीर की बर्थ और डेथ की एग्जैक्ट डेट्स का पता लगाना संभव नहीं है लेकिन एक ट्रेडीशन की मैन तो उनकी बर्थ ₹540 ई में वैशाली में हुई जो की आज के हिसाब से बिहार के वैशाली जिला में है उनके फादर सिद्धार्थ क्षत्रिय कलन के हिट थे और उनकी मदर त्रिशला लिच्छवी के चेतन की सिस्टर थी चेतन की डॉटर की मैरिज बिंबिसार से हुई
इससे यह तो साफ है की महावीर की फैमिली मगध की रॉयल फैमिली से जुड़ी हुई थी जिसकी मदद से उनको प्रिंस और नोबल्स तक अपनी अप्रोच पहचाने में आसानी हुई शुरुआत में महावीर एक गृहस्थ जीवन जीते रहे पर ट्रुथ को ढूंढने और समझना की र पर उन्होंने 30 साल की आगे में दुनिया का तय दिया और एक तपस्वी बन गए जीवन के 12 साल उन्होंने केवल भ्रमण करते हुए निकले विलेज और टोंस में कुछ दिन के अलावा नहीं रुकते थे इन 12 सालों की लंबी जर्नी में ऐसा कहा जाता है की उन्होंने कभी कपड़े नहीं बदले और 42 साल की उम्र में जब उन्होंने केवला यानी
19 को का लिया तब उन्होंने पुरी तरह से कपड़ों का त्याग कर दिया कैवल्या की मदद से उन्होंने मिश्री और हैप्पीनेस को कोंगकर किया इसी कॉक्वेस्ट के करण उन्हें महावीर यानी ग्रेट हीरो या जीना यानी कॉनकॉरर ऑफ वन सेल्फ बोला गया और उनके फॉलोअर्स को जिनस 30 साल तक महावीर ने अपने रिलिजन को प्रोपागेट किया एक्सपेंड किया और ये मिशन उनको कौशल मगध मिथिला और चंपा जैसी सिटीज में ले गया 468 ई में 72 साल की आगे में पावापुरी में उनकी डेथ हो गई यानी वो निर्वाण को प्राप्त हो गए बिहार के राजगीर नालंदा जिला में यह जगह है दोस्तों आगे बढ़ते हैं
और जैनिज्म यानी सिद्धांतों पर एक नजर डालते हैं डॉक्टर इन जैनिज्म जैनिज्म में 5 सिद्धांतों की बात कहीं गई है डू नोट कम वायलेंस यानी हिंसा मत करो दो नोट तेल अलाइव यानी झूठ मत बोलो डू नोट स्टील यानी चोरी मत करो दो नोट हॉट यानी संचय मत करो ऑब्जर्व कंटीन्यूअस यानी ब्रह्मचर्य को अपनाओ ऐसा कहा जाता है की सिर्फ पांचवा सिद्धांत यानी ब्रह्मचर्य ही महावीर ने एड किया बाकी कर उन्होंने पिछले तीर्थंकरों से लिए जैनिज्म का सबसे इंपॉर्टेंट डॉक्टर था अहिंसा यानी नॉन इंजरी तू लिविंग अपने फॉलोअर्स से बॉडी के अपर और लोअर
पोर्शंस को कर करने को कहा जब की महावीर ने अपने फॉलोअर्स को कपड़े कंपलीटली आबंदों करने के इंस्ट्रक्शन दिए इससे पता चला है की महावीर ने अपने फॉलोअर्स को ज्यादा स्ट्रिक्ट और सीधा सदा जीवन जीने को कहा कई रीजंस में से एक यह भी करण की आगे चलकर जैनिज्म दो सेक्स में डिवाइड हो गया श्वेतांबर जो व्हाइट कपड़े पहने लगे और दिगंबर जिन्होंने कपड़ों का त्याग किया जैनिज्म ने गॉड की एक्जिस्टेंस को रिकॉग्नाइज्ड किया लेकिन उन्हें जीना की श्रेणी से नीचे ही रखा वर्ण सिस्टम को जैनिज्म ने एकदम कंडोम नहीं किया जी तरह बुद्धिस्म ने किया महावीर के अनुसार एक
परसों का अपार और लोअर वर्ण में बर्थ होना उसके पिछले जन्म में किया गए साइंस और वर्चस पर डिपेंडेंट था इसका मतलब महावीर थ्योरी ऑफ कर्म में बिलीव करते थे महावीर के ओपिनियन में लोअर कास्ट के लोग पूरे और मेरीटोरियस लाइफ जीते हुए लिबरेशन यानी मुक्ति का सकते थे फ्रीडम फ्रॉम वर्ल्डली दुनियादारी से मुक्ति जैनिज्म का मीन मोटिव था स्पष्ट है की महावीर लिबरेशन ऑफ सोल की बात कर रहे थे ऐसा करने के लिए किसी भी तरह के रिचुअल्स की जरूर नहीं थी और राइट एक्शन के थ्रू इसको पाया जा सकता था इनको जैनिज्म का त्रिरत्न कहा जाता है
स्प्रेड ऑफ जैनिज्म जैनिज्म को स्प्रेड करने के लिए महावीर ने एक फॉलोअर्स के ऑर्डर या ग्रुप को तैयार किया जिसमें मां और वूमेन दोनों को एडमिट किया जा सकता था प्रकृति लैंग्वेज का उसे करके महावीर ने अपनी टीचिंग्स को आम लोगों तक पहुंचा ऐसा कहा जाता है की उनके करीब 14000 फॉलोअर्स थे जो की एक बहुत बड़ी संख्या नहीं है जैनिज्म अपने आप को ब्रह्म मेडिकल रिलिजन से किसी खास तोर पर डिफरेंशिएट नहीं कर पाया यही करण रहा की वो मैसेज को अट्रैक्ट नहीं कर पाया इसके बावजूद साउथ और वेस्ट इंडिया में ग्रैजुअली स्प्रेड होता रहा
मेडिकल रिलिजन थोड़ा वीक था एक ट्रेडीशन की मैन तो कर्नाटक में जैनिज्म के स्प्रेड का करण चंद्रगुप्त मौर्य रहे जो मौर्य अंपायर के फर्स्ट रोलर थे पर इसका कोई हिस्टोरिकल एविडेंस नहीं दूसरा करण मगध में हुए ग्रेट फेम को बताया जाता है जो महावीर की डेथ के दो साल बाद हुआ 18 साल तक चला इससे बचाने के लिए जिनस का एक ग्रुप साउथ इंडिया में माइग्रेट कर गया भद्रबाहु की लीडरशिप में इन्हीं के द्वारा साउथ इंडिया में जैनिज्म का स्प्रेड हुआ बच्चे हुए लोग मगध में ही रहे स्थल बहू की लीडरशिप में खत्म होने के बाद दोनों ग्रुप
में डिफरेंस क्रिएट हो गए जैनिज्म के बेसिक कॉन्सेप्ट्स को लेकर इन डिफरेंस को रिजॉल्व करने के लिए और जैनिज्म की में टीचिंग्स को कंपिल करने के लिए एक काउंसिल को कन्वेंस किया गया पाटलिपुत्र में लेकिन साउथ से वापस आने वाले जेनर ने इस काउंसिल का बॉयकॉट किया इसके बाद से सदन ग्रुप को दिगंबरस और मगध ग्रुप को श्वेतांबर आज बोला जान लगा इस तरह से जैनिज्म दो सेक्स में डिवाइड हो गया दोस्तों यहां यह बताना जरूरी है की जैनिज्म की एक काउंसिल आगे चलकर ₹5280 में भी हुई शमशी रमन ने इसको प्रेसीडे किया था इस काउंसिल में 12
एंगल्स और 12 उपांगास को कंपिल किया गया जो जैनिज्म के इंपॉर्टेंट रिलिजियस स्क्रिप्चर्स हैं एपीग्राफिक एविडेंस यानी पूरा लेख के अनुसार कर्नाटक में जैनिज्म का स्प्रेड थर्ड सेंचुरी एड के बाद ही हुआ फिफ्थ सेंचुरी एड के बाद कई जैन मॉनेस्ट्रीज कर्नाटक में भी बनी जिन्हें बेसेडिस बोला जाता था कलिंगा उड़ीसा की बात करें तो यहां पर जैनिज्म का स्प्रेड फोर्थ सेंचुरी ई में हुआ फर्स्ट सेंचुरी ई में जैनिज्म को मिला तमिल नाडु के सदन डिस्ट्रिक्ट में इसका स्प्रेड सेकंड और फर्स्ट सेंचुरी ई में देखने को मिला आने वाली सेंचुरी में मालवा गुजरात और
राजस्थान में जैनिज्म स्प्रेड हुआ जहां आज भी इनकी एक सब्सटेंशियल पापुलेशन है यहां एक इंटरेस्टिंग बात सामने आई है भले ही जैनिज्म बुद्धिस्म के कंपैरिजन में रेपिडली स्प्रेड नहीं हुआ पर आज भी जैन पापुलेशन यहां बरकरार है जबकि बुद्धिस्म वर्चुअल डिसएप्ल हो गया दोस्तों एक नजर जैनिज्म के सोसाइटी में कंट्रीब्यूशन पर भी डालते हैं कंट्रीब्यूशन ऑफ जैनिज्म जैनिज्म ऐसा फर्स्ट सीरियस अटेंप्ट था जो वर्ण सिस्टम और विजुअल स्टिक वैदिक रिलिजन के खिलाफ लड़ाई लाड रहा था शुरुआती जेनस ने संस्कृत को डिस्कार्ड किया जो की ब्राह्मण
पेट्रोनज में थी उन्होंने आम पीपल की लैंग्वेज यानी प्रकृति को अडॉप्ट किया अपने डॉक्टर को प्रीच करने के लिए उनका रिलिजियस लिटरेचर अर्थ मगदी में लिखा गया जो की सिक्स्थ सेंचुरी एड में गुजरात की एक जगह वल्लभ ही में कंपिल हुआ इसके करण प्रकृति लैंग्वेज की ग्रोथ होने लगी प्रकृति लैंग्वेज से निकालकर कई रीजनल लैंग्वेज डेवलप होने लगी जैसे शौर्य जिससे मराठी लैंग्वेज में लिखे और इसकी फर्स्ट ग्रामर को संस्कृत में भी कई टेक्स्ट लिखे और आखिर में देखें तो कनाडा लैंग्वेज की ग्रोथ में भी इनका कंट्रीब्यूशन रहा आर्ट और आर्किटेक्चर में भी जैनिज्म का
योगदान रहा जैन आर्किटेक्चर शुरुआती दूर में बुद्धिस्ट और हिंदू आर्किटेक्चर के साथ ही डेवलप हुआ बाद की सेंचुरी में ये अपनी अलग पहचान बना पाया कई टेंपल्स को बिल्ड किया स्पेशली इन्वेस्टमेंट इंडिया उदयगिरि और खंडागिरी केव्स उड़ीसा चीन आर्किटेक्चर का अच्छा एग्जांपल है जिन्हें 193 से 170 ई में किंग खारवेल ने जैन मुनकर्स के लिए बनाया श्रवण बेल गोला की गोमतेश्वर स्टैचू को तो आप अच्छे से जानते ही हैं जो की वर्ल्ड की टॉलेस्ट मोनोलाइट स्टैचू है 11 से 13 सेंचुरी के बीच बने दिलवाले टेंपल्स राजस्थान डिक्लिन का जैनिज्म पहले यह की जैनिज्म ने
ब्राह्मण रिलिजन का अफेयर्स अपोजिशन किया जिसके चलते ब्राह्मण ने इसका बहिष्कार किया दूसरा करण था रिगोरोस प्रिंसिपल्स जो की बहुत ही स्ट्रिक्ट थे नॉनवाइलेंट के एक्सट्रीम प्रिंसिपल के चलते एग्रीकल्चर भी प्रोहिबिटेड था इसलिए एग्रेरियन लोग यानी मैसेज इसको एंब्रेस नहीं कर पे फास्टिंग रिनंसीएशन यानी त्याग तपस्वी जीवन जैसे हार्ट प्रिंसिपल्स जनरल हाउस होल्डर फॉलो नहीं कर सकता था तीसरा जो की सबसे में करण हो सकता है वह यह था की जैनिज्म को कभी पॉलीटिकल पेट्रोनज नहीं मिला जी तरह से कई रुलर्स जैसे अशोक कनिष्क एट सिटेरा बुद्धिस्म से अट्रैक्ट
हुए जैनिज्म ऐसे कोई रोलर को अट्रैक्ट नहीं कर पाया संगठन का ऑर्गेनाइजेशन अरेंजमेंट मोना की था इसके साथ ही जैनिज्म का दो सेक्स में डिवाइड होना भी इसके डिक्लिन का करण बना कंक्लुजन तो दोस्तों हमने देखा की किस तरह जैनिज्म कई तरह की पॉलीटिकल सोशल और इकोनामिक कंडीशंस के करण एक सेट के रूप में उभर कर आया और अल्टिमातली एक रिलिजन में कन्वर्ट हो गया महावीर जैसे महान तीर्थंकरों के स्ट्रांग आइडियल पर बेस्ड होने के करण माइनर पापुलेशन होने के बावजूद जैनिज्म इंडियन हिस्ट्री के हर एरा को सरवाइव करता हुआ आज भी इंडिया का
इंपॉर्टेंट रिलिजन है बुद्धिस्म दोस्तों आज मैं आपको ऐसे समय से अवगत करने वाला हूं जिसे इंडियन असिएंट हिस्ट्री का वाटरशेड मूवमेंट बोला जा सकता है यह कहानी है सिक्स्थ और फिफ्थ सेंचुरी ई की जब नॉर्थ इंडिया की गंगा यमुना में आर्यन कलर अपने पीठ पर पहुंच चुका था दोस्तों जैनिज्म के लेक्चर में हमने देखा की किस प्रकार इस दूर में कई तरह के रिलिजियस सेक्स कराई हुआ हमने देखा कैसे सोसाइटी की सोशल इकोनामिक और पॉलीटिकल कंडीशंस किसी भी रिलिजन के राइस होने का प्राइमरी करण होती हैं इन रिलिजियस सेक्स में से जैनिज्म के साथ बुद्धिस्म ऐसा दूसरा सेट
था जो इंडियन सबकॉन्टिनेंट में वाइडऐली स्प्रेड हो गया इन्फ्लुएंस आज आपको पूरे वर्ल्ड में देखने को मिलेगा कंपैरिजन के तोर पर देखें तो जैनिज्म इंडिया में ही कांफ्रेंस होकर र गया तो दोस्तों शुरू करते हैं डिस्कशन से कॉसेस ऑफ ओरिजन ऑफ बुद्धिस्म दोस्तों क्योंकि बुद्धिस्म और जैनिज्म लगभग एक ही समय पर राइस हुए इसलिए दोनों के ओरिजन के कॉसेस भी से ही थे संक्षिप्त में देखें तो लेटर वैदिक कलर में वर्ण सिस्टम का रिगिड स्ट्रक्चर और बर्थ पर बेस्ड होना न्यू रिलिजियस के राइस का एक करण बना दूसरा और सबसे में कोर्स था
मिड गंजेटिक प्लांस में व्हाइट स्प्रेड एग्रीकल्चर बेस्ड इकोनामी का राइस होना कोइंस के उसे से ट्रेड और कॉमर्स बढ़ाएं जिससे वैश्य का सोसाइटी में इंर्पोटेंस बढ़ता गया और वो अपनी सोशल स्टेटस बढ़ाने के लिए नए रिलिजियस की और आकर्षित हुए और फाइनली सोसाइटी के कंजरवेटिव लोग पुरानी लाइफस्टाइल की मांग करने लगे दोस्तों इन सभी प्वाइंट्स को आप डिटेल में जैनिज्म के वीडियो से कर कर सकते हैं आई अब हम बात करेंगे बुद्धिस्म के फाउंडर गौतम बुद्ध के बड़े में गौतम बुद्ध गौतम बुद्ध महावीर के कंटेंपरेरी थे उन्हें सिद्धार्थ और शाक्य मनी के नाम से भी जाना
जाता है एक ट्रेडीशन के अनुसार उनका बर्थ 567 ई में एक शाक्य क्षत्रिय फैमिली में कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ जो की नेपाल में है यह जगह आज अप के बस्ती जिला से कुछ ही दूरी पर है गौतम बुद्ध के फादर वास्तु के एक इलेक्ट लीडर मैन जाते हैं जो शाक्य कलन के हिट थे उनकी मदर माया देवी को सलाम डायनेस्टी की एक प्रिंस थी इससे की साफ है की बुद्ध एक नोबेल फैमिली से बिलॉन्ग करते थे और एक रिपब्लिक स्टेट में रहने के करण एगएलिटेरियन बिलीफ यानी समान अधिकार वादी थे बचपन से ही उनका मेडिटेशन से बड़ा लगाव था उनकी मैरिज अली आगे में ही हो गई थी लेकिन
उन्हें कभी मैरिड लाइफ में इंटरेस्ट नहीं रहा यहां पर फोर सीड्स के फेमस इंसिडेंट का जिक्र आता है बचपन की एक भविष्यवाणी में कहा गया की सिद्धार्थ या तो बुद्ध बनेंगे या फिर एक ग्रेट किंग अब उनके फादर ने उनको ग्रेट किंग बने की मंशा रखते हुए उन्हें पैलेस की लग्जरी में बैंड करके रखा 29 साल की आगे में जब पहले बार वो अपनी पैलेस से बाहर निकले तो उन्हें कर साइंस दिखाई दिए पहले उन्हें एक ओल्ड परसों दिखाई दिया जिसने उन्हें जिनके कंसीक्वेंसेस से अवगत कराया दूसरी सिम में उन्हें एक सिख परसों मिला जिसको कोई डिजीज थी उसने यह बताया की सारे
ह्यूमन बीइंग्स को डिजीज और पेन होना निश्चित है तीसरी सीन में उन्हें बताया की डेथ को रोकना इंसान के लिए नामुमकिन है जिसने अपने आप को ह्यूमन सफरिंग सर्च करने में देवोते किया 29 साल की आगे में ही उन्होंने अपने घर का त्याग कर दिया समाज के लोगों में फैली मिश्री से वो काफी इन्फ्लुएंस थे और उसका सॉल्यूशन ढूंढना चाहते थे 7 साल तक वह एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करते रहे और 35 साल की आगे में उन्होंने एक पीपल ट्री के नीचे इनलाइटनमेंट को पाया इसी करण से जागे का नाम बोधगया पड़ा जो की आज बिहार में है इसी के बाद उनको भी
इनलाइटें वन यानी बुद्ध कहा जान लगा अपनी इस लंबी जर्नी में उन्होंने लोगों से अपने इतिहास शेर करना चालू किया जिसे सलमान कहते हैं पहले सम्मान उन्होंने सारनाथ बनारस में दिया उनकी फिजिकल काफी स्ट्रांग थी जिसके करण वह एक दिन में ही काफी लंबी जर्नी करवाते थे सिर्फ बारिश के सीजन को छोड़कर वह लगातार घूमते रहते थे 40 साल तक यही सिलसिला चला रहा इस दौरान उन्हें दूसरे सेक्स की सपोर्टर जैसे ब्राह्मण भी मिले जिनको उन्होंने आसानी से डिबेट्स में डिफीट किया उनकी मिशनरी एक्टिविटीज ने कभी भी रिच और पुर हाय और लो मां और वूमेन में
डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जो उनके एगएलिटेरियन बिलीव्स का एक एग्जांपल है 487 पीसी में कुशीनगर में 80 साल की उम्र में उनकी डेथ हो गई यह जगह आज पूर्वी अप के देवरिया जिला की कासिया नाम की विलेज में है यहां यह जानना जरूरी है की सिक्स्थ सेंचुरी ई में बुद्ध के एक्जिस्टेंस का कोई आर्कियोलॉजिकल एविडेंस अभी तक नहीं मिला है कौशांबी श्रावस्ती वाराणसी वैशाली और राजगृह जैसी सिटी जिम बुद्ध की प्रेजेंस का दवा किया जाता है वो सभी फिफ्थ सेंचुरी ई के बाद ही अब नाइस हो पे दोस्तों आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं बुद्धिस्म की
डॉक्टर की डॉक्टर ऑफ बुद्धिस्म गौतम बुद्ध वास्तव में एक प्रैक्टिकल रिफॉर्मर थे जिन्होंने उसे समय की सोसाइटी की रियलिटी को एक्सेप्ट किया और उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी उन्होंने खुद को समाज की सामान्य समस्याओं से जोड़ा जो लोग डेली लाइफ में सफर कर रहे थे उनका यह मानना था की वर्ल्ड सोरों यानी की शोक से भारत हुआ है और लोगों की सफरिंग का में करण उनकी देसी नहीं है जहां पहुंच जा सकता है बल्कि यह एक एक्सपीरियंस है जिसको इसी लाइफ में पाया जा सकता है बुद्धिस्म में कोई भी सुप्रीम दे दी या गॉड को एस्टेब्लिश नहीं किया गया बुद्ध ने
ह्यूमन मिश्री को एलिमिनेट करने के लिए 8 फोल्ड पाठ यानी अष्टांग का मार्ग को रेकमेंड किया थर्ड सेंचुरी ई के टेक्स्ट में इस बात का मेंशन किया गया है इस 8 फोल्ड पाठ में इंक्लूड है राइट ऑब्जरवेशन यानी सम्यक दृष्टि राइट डिटरमिनेशन यानी सम्यक संकल्प राइट स्पीच यानी सम्यक वाणी राइट एक्शन यानी सम्यक क्रमांक राइट लाइवलीहुड यानी सम्यक आजीविका राइटर को फॉलो करेगा तो वह अपने आप को रिचुअल्स को फॉलो करने की निषेश से दूर रख पाएगा और निरवाना की और अग्रसर हो पाएगा और ऐसा करके वह अपने फाइनल डेस्टिनेशन को अपने में सक्सेसफुल हो पाएगा
इसके हिसाब से इंसान को लग्जरी और ऑस्ट्रेलिया के बीच में रहने के उपदेश दिए दोनों ही चीज एक्सेस में नहीं हनी चाहिए यही फिलासफी बुद्ध को महावीर से अलग बनती है जहां महावीर ने स्ट्रिक्ट को फॉलो करने को कहा बुद्ध ने अपने फॉलोअर्स के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट भी बनाया उसके प्रिंसिपल टेनिस कुछ इस प्रकार थे डू नोट कम वायलेंस यानी हिंसा मत करो डू नोट कर डी प्रॉपर्टी ऑफ आदर्श यानी दूसरों की संपत्ति की कामना मत करो डू नोट उसे इंटॉक्सिकेंस यानी मादक द्रव्यों का प्रयोग मत करो यानी झूठ मत बोलो डू नोट इंटेलिजेंस यौन
मिसकंडक्ट और एडल्ट्री यानी व्यभिचार से दूर रहे आप देखेंगे की यह टीचिंग्स हमें जैनिज्म में और बाकी सभी रिलिजियस में भी देखने को मिलती है बुद्ध के अनुसार हर इंसान खुद ही अपनी हैप्पीनेस के लिए रिस्पांसिबल होता है ये फीचर बुद्धिस्म की इंडिविजुअल्स कंपोनेंट को दर्शाता है दोस्तों जैनिज्म और बुद्धिस्म इसी दूर में राइस हुए तो एक नजर डालते हैं दोनों के डॉक्टर के डिफरेंस बुद्धिस्म साइकिल ऑफ बर्थ और डेथ में बिलीव करता है जो की सिर्फ निरवाना यानी इन लाइटनमेंट से ब्रेक हो सकता है जबकि जैनिज्म इंसान के गुड और बेड डीडीएस के
हिसाब से चला रहेगा जब तक लिबरेशन अचीव नहीं होता बुद्धिस्म में सन को डिफाइन नहीं किया गया है जबकि जैनिज्म में दूसरों को आम पहुंचाना सिम बताया गया है बुद्धिस्ट टीचिंग के अनुसार लाइफ को सफरिंग बताया गया है जो डिजायर्स के करण उत्पन्न होती हैं 8 फोल्ड पाठ को फॉलो करके इंसान इससे बैक सकता है जैनिज्म सभी लिविंग बीइंग्स की रिस्पेक्ट पर स्ट्रेस करता है और लिबरेशन का मध्य 5 वोवेल्स बताए गए हैं श्वेता ब्रश और दिगंबरस दोस्तों आगे बढ़ते हैं और देखते हैं बुद्धिस्म के फीचर्स और यह भी देखेंगे की किस तरह बुद्धिस्म का स्प्रेड हुआ
बुद्धिस्म ने गॉड और सोल के एक्जिस्टेंस को दिन किया और ये फीचर इंडियन रिलिजियस की हिस्ट्री में एक रिवॉल्यूशन की तरह देखा जा सकता है बुद्धिस्म ने वर्ण सिस्टम को अटैक किया जिसके करण वो लोअर क्रेटा के लोगों से अटैक पाया इसमें शुरुआती दूर में किसी भी तरह के फिलोसॉफिकल डिस्कशन को इनकरेज नहीं किया गया जिसके चलते आम आदमी इससे अट्रैक्ट हुए ब्रह्मैनिज्म के कंपैरिजन में बुद्धिस्म लिबरल और डेमोक्रेटिक रिलिजन के तोर पर उभर कर आया बुद्धिस्म ने पॅथीकुलरली नॉन वैदिक एरियाज के लोगों को अपील किया बुद्ध की पर्सनालिटी और उनकी प्रीचिंग के मैथर्ड के
करण बुद्धिस्म का स्प्रेड काफी तेजी से हुआ उन्होंने अपने अपोनेंट्स को टैकल किया उसने आम लोगों के बीच बुद्धिस्म के स्प्रेडमी कंट्रीब्यूट किया और बुद्ध ने रिलिजियस ऑर्डर यानी संघ को ऑर्गेनाइज किया जो हर तरह की कास्ट क्रीड और सेक्स के लोगों के लिए खुला था केवल अपने मास्टर्स की परमिशन के बाद ही जॉइन कर सकते थे संघ को जॉइन करने के लिए कॉन्टिनेंट यानी संयम पावर्टी और फिट होना जरूरी था तो ओवरऑल अगर देखा जाए तो बुद्धिस्म के तीन प्रिंसिपल एलिमेंट्स थे बुद्ध धर्म और संघ है ऑर्गेनाइज्ड प्रीचिंग और संघ की मदद से
बुद्धिस्म बहुत तेजी से प्रोग्रेस करने लगा मगध कौशल और कौशांबी जैसे कई रिपब्लिकन स्टेटस के रुलर्स और वहां के लोगों ने बुद्धिस्म को अपनाया बुद्ध की डेथ के 200 साल बाद अशोक ने बुद्धिस्म को इंप्रेस किया अशोक ने अपनी मिशनरी एक्टिविटीज से बुद्धिस्म को सेंट्रल एशिया वेस्ट एशिया और श्रीलंका तक पहुंचा और बुद्धिस्म को एक वर्ल्ड रिलिजन बना दिया बुद्धिस्म को ओरिजन जरूर इंडिया में रहा पर ये इंडिया से डिसएप्ल हो गया लेकिन साउथ एशिया साउथ ईस्ट एशिया कंट्रीज में फॉलो किया जाता है दोस्तों गौतम बुद्ध की डेथ के बाद उनकी
टीचिंग्स को कंपिल करने के लिए एक काउंसिल का गठन किया गया बुद्धिस्ट काउंसिल फर्स्ट काउंसिल किंग आजाद शत्रु के पेट्रोनज में 483 ई में हुई मोंक मा कश्यप ने इसको प्रेसीडे किया राज ग्रह के सत्यापन केवी में यह काउंसिल हुई बुद्ध की टीचिंग यानी सूट को प्रिजर्व करने और डिसीप्लस के रूल्स बनाने के लिए ये काउंसिल हुई इसी काउंसिल में बुद्ध की टीचिंग्स को तीन पीटकर्ज में डिवाइड किया गया महायान इसका लिटरल मीनिंग है ग्रेट बियर इसके अंतर्गत बुद्ध को गॉड की श्रेणी में रखा गया बुद्ध की आइडल वरशिप को इंर्पोटेंस दी गई महायान बुद्धिस्म नॉर्थ
इंडिया और कश्मीर में ओरिजिनल हुआ और बाद में सेंट्रल एशिया ईस्ट एशिया और साउथ ईस्ट एशिया में स्प्रेड हुआ चीन कोरिया डिबेट और जापान में इस बुद्धिस्ट स्कूल को फॉलो किया जाता है ही नहीं आना इसका लिटिल मीनिंग है लेस्बियन को इसमें बुद्ध की ओरिजिनल टीचिंग्स पर स्ट्रेस दिया गया आइडियल वरशिप को रिजेक्ट किया गया सेल्फ डिसिप्लिन और मेडिटेशन के थ्रू इंडिविजुअल साल्वेशन को अपने की बात कहीं गई तेरा वादा टीचिंग्स के सबसे करीब इसको माना जाता है श्रीलंका में इसका डेवलपमेंट हुआ और वहां से साउथ ईस्ट एशिया में मार श्री लंका और थाईलैंड में ये डोमिनेंट
है इसके काफी स्ट्रिक्ट रिचुअल्स को फॉलो किया जाता है इंपॉर्टेंट बुद्धिस्ट टेक्स्ट पर बुद्ध की टीचिंग लोक थी जिसको संघ के मेंबर्स ने मेमोरीज किया और स्पेशल ऑकेजंस में रेसिट किया फर्स्ट काउंसिल में 3 पेटिकाज में इसको डिवाइड किया गया और 25 ई में पाली लैंग्वेज में इनको लिखा गया पहले विनयपिका इसमें मोंक और नंस के लिए रूल्स ऑफ कंडक्ट और मॉनेस्टिक लाइफ में फॉलो किया जान वाले डिसिप्लिन को मेंशन किया गया है दूसरा पित्त का इसमें बुद्ध की में टीचिंग यानी धम्मू को एक्सप्लेन किया गया है इसको 5 निकाश में डिवाइड किया गया है
दोस्तों जैसा की हमने देखा की बुद्धिस्म इंडिया से डिसएप्ल हो गया ट्वेल्थ सेंचुरी के अंत तक बुद्धिस्म इंडिया से ऑलमोस्ट एक्सटिंक्ट हो गया दोस्तों कोई भी रिलिजन स्टार्ट होने का बेसिक करण स्पिरिट ऑफ रिफॉर्म होती है लेकिन समय के साथ वह रिचुअल्स और सेरेमनी के सामने झुक जाता है ब्रह्मीनिज्म के जिन इविल से लड़ाई लड़ते हुए बुद्धिस्म का राइस हुआ था वही उसके डिक्लिन का करण बना बुद्धिस्ट चैलेंज से लड़ने के लिए ब्राह्मण ने अपने रिलिजन को रिफॉर्म किया उन्होंने कैटल वेल्थ को प्रिजर्व करने की बात कहीं और वूमेन और शुद्रास को हेवन में
एडमिशन का शौर्य बुद्धिस्ट मार्क्स धीरे-धीरे मेंस्ट्रीम लोगों से क्यूट होते चले गए उन्होंने आम पीपल की लैंग्वेज यानी पाली को आबंदों कर दिया और संस्कृत को अपना लिया जो की इंटेलेक्चुअल की लैंग्वेज थी फर्स्ट सेंचुरी के बाद से ही मंगस ने आइडियल वरशिप प्रैक्टिस करना चालू कर दिया रिच ऑफिरिंग्स और रॉयल ग्राउंड्स के चलते बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज के मांस की लाइफ इसी हो गए कुछ मॉनेस्ट्रीज जैसे नालंदा ने करीब 200 विलेजर्स से रिवेन्यू कलेक्ट करना चालू कर दिया सेवंथ सेंचुरी तक बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज इस लविंग लोगों के
डोमिनेशन में ए गई और गौतम बुद्ध ने जिन करप्ट प्रैक्टिस को प्रोहिबिट किया इस का सेंटर बन गई इस नए तरह के बुद्धिस्म को बाजूराय ना बोला गया ब्राह्मण रोलर पुष्यमित्र शुंग ने बुद्धिस्ट को पर्सीक्यूशन किया इसी तरह की कई इंस्टेंस हमें हिस्ट्री में देखने को मिलते हैं जहां बुद्ध को इन लाइटनमेंट मिला ट्रैवलर क्वीन सॉन्ग के अनुसार करीब 1600 को डिस्ट्रॉय कर दिया गया और हजारों मंगस और फॉलोअर्स को मार दिया गया साउथ इंडिया में शाहिद और बेचे वाइस ने अर्ली मेडिकल एरा में जैन और बुद्धिस्ट दोनों को ही अपोज किया इन कनफ्लिक्ट के
चलते बुद्धिस्म वीक हो गया मॉनेस्ट्रीज के रिच होने के बाद तुर्किशों वेद स्पेशली इन्हीं को टारगेट करने लगे उन्होंने मॉनेस्टर्स को लूट और बुद्धिस्ट की एक बड़ी संख्या को मौत की घाट उतार दिया इन्हीं सब कर्म से ट्वेल्थ सेंचुरी तक बुद्धिस्म इंडिया से वर्चुअल दिसापियां हो गया लेकिन डिसएप्ल होने के बावजूद बुद्धिस्म ने इंडियन सोसाइटी और इकोनामी पर अपनी छाप छोड़ी आई जानते हैं नेक्स्ट क्षेत्र में साइनिफिकेंस ऑफ बुद्धिस्म पहले बात करते हैं इनिक्वालिटी और पावर्टी पर बुद्धिस्म के व्यूज की दोस्तों एग्रीकल्चर ट्रेडर्स और कोइंस के करण
ट्रेडर्स और नोबल्स ने अच्छी खासी वेल्थ जोड़ ली थी इसके करण सोसाइटी में सोशल और इकोनामिक इनिक्वालिटीज क्रिएट हो गई और वायलेंस जन्म लेट है इसीलिए पावर्टी का खत्म होना जरूरी है अब बात करते हैं वर्ण क्लासिफिकेशन के बेसिस की बुद्धिस्म के हिसाब से वर्ण क्लासिफिकेशन इंडिविजुअल एक्शन और क्वालिटीज पर बेस्ड था अनलाइक ब्रह्मीनिज्म जिनके लिए वर्ण क्लासिफिकेशन बर्थ पर बेस ठंडलाई बुद्धिस्म का मीन ऑब्जेक्टिव था साल्वेशन ऑफ डी इंडिविजुअल और निरवाना अब बात करते हैं स्टेटस ऑफ वूमेन और शुद्रास की बुद्धिस्म का वूमेन और सुधरस के लिए ओपन
होना सोसाइटी पर एक इंपॉर्टेंट इंपैक्ट कहा जा सकता है क्योंकि वूमेन और शुद्रास को हमेशा ही सिम कैटिगरी में रखा जाता था ब्रह्मैनिज्म में उन्हें वैदिक टेक्स्ट पढ़ने और सीक्रेट थ्रेड को पहने की आजादी नहीं थी और बुद्धिस्म में कन्वर्ट होते ही उन्हें इस इंफेरियारिटी मार्क्स से फ्रीडम मिला वही मैन्युअल लेबर की बात करें तो बुद्धिस्म ने मैन्युअल लेबर का विरोध नहीं किया इनफैक्ट बोधगया में मिले एक सेकंड सेंचुरी स्कल्पचर में बुद्ध को पुलाव करते हुए देखा गया है अब करते हैं कैटल की बात कैटल की इंर्पोटेंस पर स्ट्रेस देते हुए बुद्धिस्म
ने कंट्री की कैटल वेल्थ को बूस्ट किया़ताल को फूड ब्यूटी स्ट्रैंथ और हैप्पीनेस अर्थात अंदर प्रधान करने वाला डिक्लेअर किया और इसी करण उनकी प्रोटेक्शन पर स्ट्रेस दिया ब्रह्म मेडिकल फिलासफी में गांव की सेक्रेटनेस और नॉन वायलेंस की बात अपेरेंटली बुद्धिस्ट टीचिंग से ही इंस्पायर है अब बात करेंगे बुद्धिस्म में राशनलिज्म की दोस्तों बुद्धिस्म ने लोगों को सुपरस्टिशन से बाहर निकालकर लॉजिक और मेरिट के आधार पर अपने जजमेंट करने को कहा इसका मतलब बुद्धिस्म ने कहानी एन कहानी राशनलिज्म को प्रमोट किया वही बुद्धिस्म ने एक नई तरह
की लैंग्वेज संस्कृत को डेवलप किया जिसमें पाली और संस्कृत को ब्लेड किया गया सेंटर्स की तरह उभर कर आएं जिन्हें रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी भी कहा जा सकता है जैसे नालंदा और विक्रमशिला इन बिहार वल्लभ इन गुजरात बुद्धिस्म का इंडियन कलर में भी काफी कंट्रीब्यूशन रहा एक नजर डालते हैं कंट्रीब्यूशन तू इंडियन कलर बुद्धिस्म का सबसे इंपॉर्टेंट कंट्रीब्यूशन रहा कॉन्सेप्ट ऑफ अहिंसा जो आज भी इंडियन वालुज में दिखाई पड़ता है गांधीजी भी इससे प्रभावित रहे बुद्धिस्म ने असिएंट इंडिया के आठ पर अपना प्रभाव छोड़ इतिहासकारों की मैन तो इंडिया में वरशिप
की जान वाली फर्स्ट ह्यूमन स्टैचू प्रोबेबली बुद्ध की ही कहीं जा शक्ति है फैठफुल डायबिटीज ने बुद्ध की लाइफ इवेंट्स को स्टोन में पोटर किया बोधगया सांची और भारत में मिले बुद्धिस्ट आर्टिस्टिक एक्टिविटी का एक इल्यूमिनेटिंग एग्जांपल कहे जा सकते हैं गौतम बुद्ध की पैनल इमेज फर्स्ट सेंचुरी के बाद से ही हमको देखने को मिलती है स्कल्पचर्स ने मिलकर नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर में एक नई आर्ट को क्रिएट किया जो गांधार आठ के नाम से प्रचलित हुई मांस के रेजिडेंस के लिए रॉक्स में कट करके रूम बनाए गए जिसके बाद बर्बर हिल्स गया और वेस्टर्न इंडिया के नासिक के आसपास
की आर्किटेक्चर की शुरुआत हुई मथुरा में भी बुद्धिस्ट आर्किटेक्चर कंक्लुजन तो दोस्तों यह थी कहानी बुद्धिस्म के राइस और उसकी इंडिया पर इन्फ्लुएंस की ये सच है की बुद्धिस्म इंडिया से डिसएप्ल हुआ लेकिन सराहनीय है की वर्ल्ड में आज भी बुद्धिस्म एक इंपॉर्टेंट रिलिजन है सिर्फ बुद्धिस्म में ही नहीं बुद्ध की टीचिंग्स और उनकी आइडियल के लिए रिस्पेक्ट आपको हर तबले के लोगों में देखने को मिलेगी ऐसा कहा जा सकता है की बुद्ध ह्यूमैनिटी के लिए एक ग्रेट इंस्पिरेशन है महाजनपद जब हम बात करते हैं हिस्ट्री तो हमारे दिमाग में अलग-अलग अंपायर्स और राजाओं के
नाम आते हैं जैसे की मौर्य के अशोक या फिर मुगल में अकबर या मराठस में छत्रपति शिवाजी महाराज लेकिन अंपायर बिल्डिंग के प्रोसेस की शुरुआत कब और कैसे हुई इसका जवाब आपको मिलेगा हमारी इस वीडियो में आज हम जानेंगे महाजनपद के बड़े में जिसका लिटरल मीनिंग है बड़े टेरिटोरियल स्टेटस तो चलिए सबसे पहले समझते हैं की महाजनपद का ओरिजन कब कहां और कैसे हुआ ओरिजन ऑफ महाजनपद ये बात है बहुत से प्राचीन ग्रंथ जैसे की बुद्धिस्ट भगवती सूत्रों में हमें 16 महाजनपद के बड़े में पता लगता है अगर ज्योग्राफी की बात करें तो यह विंध्य पर्वत के नॉर्थ में
थे एक्सेप्ट वन होगा नॉर्थवेस्ट फ्रंटियर से लेकर बिहार तक इनका फैलाव था 16 महाजनपद थे इस बात पर तो अधिकांश असिएंट टेक्स्ट एग्री करते हैं लेकिन वो 16 कौन से थे इसमें कुछ मतभेद देखने को मिलता है पर बुद्धिस्ट टेक्स्ट अंगुट्ट तरह निकाय में जो 16 महाजनपद की लिस्ट मेंशन है उसमें आते हैं काशी गौशाला अंग मगध वजी मलयाली वत्स गुरु पांचाल मैच या मच्छर सी आसका अवंती गंधार और कंबोज दोस्तों यह तो थे 16 महाजनपद के नाम लेकिन सिक्स्थ सेंचुरी ई ने ऐसा क्या हुआ की हम बड़े टेरिटोरियल स्टेटस यानी महाजनपद का फॉर्मेशन देखते हैं आई जानते हैं नेक्स्ट
क्षेत्र में लेटर वैदिक पीरियड के टाइम से ही एग्रीकल्चर एक डोमिनेंट ऑक्यूपेशन बन जाता है और सेटल्ड लाइफस्टाइल पैटर्न की शुरुआत होती है उसके साथ ही शुरू होता है माइग्रेशन टुवर्ड्स लोअर गंगेटिक प्लेन यानी की पूर्वी अप और बिहार का रीजन ये रीजन सोर्स था रिच आयरन माइंस का जिसकी वजह से आयरन का उसे बहुत बाढ़ जाता है इन एग्रीकल्चर और वेपनरी और इसी की वजह से हमें एग्रीकल्चर में एक सरप्लस देखने को मिलता है अदर दें इस टाइम पीरियड में कुछ रिलिजियस डेवलपमेंट भी एग्रीकल्चर को हेल्प करते हैं जैसे बुद्धिस्म और जैनिज्म जैसे सेक्स
का राइस होना जो नॉन वायलेंस को सपोर्ट करते थे इससे कैटल वेल्थ बढ़नी है जो उसे टाइम एग्रीकल्चर की बैकबोन थी एग्रीकल्चर के बढ़ाने से रनिंग क्लास सरप्लस प्रोडक्शन को टैक्स के तोर पर कलेक्ट करना शुरू करती है जिससे वह अपनी मिलिट्री और एडमिनिस्ट्रेटिव नीड्स को पूरा करती है और दूसरी तरफ आ वेपंस के बढ़ते प्रोडक्शन से वारियर क्लास भी पावरफुल होता है यह मटेरियल एडवांटेज इनेबल करते हैं लोगों को अपने लैंड से लंबे समय तक अटैक होने में और साथ ही एक्सपेंड करने में भी इनफैक्ट जनपदा का लिटरल मीनिंग होता है डी फुट ऑफ
डी ट्राई यानी एक ट्राइब का सेटल्ड लाइव जीने के लिए भूमि लेना और इस तरह से बड़े-बड़े स्टेटस फॉर्म होने लगता हैं विदाउट ऑपरेशंस दोस्तों इस पीरियड को सेकंड फैसाब अर्बनाइजेशन भी बोला जाता है आपको बता दें की हिस्ट्री में पहले फेस ऑफ अर्बनाइजेशन हड़प्पा सिविलाइजेशन को कहा जाता है खैर जब हम यह समझ चुके हैं की महाजनपद का राइस कब कैसी और क्यों हुआ आई जानते हैं इन 16 महाजनपद को डिटेल में 16 महाजनपद शुरू करते हैं काशी से काशी आज के वाराणसी जिला के पास इसका लोकेशन था इसकी कैपिटल थी वाराणसी जो गंगा और गोमती रिवर्स के बीच में थी काशी अपने
कॉटन टैक्सटाइल्स के लिए फेमस था इंडियन इंडिया की जितने भी इंपॉर्टेंट रिलीगी थे सभी किसी ना किसी रूप में काशी से खुद को जोड़ने हैं जैसे की जीनस के 23rd तीर्थंकर पार्श्व के फादर को बनारस का राजा बताया गया है बुद्ध ने भी अपना पहले समान बनारस के पास ही सारनाथ में दिया था लेकिन बुद्ध के टाइम तक काशी महाजनपद को गौशाला अनिक्स कर लेट है और ये मगध और गौशाला के बीच युद्ध का करण बंता है काशी से चलते हैं गौशाला की तरफ गौशाला के वेस्ट में थी रिवर गोमती और ईस्ट में जनपदा से इसकी बाउंड्री बनती थी इसकी कैपिटल थी श्रावस्ती ये मगध की मौत वेस्ट
महावीर के कंटेंपरेरी भी थे मगध के राजा आजाद शत्रु और प्रसेनजीत के बीच में सुप्रीमेसी के लिए लंबा स्ट्रगल चला है नेक्स्ट है अंग अंग महाजनपद आज के मुंगेर और भागलपुर जिला को कर करता था ये मगध के ईस्ट में और राजमहल हिल्स के वेस्ट में लोकेटेड था चंपा यहां की कैपिटल थी ये अपनी ट्रेड और कॉमर्स के लिए फेमस था सिक्स्थ सेंचुरी ई के मध्य में इसको मगध एनएक्स कर लेट है तो आई अब बात करते हैं मगध की मगध मगध का एरिया था पटना और गया के अराउंड साउथ बिहार में नॉर्थ और वेस्ट साइड से रिवर्स और गंगा इसको प्रोटेस्ट करती थी इसकी कैपिटल
हुई थी इसलिए इस पर अटैक करना बहुत मुश्किल होता था आगे चलकर मगध सबसे पावरफुल महाजनपद बंता है अब चलते हैं बिहार में वैशाली जिला के राउंड था वजी महाजनपद नॉर्थ में नेपाल की हेल्दी फैला हुआ था गंडक रिवर इसको कौशल से अलग करती थी वजी एक गाना सॉन्ग था गनसंग का मतलब हम नेक्स्ट क्षेत्र में डिटेल में समझेंगे वजी आठ क्लास की कॉन्फ्रेंसी को रिप्रेजेंट करता था जिसमें विद्या मिले थे विदेश की कैपिटल मिथिला थी लिच्छवी इसकी वैशाली ग्यंत्रिक आज की कुंदनपुर जैन तीर्थंकर वर्धमान महावीर ज्ञान प्रकाश ज्ञान को बिलॉन्ग करते थे
मगध के राजा आजाद शत्रु ने इनकी कनफेडरेसी को डिस्ट्रॉय किया था अब बढ़ते हैं इनकी टेरिटरी वजी के नॉर्दर्न बॉर्डर को टच करती थी इनकी एक कैपिटल कुशीनगर में थी जहां गौतम बुद्ध की डेथ होती है ऐसा कहा जाता है की माल ल को 500 के रूल करते थे मल्लू से चलते हैं लोकेटेड था इसका फैलाव मालवा प्लेटो तक कहा जाता है इसकी कैपिटल थी सूक्ति माटी शिशुपाल जो कृष्णा का फेमस एनीमी था उसको महाभारत में छड़ी का रोलर बताया गया है अब बात करेंगे वत्स वत्स की कैपिटल थी कौशांबी इनकी सेटलमेंट मॉडर्न प्रयागराज के रावण थी पुराण में कहा गया है की पांडव की
डिसेंडेंट निछक्सों ने अपनी कैपिटल कौशांबी में शिफ्ट की थी जब हस्तिनापुर में फ्लैट ए गया था मतलब वत्स कुरूक्लैंड को बिलॉन्ग करते थे आई अब चलते हैं कुर देश गुरु गुरु के बड़े में हम सभी महाभारत की स्टोरी के थ्रू जानते हैं इनकी कैपिटल थी हस्तिनापुर हस्तिनापुर मेरठ से अबाउट 40 किलोमीटर की दूरी पर है यहां आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने बहुत से एक्सकैवेशन किया हैं जिसमें मिले आर्टीफैक्ट्स को महाभारत पीरियड से लिंक करके देखा जाता है 20-20 के बजट में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने हस्तिनापुर को आईकॉनिक साइट के रूप में
डेवलप करने का डिसीजन भी लिया यहां से चलते हैं अब हम पांचाल पांचाल लोकेटेड था रोहिलखंड और सेंट्रल द्वारा इनके दो लाइन यह थे नॉर्दर्न पांचाल जिनकी कैपिटल थी अहि क्षेत्र में और सदन पांचाल जिनकी कैपिटल थी काम पे लिया इनकी क्लोज रिलेशन थे कुर के साथ महाभारत में पांडव की पत्नी द्रौपदी पांचाल से ही थी इसलिए उन्हें पांचाली भी कहा गया है पांचाल से चलते हैं मत्स्य की तरफ मत्स्य मक्सी राजस्थान में जयपुर भरतपुर अलवर रीजन के अराउंड था कैपिटल थी विराटनगर जो फेमस है पांडवों की हैडिंग प्लेस के रूप में इसको भी ऐवेंंचुअली मगध अपने अंदर मिला लेट है
यहां से चलते हैं सूर्य सी की और और सीन शुरू सी की कैपिटल थी मथुरा पुराण और महाभारत में मथुरा की रनिंग फैमिली को याूज कहा जाता है महाभारत में भगवान कृष्णा को यहां का राजा बताया महाजनपद है जो विंध्य पर्वत के साउथ में था नियम मॉडर्न पठान इन महाराष्ट्र कैपिटल थी प्रतिष्ठान जो असिएंट नाम है पठान का अब बात करते हैं अवंती की अवंती अवंती अपने टाइम का एक पावरफुल महाजनपद था मध्य प्रदेश के उज्जैन के पास इसकी लोकेशन अब चलते हैं कंबोज कंबोज यह गंधार के पास में ही लोकेटेड था प्रेजेंटेड एरिया के अराउंड कंबोज को
ब्रह्म मेडिकल टैक्स में अनकल्चरड कहा कैपिटल थी पंच तो दोस्तों यह तो बात हुई इंडिविजुअल महाजनपद की कुछ हिस्ट्री और ज्योग्राफी की आपने यहां एक नया टर्म सुना गण सॉन्ग है तो चलिए अब इस कॉन्सेप्ट को समझते हैं दो तरह के पॉलीटिकल सिस्टम देखने को मिलते हैं [संगीत] इनके अलावा और भी गाना संघ का मेंशन हमें बुद्धिस्ट टेक्स्ट में मिलता है जैसे की पॉलीटिकल पावर ट्रबल ओलीगाकीज के पास होती थी मतलब कोई एक पावरफुल राजा ना होकर एक ग्रुप ऑफ पीपल रूल करता था अब मोनोक्ले सिस्टम की जगह गाना संघ का सिस्टम क्यों आया इसके पीछे कुछ रीजंस थे जैसे की पहले
ये लेटर वैदिक पीरियड में इवॉल्व लाइफ पैटर्न के खिलाफ एक रिएक्शन था लीटर वैदिक पीरियड में बहुत साड़ी क्लास और कास्ट रिस्ट्रिक्शंस ए जाति हैं जिससे लाइफ काफी रिगिड हो जाति है कुछ लोग इसके अगेंस्ट होते हैं इसलिए वह सिंपल ट्राईबल लाइफ स्टाइल की तरफ जाते हैं जो हमें गनसंघ में देखने को मिलता है दूसरा गनसंग ब्राह्मण की बढ़नी हुई पावर के अगेंस्ट भी एक रिएक्शन था गाना संघ में क्षत्रिय को ज्यादा प्रॉमिनेंस मिलती है और तीसरा ट्राईबल इक्वलिटी के आइडिया से भी पीपल इंस्पायर थे जिसमें सिंगल राजा को इंर्पोटेंस नहीं दी जाति थी
आई अब जानते हैं की मोनोकी और गनसंग सिस्टम में क्या अंतर था डिफरेंस बिटवीन मोनार्की और गनसंघ मोनोकीज में एक ही राजा के पास रिवेन्यू लेने का राइट होता था जबकि गनसंघ में हर एक ट्राईबल ओलगा के पास ये राइट था मोनोकी में एक स्टैंडिंग आर्मी रहती थी लेकिन ट्राईबल ओलीगाकी में हर एक राजा अपनी छोटी सी आर्मी रखना था ब्रह्मन्नास का इन्फ्लुएंस मोना खेल सिस्टम में बहुत ज्यादा था लेकिन गाना सॉन्ग में उन्हें उतनी इंपॉर्टेंट नहीं दी जाति थी और सबसे बड़ा डिफरेंस तो यही था की गनसंघ में ओलगा की असेंबली के पास पावर थी ना की एक इंडिविजुअल के पास मोनाकाल
सिस्टम के जैसे गनसंग में मोनोकी के जैसे किंग भी नहीं थी यहां के यूजुअली इलेक्ट किया जाता था दोस्तों लेकिन एक सवाल उठाता है की क्या गाना सॉन्ग डेमोक्रेटिक थे आई जानते हैं इसके बड़े में नेक्स्ट क्षेत्र वह गाना संघर्ष डेमोक्रेटिक कुछ अर्ली स्टडीज में गनसंघ को डेमोक्रेटिक कहा गया था लेकिन जब हम इनके बड़े में डिटेल में समझते हैं तो पता चला है की यह पुरी तरह डेमोक्रेटिक नहीं थे हां यह सही है की यहां का के इलेक्शन के थ्रू चुनाव जाता था लेकिन इस इलेक्शन में सभी लोग पार्टिसिपेट नहीं कर सकते थे सिर्फ कुछ क्षत्रिय
फैमिलीज को ही ये राइट था यहां सभी को इक्वल राइट्स नहीं थे जैसे की वूमेन को असेंबली में पार्टिसिपेट नहीं करने दिया जाता था इनके नाम लीडिंग क्षत्रिय के नाम पर ही रखें गए थे क्योंकि उनकी पोजीशन सबसे स्ट्रांग होती थी बाकी क्लासेस को सबोर्डिनेट स्टेटस मिला हुआ था तो हम का सकते हैं की गनसंघ का नेचर डेमोक्रेटिक एन होकर ओलीगाकी फॉर्म का था हमने गाना संघ के सिस्टम को तो समझ लिया तू अब चलिए समझते हैं मोनाकाल सिस्टम इन किंग्डम्स दोस्तों मोनाल सिस्टम में एक पावरफुल हेरिटेज किंग होता था उसकी एडमिनिस्ट्रेशन में हेल्प
करने के लिए कुछ ऑफिशल्स भी होते थे जैसे की मंत्री सेनानायक जज के अकाउंटेंट वगैरा ये एक स्ट्रांग आर्मी मेंटेन करते थे जिससे अपनी टेरिटरी का एक्सपेंशन और प्रोटेक्शन दोनों कर सके एशिया टाइम में मोनकी कल सिस्टम ही डोमिनेंट फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट था सिक्स्थ सेंचुरी का एंड होते होते मुनासिका स्टेटस ऑलमोस्ट सभी गाना संघ को एनएक्स कर लेते हैं उसके बाद की पॉलीटिकल हिस्ट्री इन सभी स्टेटस के बीच सुप्रीम के लिए एक स्ट्रगल कहीं जा शक्ति है अल्टीमेटली उसे स्ट्रगल में मगध बंता है सबसे पावरफुल किंगडम और वो इंडिया का
सबसे पहले अंपायर कहलाता है जिसकी बात हम अलग लेक्चर में करेंगे कनक्लूडिंग रिमार्क्स दोस्तों तो यह थे सिक्स्थ सेंचुरी तू फोर्थ सेंचुरी ई के कुछ इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट्स हम कहानी इसे इंडिया की पॉलीटिकल हिस्ट्री की शुरुआत का सकते हैं महाजनपद के पीरियड में ही पहले बार हमें पावरफुल राजा मिलते हैं और प्रॉपर फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट भी जो की एक बेडरॉक है आने वाले अंपायर्स की राइस ऑफ मगध इनफाउंडेशन ऑफ मौर्य अंपायर आज हम उसे रीजन की बात करने वाले हैं जहां एशिया इंडिया का पहले अंपायर फॉर्म होता है जी हां हम जानेंगे की कैसे मदद करिस
होता है एक महाजनपद से अंपायर तक इसी बीच हम बात करेंगे और फाइनली बढ़ेंगे मौर्य अंपायर के फाउंडेशन की तरफ आई शुरू करते हैं सबसे पहले मगध की ज्योग्राफी ऑफ मगध मगध 16 महाजनपदन में से एक था ये आज के बिहार स्टेट के पटना गया नालंदा और शाहबाद डिस्ट्रिक्ट को कर करता था इसके साउथ वेस्ट में अवंती था नॉर्थ वेस्ट में घोषाल और नॉर्थ में वाजीकन फरेसी इसकी अर्ली कैपिटल थी राजगृह जो बदमी शिफ्ट होकर बंटी है पाटलिपुत्र की एरिया फर्टाइल सॉइल और रिच आयन माइंस का सोच था अब जानते हैं मगध की पॉलीटिकल हिस्ट्री के बड़े में
पॉलीटिकल हिस्ट्री ऑफ मगध मगध का पहले इंपॉर्टेंट रोलर माना जाता है को साल की प्रिंस के साथ मैरिज करने पर इनको काशी का कुछ पाठ डोरी में मिलता है वहीं अंग को वार में जीत लिया जाता है साथ ही वैशाली की लिच्छवी प्रिंस के साथ शादी करने से मगध की डिप्लोमेटिक पावर बढ़नी है कहा जाता है की बिंबिसार को उनके ही बेटे आजाद शत्रु इंप्रेशन कर देते हैं और मार देते हैं लेकिन बिंबिसार की डेथ का मतलब यह नहीं था की मगध की पावर काम हो जाए मगध की पावर और भी ज्यादा बाढ़ जाति है अंदर आजाद शत्रु जो 492 ई में मगध की राजगद्दी
पर बैठने हैं अजातशत्रु को साल के राजा प्रसिद्ध जीत पर अटैक करते हैं और पूरे काशी पर अपना कंट्रोल एस्टेब्लिश करते हैं उसके बाद यह टारगेट करते हैं वजी को जिसमें कंस्पायरेसी की हेल्प से पैदा कर जीत हासिल करते हैं आजाद शत्रु रूल करते हैं 460 ई तक उसके बाद मगध के राजा बनते हैं कंस्ट्रक्ट करवाते हैं मगध में शिशुनाग की इनका सबसे बड़ा अचीवमेंट था अवंती की पावर को डिस्ट्रॉय करना शिशुनाग डायनेस्टी लंबे समय तक नहीं रहती और उसकी जगह आई है नंद डायनेस्टी न को इंडिया का पहले अंपायर बिल्डर भी कहा जाता है तो अब थोड़ा डिटेल में जानते हैं
पावरफुल नंदा डायनेस्टी के बड़े में स्टोरी ऑफ नंद डायनेस्टी नंद डायनेस्टी 343 से 321 बी सी के बीच मगध को रूल करती हैं इसके फाउंडर थे महा पद्मानंद पुराण में महापद्मनंद को क्षत्रिय क्लास का सफाई करने वाला कहा गया है क्योंकि इन्होंने नॉर्दर्न इंडिया की सभी रनिंग डायनेस्टी जैसे की पांचाल कोरस असमकाज एक शिवाकुस सूर्य से नजद सिट्रो को हराकर इनके स्टेज को एनएक्स कर लिया था इंडिया और ग्रे को रोमन ट्रेडीशन इनको लो बर्थ का बताते हैं बुद्धिस्ट टेक्स्ट में इनको अननोन लाइनेज का बताया गया है लेकिन इनके नाम को लेकर सभी में डिफरेंस
देखने को मिलता है लास्ट नंद किंग बैठे थे इनके पास एक विशाल सी थी ग्रीक सोर्सेस के अकॉर्डिंग नंद की सी में ₹20000 संचारित और 3000 एलीफेंट थे महा पद्मानंद कलिंग को कर लेते हैं लास्ट नंद रोलर धननंद के टाइम में ही सिकंदर का इन्वेस्टियन इंडिया पर होता है लेकिन सिकंदर की आर्मी ईस्ट में मगध की सी का सामना करने के लिए आगे नहीं बढ़नी इसलिए सिकंदर और धन अंत कभी आमने-सामने नहीं आते लेकिन धनानंद अपने असभेश्वर भाव और शोषणकारी टैक्स पॉलिसी की वजह से अनपापुलर बन जाते हैं और मगध की प्रजा उनके खिलाफ जाकर चंद्रगुप्त मौर्य की हेल्प करती है
मगधकर राजा बने में चंद्रगुप्त मौर्य धननंद को हराकर डायनेस्टी की शुरुआत करते हैं जिसकी बात हम आगे डिटेल में करेंगे तो दोस्तों मगध के राइस को तो हमने जान लिया अब आई समझते हैं की ऐसे क्या रीजंस थे की 16 महाजनपद में से मगध ही एक अंपायर फॉर्म करने में सक्सेसफुल होता है है मगध की सक्सेस के पीछे बहुत सारे फैक्टर्स थे जैसे एक रीजन था एंबिशियस और काबिल रुलर्स का होना चाहे वो बिंबिसार हो या मा पद्मानंद यह सभी रुलर्स मगध की पावर बढ़ाने के लिए पैशनेट थे दूसरा फैक्टर था मगध की ज्योग्राफिकल लोकेशन यहां पर रिच
आयरन माइंस थे जिससे मगध के रुलर्स को वेपंस की इजी सप्लाई पॉसिबल थी मगत का रीजन फर्टाइल एरिया था इसलिए यहां पर एग्रीकल्चर होता था जो रुलर्स इजीली टैक्स के फॉर्म में कलेक्ट कर सकते थे इसलिए बैंड सप्लाई थी जो हेल्प करती है एक पावरफुल आर्मी बनाने में इसके अलावा मगध की कैपिटल का स्ट्रीट्स पॉइंट पर होना भी एक फैक्टर था उनकी सक्सेस का पहले कैपिटल राज्य से सराउंडिंग थी इससे उसे पर कांग्रेस करना मुश्किल था दूसरी कैपिटल पाटलिपुत्र बहुत सी रिवर्स जैसे की गंगा गंडक सुन और उनके कॉन्फ्रेंस है इसलिए उसको वॉटरफ्रंट या जलदुर्ग भी
कहा जाता था इसको भी कैप्चर करना इजी नहीं था यह रिवर्स ट्रांसपोर्ट का इजी मीडियम भी थी जिससे ट्रेड बढ़ता है जैसे की गंगा के रास्ते वाराणसी कौशांबी जैसी सिटी के साथ ट्रेड होता था इसके अलावा मगध के रुलर्स को मैटेलिक मनी के बढ़ते यूजेस और टोंस के डेवलपमेंट का भी फायदा पहुंचता है क्योंकि ट्रेड और कॉमर्स के डेवलपमेंट पर वो टोल टैक्स कलेक्ट कर सकते थे यह टैक्स हेल्प करते हैं एक विशाल आर्मी को मेंटेन करने में यह सभी फैक्टर्स मिलकर मगध को अंपायर बने में सक्सेस दिलाते हैं मगध के राइस के टाइम ही एक और इंपॉर्टेंट
हिस्टोरिकल इवेंट होता है वह सिकंदर का इन्वेस्टियन तो चलिए अब उसके बड़े में भी जानते हैं सिकंदर इनवेजन ऑफ इंडिया मगध अंपायर के नार्थ वेस्ट बॉर्डर पर था ईरानियन अंपायर यह फोर्थ सेंचुरी ई में ग्रीक्स और ईरानियन के बीच फाइट चल रही थी वर्ल्ड सुप्रीम एक के लिए मेसिडोनिया की सिकंदर की लीडरशिप में ग्रीक्स फाइनली यूरेनियम अंपायर को डिस्ट्रॉय कर देते हैं सिकंदर एशिया माइनर और इराक को भी जीत चुके होते हैं इसके बाद वो बढ़ते हैं इंडिया की तरफ इंडिया की मेसंवेल्थ के किस उन्होंने भी सुन थे जून को टेंप्ट करते हैं इंडिया के इनवेजन के
लिए सिकंदर को ज्योग्राफिकल नॉलेज और नेचुरल हिस्ट्री के लिए भी पैशन था इंडिया सिकंदर के अंपायर के कंपैरिजन में कहानी ज्यादा फर्टाइल और प्रोडक्टिव था यह भी एक रीजन था उनके इंडिया इनवेजन का नॉर्थ वेस्ट इंडिया की पॉलीटिकल कंडीशन भी सिकंदर के प्लेन को सूट कर रही थी क्योंकि यह एरिया बहुत सी इंडिपेंडेंस मोनोकीज और ट्राईबल रिपब्लिक के बीच डिवाइडेड सिकंदर के लिए इन्हें एक-एक करके जितना आसन था सिकंदर काबुल से खैबर पास के रास्ते 326 ई में इंडिया आते हैं उनको 5 महीने लगता हैं सिंधु रिवर तक पहुंचने में हम भी जो तक्षशिला के रोलर थे सिकंदर के
सामने सुरेंद्र कर देते हैं और बहुत सारे गिफ्ट्स सिकंदर को देते हैं इसके बाद है सिकंदर जब झेलम पहुंचने हैं तब उनका सामना होता है पोरस से पोरस किंगडम ऑफ अभिसार के राजा थे पारस और सिकंदर के बीच होता है बैटल ऑफ हाइड्रस सिकंदर पोरस को हर तो देते हैं लेकिन पोरस की बहादुर और साहस से काफी इंप्रेस होते हैं इसलिए वो पोरस को उनका किंगडम वापस कर उनको अपना एली बना लेते हैं उसके बाद वो ब्याज तक आगे बढ़ते हैं सिकंदर तो और भी आगे जाना चाहता था लेकिन उनकी आर्मी आगे बढ़ाने से माना कर देती है ग्रीक सोल्जर 10 साल से लगातार युद्ध करके परेशान हो
चुके थे इंडिया हॉट क्लाइमेट भी उन्हें पसंद नहीं ए रहा था और अब वो बस घर वापस जाना चाहते थे उन्होंने मगध की स्ट्रांग आर्मी के बड़े में भी सुना था और वो उसका सामना नहीं करना चाहते थे इसलिए सिकंदर के बार-बार खाने पर भी वो नहीं मानते हैं और सिकंदर जिसे कोई दुश्मन हर नहीं सका था अपने ही सोल्जर के सामने हर जाते हैं वापस जाते टाइम सिकंदर बहुत से छोटे-छोटे रिपब्लिक बोई अगर रसोई शुद्ध काई मॉल्स को भी डिस्ट्रॉय करते हुए जाते हैं सिकंदर 3003 ई में बेबीलोन पहुंचने हैं जहां फीवर से उनकी डेथ हो जाति है 19 मांस के लिए
सिकंदर इंडिया में रहते हैं ज्यादातर जीते हुए स्टेटस को वो उनकी पुराने रुलर्स को ही वापस कर देते हैं जब वो उनकी अथॉरिटी को एक्सेप्ट कर लेते हैं अपनी टेरिटोरियल पोजीशंस को वो तीन पार्ट्स में डिवाइड करते हैं और सब में एक ग्रीक गवर्नर अप्वॉइंट करके जाते वो कुछ सिटीज की भी फाउंडेशन यहां जैसे की काबुल रीजन में अलेक्जेंड्रिया झेलम पर भूखे फल और सिंह में अलेक्जेंड्रिया तो ये थी सिकंदर के इनवेजन की कहानी अब चलिए समझते हैं इसके इफैक्ट्स को इफैक्ट्स ऑफ सिकंदर जेनरेशन सिकंदर के इनवेजन की वजह से असिएंट यूरोप और असिएंट
इंडिया पहले बार क्लोज कांटेक्ट में आते हैं इस इनवेजन से कर नए लैंड और सी रूट खुलती हैं इंडिया और ग्रीस के बीच इससे ग्रीक मरचेंट्स और क्राफ्ट्समैन का इंडिया में आना बढ़ता है और ट्रेड फैसेलिटीज और भी ज्यादा बाढ़ जाति है सिकंदर ने जो सिटीज फाउंड की थी इंडिया में जैसे की बुके फैला अलेक्जेंड्रा वहां बड़े नंबर में ग्रीक लोग सेटल होते हैं सिकंदर पहले बार ओसियन देखते हैं आते डी माउंट ऑफ डी सिंधु उनको इसकी ज्योग्राफी लेंस के क्लीयरली डेटेड रिकॉर्ड्स भी दिए हैं यह हमें हेल्प करते हैं आगे डिसाइड करने में इसके अलावा यह हिस्टोरियन
हमें सोशल और इकोनामिक कंडीशंस के बड़े में भी इंपॉर्टेंट इनफॉरमेशन बताते हैं जैसे की सती प्रथम के बड़े में नॉर्थ वेस्ट में ब्रेड की इनफॉरमेशन भी है सिकंदर यहां से 2 लाख एक्शन मेसिडोनिया भेजते हैं नॉर्थ वेस्ट के छोटे-छोटे स्टेटस को डिस्ट्रॉय करके सिकंदर यहां मौर्य अंपायर के एक्सपेंशन का रास्ता भी साफ कर देते हैं तो हम का सकते हैं की सिकंदर के इन्वेस्टियन के मैं सिर्फ पॉलीटिकल बल्कि सोशल इकोनामिक और कल्चरल इफैक्ट्स भी देखने को मिलते हैं दोस्तों अभी तक हमने देखा की कैसे मगध एक महाजनपद ग्रैजुअली बढ़ता है और बंता है इंडिया का
पहले अंपायर अंदर डायनेस्टी इसकी पावर इतनी और उसके लॉन्ग टर्म इफैक्ट्स को भी जाना अब हम बात करेंगे मौर्य अंपायर की जिसने सबसे पहले एक पान इंडिया अंपायर की स्थापना की तो शुरू करते हैं मौर्य डायनेस्टी के फाउंडर चंद्रगुप्त मौर्य की कहानी से जिन्होंने अराउंड 3-21 ई में नंद डायनेस्टी के लास्ट रोलर धनानंद को हारने के बाद मौर्य डायनेस्टी की शुरुआत की चंद्रगुप्त मौर्य चंद्रगुप्त मौर्य की बर्थ को लेकर हमें अलग-अलग व्यूज मिलते हैं ज्यादातर हिस्टोरियन मौर्य फैमिली को लो कास्ट या ट्राईबल ओरिजन का बताते हैं बुद्धिस्ट सोर्सेस में चंद्रगुप्त मौर्य
को पीपल वाहन के मौर्य कलन का बताया गया है ग्रीक सोर्सेस में भी चंद्रगुप्त को लो ओरिजन का कहा जाता है यह भी कहा जाता है की चंद्रगुप्त मौर्य को उनके पेरेंट्स ने छोड़ दिया था और वह एक हम्बल बैकग्राउंड सकते थे अकॉर्डिंग तो थे लीजेंड उनका पालनपुर एक पेस्टोरल फैमिली करती है दूसरी तरफ चाणक्य एक ऐसे व्यक्ति को ढूंढ रहे थे जो नंद डायनेस्टी को खत्म करने में उनकी हेल्प कर सके चंद्रगुप्त अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे जब चाणक्य उन्हें पहले बार देखते हैं चंद्रगुप्त की लीडरशिप स्किल से इंप्रेस होकर चाणक्य उन्हें अडॉप्ट कर
लेते हैं और ट्रेनिंग देते हैं अब जानते हैं की कैसे चंद्रगुप्त बनते हैं मगध के राजा चंद्रगुप्त राइस तू पावर चंद्रगुप्त चाणक्य की हेल्प से अपनी एक आर्मी बनाते हैं इस आर्मी की हेल्प से वो नॉर्थ वेस्ट के एरिया को जीत लेते हैं यहां सिकंदर की जान के बाद सिचुएशन ऐसी थी की कोई भी पावरफुल रोलर नहीं था इसलिए इसको जितना बहुत आसन था इसके बाद वो नंद रोलर धनानंद की आर्मी को हराकर 3 21 ई में मगध के राजा बनते हैं धननंद और चंद्रगुप्त मौर्य के बीच हुई बैटल की डीटेल्स हिस्टोरिकल सोर्सेस में नहीं मिलती हम बस इतना जानते हैं की चंद्रगुप्त मौर्य की
जीत होती है और नंद डायनेस्टी के शासक और अब जानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य के राजा बने के बाद के कुछ अचीवमेंट्स को चंद्रगुप्त मौर्य सचिन मिलिट्री फ्रंट पर चंद्रगुप्त मौर्य का सबसे पहले चैलेंज था सेल्यूकस निकेटर से सामना 3005 ई के राउंड सिंधु रिवर के वेस्ट के एरिया में सेल्यूकस निकेतन रूल कर रहे थे यह सिकंदर के गवर्नर थे चंद्र मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के बीच युद्ध में चंद्रगुप्त जीत जाते हैं अराउंड 3003bc में दोनों के बीच एक शांति समझौता होता है जिसमें सेल्यूकस निकेटर पूर्वी उपगानिस्तान बलूचिस्तान और सिंधु के वेस्ट
का एरिया चंद्रगुप्त मौर्य को दे देते हैं दोनों के बीच एक मैरिज एलियंस भी होता है कहा जाता है की सलूकस्त निकेटर अपनी बेटी की शादी चंद्रगुप्त से करते हैं साथ ही वो ग्रीक एम्बेसडर को मौर्य कोर्ट में भेजते हैं मेगास्थनीज काफी सालों तक मौर्य कोर्ट में रहते हैं और इंडिका नाम की बुक लिखने हैं इसके बड़े में हम आगे जानेंगे क्योंकि यह एक इंपॉर्टेंट हिस्टोरिकल सोर्स बन जाता है मौर्य अंपायर का इसके अलावा हिस्टोरियन मानते हैं की वेस्टर्न इंडिया और डेक्कन में भी चंद्रगुप्त अपना कंट्रोल एस्टेब्लिश करते हैं सिर्फ आज की केरला
तमिलनाडु और ईस्ट इंडिया के पार्ट्स चंद्रगुप्त मौर्य अंपायर का हिस्सा नहीं थे लेकिन अलग-अलग पार्ट्स को जितने उनकी डीटेल्स हमें नहीं मिलती ग्रीक राइटर सिर्फ इतना लिखने हैं की 6 लाख की आर्मी से चंद्रगुप्त मौर्य पूरे देश को जीत लेते हैं सौराष्ट्र या काठियावाड़ में इनका कंट्रोल था ये बात ट्रू होती है रुद्रा दमन के जूनागढ़ रॉक इनस्क्रिप्शन से इसमें लिखा गया है की चंद्रगुप्त मौर्य के गवर्नर पुष्य गुप्ता ने यहां फेमस सुदर्शन लेक को बनवाया था तो हम का सकते हैं की चंद्रगुप्त मौर्य एक बहुत बड़ा अंपायर एस्टेब्लिश करने में सफल होते हैं फाइनली
वो अपने बेटे के फीवर में राजगद्दी छोड़ कर्नाटक चले जाते हैं यहां पर जैन रिलिजियस सेंटर श्रवण बेल गोला में वो अपनी बाकी की लाइफ स्पेंड करते हैं फाइनली खाना यानी स्लो स्टार्वेशन के द्वारा मृत्यु को प्राप्त करते हैं अब जानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य के सक्सेसर बिंदुसार के बड़े में बिंदुसार बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य और उनकी पत्नी दुर्धरा की संतान थे एक लीजेंड के अनुसार चाणक्य स्मॉल डोज में चंद्रगुप्त मौर्य के खाने में प्वाइजन मिलती थे जिससे उनकी बॉडी उसे तू हो जाए और एनीमीज के द्वारा प्वाइजन देने पर भी चंद्रगुप्त मौर्य की
मृत्यु ना हो अनफॉर्चूनेटली प्रेगनेंसी की लास्ट स्टेज में क्वीन दुर्धरा चंद्रगुप्त मौर्य के लिए बना हुआ खाना का लेती हैं चाणक्य समझ जाते हैं की दुर्दशा अब नहीं बचेंगे इसलिए वह अनबॉर्न बच्चे को बचाने का डिसीजन लेते हैं और तलवार से दुर्धरा के कट करके बच्चे को बच्चा लेते हैं जिसका नाम बाद में रखा जाता है लेकिन इनकी विक्टोरिया के बड़े में हिस्टोरिकल सोर्सेस में डिटेल नहीं मिलती है लेकिन ये माना जाता है की इनके ही रूल के टाइम डेक्कन के एरिया पर मौर्य कंट्रोल एस्टेब्लिश होता है इनके कॉन्टैक्ट्स सीरिया के सालियों से राजा एंटीओच वन के
साथ भी थे ये नदाओं के से रिक्वेस्ट करते हैं स्वीट वाइन ड्रॉयड फिक्स और एक सोफिस्ट भेजना के लिए इनकी रिलिजियस लिंग्स आजीविकास एक्ट की तरफ थी बुद्धिस्ट सोर्सेस के अनुसार इनकी डेथ होती है अराउंड 273 से 272 ई में इसके बाद 4 साल तक इनके बेटों के बीच युद्ध चला है सिक्स क्षेत्र के लिए जिसमें अल्टीमेटली अशोक को जीत मिलती है और वह बनते हैं मौर्य डायनेस्टी के अगले राजा सम्राट अशोक के बड़े में हम विस्तार से अगले वीडियो में चर्चा करेंगे और अब हम जानते हैं मौर्य एडमिनिस्ट्रेशन के बड़े में मौर्य एडमिनिस्ट्रेशन
मौर्य अंपायर 4 प्रोविंस में विभाजित था उसकी सेंट्रल कैपिटल पाटलिपुत्र में थी 4 प्रोविंशियल कैपिटल थी तोशाली उज्जैन स्वर्ण गिरी और तक्षशिला मौर्य अंपायर हाली सेंट्रलाइज्ड था मतलब साड़ी पावर का सोर्स सेंट्रल अथॉरिटी के पास था यह सेंट्रल अथॉरिटी किंग होता था वही मंत्रियों और ऑफिशल्स को अप्वॉइंट करता था किंग को एसिस्ट करने के लिए काउंसलर मिनिस्टर्स यानी की एक मंत्रिपरिषद होती थी मंत्रिपरिषद के हेड को मंत्री परिषद अध्यक्ष कहते थे काउंसिल के बाकी मेंबर्स थे युवराज में बहुत सारे ऑफिसर्स होते थे जो कुछ इस
तरह कैटिगराइज्ड थे पहले तीर्थ स्थल आज के सेक्रेटरी की तरह यह एडमिनिस्ट्रेटिव और जुडिशल रूल निभाते थे इनकी संख्या 18 थी दूसरे अध्यक्ष रैंक में यह तीर्थ के बाद आते थे टोटल 20 अध्यक्ष थे इनके पास मिलिट्री और इकोनामिक फंक्शंस होते थे और थर्ड महामाया हायर रैंकिंग ऑफिशल्स अध्यक्ष मिलकर एक सेक्रेटेरिएट बनाते थे जो बहुत से डिपार्मेंट में डिवाइड होता था जैसे की रिवेन्यू मिलिट्री एसपी अनाज और पुलिस डिपार्मेंट इसके अलावा प्रोविंशियल एडमिनिस्ट्रेशन में भी अलग-अलग ऑफिसर्स होते थे जैसे की प्रदेश का यानी मॉडर्न जिला मजिस्ट्रेट
ऑफिसर अंदर प्रादेशिक दुर्गापाल यानी की गवर्नर ऑफ फ्रंटियर अक्षय पटेल यानी अकाउंटेंट जनरल [संगीत] इन साड़ी इनफॉरमेशन से हम का सकते हैं की मौर्य एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम बहुत डेवलप था अब बात करते हैं दो ऐसे सोर्सेस की जिससे हमें मौर्य अंपायर और एडमिनिस्ट्रेशन के बड़े में इनफॉरमेशन मिलती है कौटिल्य का अर्थशास्त्र और मेगास्थनीज की इंडिका कौटिल्य दक्षिण यूनिवर्सिटी के स्कॉलर थे इनको चाणक्य या विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है हमने थोड़ी देर पहले देखा की इन्होंने ही चंद्रगुप्त मौर्य की हेल्प की थी नंदस को हारने में राजा बने के बाद
चंद्रगुप्त मौर्य चाणक्य को प्राइम मिनिस्टर बनाते जो की एक बुक है स्टेट क्राफ्ट और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के ऊपर यह संस्कृत लैंग्वेज में लिखी गई थी ओरिजिनल अर्थशास्त्र को 1905 में रुद्रा पत्नी श्याम शास्त्री जो एक संस्कृत स्कॉलर इन लाइब्रेरियन थे उन्होंने डिस्कवर किया था अर्थशास्त्र 15 अधिकांश या सेक्शंस में डिवाइडेड है जिसमें पहले पांच सेक्शंस डील करते हैं इंटरनल एडमिनिस्ट्रेशन की टॉपिक को इंटर स्टेट रिलेशंस को डिस्कस किया कंपैरिजन में कियावली की प्रिंस से किया जाता है अर्थशास्त्र में स्टेट की सप्तांग
थ्योरी हमें मिलती है मतलब स्टेट के साथ लिंब्स बताए गए हैं जैसे की किंग मित्र यानी फ्रेंड दंड यानी आर्मी कोश यानी ट्रेजरी दुर्ग यानी फोर्ट जनपद यानी टेरिटरी और आत्महत्या यानी मिनिस्टर्स इसमें स्लेव्स के नाइन टाइप्स बताए गए हैं आर्मी को चतुरंग बाल कहा गया है यानी की कर फोर्सेस होते थे इन्फेंट्री केवलारी चेरियट्स और एलीफेंट इसके अलावा हमने मौर्य एडमिनिस्ट्रेशन के बड़े में जो पढ़ा वो इनफॉरमेशन भी हमें यही से मिलती है मौर्य इकोनामी के बड़े में भी अर्थशास्त्र में डीटेल्स मिलती हैं जैसे की अलग-अलग टाइप्स के टैक्स पर एग्जांपल
उनका नाम भी हमें अर्थशास्त्र में मिलता है इसके अलावा राजा की कई ड्यूटीज होती थी उसको कैसे रूल करना चाहिए ईटीसेटरा भी अर्थशास्त्र डिटेल में डिस्क्राइब करती है इसका रेलीवेंस हम इसी बात से समझ सकते हैं की आज भी पॉलीटिकल थ्योरी में अर्थशास्त्र की स्टडी की जाति है अब बात करते हैं दूसरे कंटेंपरेरी टेक्स्ट यानी की मेगास्थनीज की इंडिका की मैं गस्तीनिज इंडिया का एम्बेसडर थे चंद्रगुप्त मौर्य के कोर्ट में इनकी बुक इंडिका भी इंपॉर्टेंट सोर्स है मौर्य पीरियड के लिए लेकिन यह ओरिजिनल फॉर्म में अवेलेबल नहीं हमें इसकी
इनफॉरमेशन बाद के ग्रीक और रोमन राइटर जैसे की स्ट्रेबो जस्टिन क्लीनिक सत्र के वर्क में मिलती है क्योंकि उनका ज्यादा समय यही पर गुजर था वो बताते हैं की पाटलिपुत्र एक मोड यानी की खाई से गिरी हुई थी पैलेस यानी की चंद्रगुप्त मौर्य का महल वुड का बना हुआ था इंडिका में कुछ ऐसी भी इनफॉरमेशन मिलती है जिसे हम सही नहीं मानते जैसे की मेगास्थनीज कहते हैं की यहां कोई स्लेव नहीं था लेकिन हमने देखा की अर्थशास्त्र में नाइन टाइप्स के स्लेव्स के बड़े में बताया गया है हम ये का सकते हैं की यहां स्लेव्स की कंडीशन वेस्टर्न वर्ल्ड की जितनी खराब नहीं थी
इसलिए मेगास्थनीज को लगता है की कोई भी स्लेव नहीं है इसके अलावा वो सोसाइटी में सेवंथ क्लासेस बताते हैं ना की फोर वर्णस यह सेवंथ क्लासेस थी फिलॉस्फर्स कल्टीवेटर हर्ट्समैन आर्टिजंस और ट्रेडर्स सोल्जर ओवरसीज और काउंसलर्स बिगेस्ट कहते हैं की इंडिया में दो भगवान को पूजा जाता है की इंडिका से हमें कंटेंपरेरी मौर्य पीरियड के बड़े में काफी जानकारी मिलती है लेकिन ध्यान ध्यान रखना वाली बात यह है की इसमें मिली इनफॉरमेशन को बाकी के कंटेंपरेरी सोर्सेस से एनालाइज करना जरूरी है तभी हम सही और गलत इनफॉरमेशन में फर्क
कर सकते हैं कनक्लूडिंग रिमार्क्स तो दोस्तों हमने जाना की कैसे एक हम्बल ओरिजन से शुरुआत करके चंद्रगुप्त मौर्य बनाते हैं अपनी टाइम का सबसे बड़ा अंपायर और कैसे ही अंपायर में एक स्ट्रांग सेंट्रलाइज्ड एडमिनिस्ट्रेशन को मेंटेन किया जाता था कहा जाता है की उनका अंपायर कंपैरिजन में सिकंदर डी ग्रेट के अंपायर से काम नहीं था उनकी ही लिगसी को आगे बढ़ते हैं उनके बेटे बिंदुसार जिनकी कहानी हमने जानी और बिंदुसार के बाद आते हैं अशोक जिनके बड़े में हम नेक्स्ट लेक्चर में पढ़ेंगे दोस्तों हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स दुनिया भर
के महान राजाओं और उनके ग्लोरी की कहानियां से भरे हुए हैं ऐसी ही ये कहानी है भारत के मौर्य डायनेस्टी के रोलर आशु का डी ग्रेट की जिन्होंने मौर्य अंपायर को असिएंट इंडिया का सबसे पावरफुल किंगडम बना दिया लेकिन ग्रेट कॉकरोच और ग्रेट अंपायर्स बिल्ड करने वाले राजाओं की इतिहास में कोई कमी नहीं है तो फिर ऐसा क्या है जो अशोक को इतना पॉपुलर और ग्रेट बनाता है ऐसा क्या हुआ की मॉडर्न हिस्टोरियन जो मैक्स को लेकर काफी क्रिटिकल है वह भी अशोक की तारीफ करते नहीं थकते दोस्तों इसका जवाब हमें अशोक ट्री में मिलता है जिसमें कुछ ऐसी
अनबीलिबेबल और शानदार चेंज हुए जो दुनिया भर के लिए मिसल बन गए हम आपको बता दें की अशोक के बड़े में हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स कहते हैं की पहले वो एक बेहद क्रुएल और ब्रॉक ली राजा थे चाइनीस कॉलर फहीम तो यह तक लिखने हैं की अशोक अपने शुरुआती दूर में ऐसे लगता थे जैसे वो खुद हेल्थ से अलग-अलग टॉर्चर टेक्निक्स सीकर आए हो और इसीलिए उनका नाम चांदना शो का पद गया मीनिंग डी ब्रूटल होगा दोस्तों हम इस वीडियो में बात करेंगे अशोक की इसी लाइफ ट्रांजैक्ट के बड़े में और समझेंगे की ऐसा कैसे हुआ की अशोक जो एक टायरों से काम नहीं था उसका बनाया हुआ लायन कैपिटल
वर्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी का नेशनल एंबलम बन गया हम देखेंगे की कैसे अशोक अपनी रुठलैसनेस और क्रुएलिटी को त्याग कर अहिंसा और धर्म के प्रचारक बन गए और दुनिया भर में शांति संदेश भेजना लगे यह कहानी है अश्वगा के चंदा शोक से धाम आशु का बने की और उनके जीवन के उन पहलुओं की जो उन्हें मॉडर्न सोसाइटी के पैरामीटर पर भी ग्रेट बनाते हैं आई बात करते हैं बैकग्राउंड की बात 326 ई की है जब पुरी दुनिया को जितने का सपना लेकर सिकंदर मेसिडोनिया से व्यास तक पहुंच लेकिन भारत के सबसे पावरफुल किंगडम मगध के नंद डायनेस्टी के खौफ से उसकी सी ने आगे
जान से इनकार कर दिया नतीजतन सिकंदर वापस लोट गया सिकंदर भारत में ज्यादा कुछ अजीब तो नहीं कर पाया लेकिन उसने नॉर्थ वेस्टर्न इंडिया की पालिटी को डिस्टर्ब करके रख दिया जिसका फायदा उठाकर चंद्रगुप्त मौर्य ने 30020 ई पंजाब में मौर्य किंगडम को एस्टेब्लिश किया और उसे एक्सपेंड करते हुए नंद डायनेस्टी को डिस्ट्रॉय और खुद को मगध का एमप्लीफायर डिक्लेअर कर दिया मगध की कैपिटल प्रोस्पेरिटी पुत्र थी जो प्रेजेंट दे पटना के पास है अशोक इन्हीं चंद्रगुप्त मौर्य के ग्रैंडसन थे और बिंदु सर के दूसरे बेटे अशोक की कैपेबिलिटी की कहानी मगध में उनकी
यंग आगे सी मशहूर थी 18 साल में ही तक्षशिला के एक मैसिव रिबेलीयन को खत्म कर वो अवंती के गवर्नर बने इसके बावजूद उनका थ्रोन हासिल करना नामुमकिन था क्योंकि उनकी मां एक सिंपल फैमिली से थी जबकि क्राउन प्रिंस बिंदु सर के बड़े बेटे सुसीमा की मां एक प्रिंस थी कुछ सालों बाद तक्षशिला में फिर से विरोध हुआ सुसीमा तक्षशिला भेज दिए गए जिसके कुछ दोनों बाद बिंदुसार की डेथ हो गई बिंदुसार के मिनिस्टर्स अशोक को ज्यादा कैपेबल मानते थे और इसीलिए उनके सपोर्ट में अशोक मगध के एंपरर डिक्लेअर कर दिए गए लेकिन जब सुसीमा को यह पता चला तो मगध में
सक्सेशन को लेकर कनफ्लिक्ट हुआ 270 ई में अशोक की विक्ट्री से हुआ ने अपने 99 ब्रदर्स को ब्रूटली मार डाला किंगडम में एक टॉर्चर प्रिजन बनाया गया जिसको अशोक'एस हेल्थ कहते थे जहां बिजनेस और रिबेल्स को टॉर्चर पनिशमेंट दी जाति थी अशोक से उनके वह मिनिस्टर्स भी नाराज थे जिन्होंने सक्सेशन में उनको सपोर्ट किया था खैर अशोक ने अपने चक्रवातीं यानी किंग ऑफ किंग बने के सपना के लिए एक्सपेंशनरी पॉलिसी फॉलो करते हुए अंपायर को उसके चरण पर पहुंच दिया जो हिमालय से लेकर मैसूर और हिंदू कुश से लेकर ब्रह्म पुत्र तक फेल गया
लेकिन अशोक की यह पॉलिसी एक विश्व साइकिल थी इतने बड़े अंपायर और राइजिंग मिलिट्री एक्सपेंडिचर का मैनेजमेंट पुर कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी अशोक ने इस बैटल को पर्सनली लीड किया और कलिंग के टू अपोजिशन के बाद भी इस कंपलीटली डिस्ट्रॉय कर दिया जिसमें 1 लाख की डेथ 1.5 लाख से ज्यादा डिस्प्लेसिड और हजारों लोग स्टार्वेशन से मा गए कन्वर्जन तो बुद्धिस्म जब अशोक ने कलिंग का डिस्ट्रक्शन देखा तो उनका जीवन हमेशा के लिए बादल गया डेथ और डिस्ट्रक्शन के इस हॉरिफिक सीन ने उनको झागजोर कर रख दिया था दुनिया के इतिहास में अशोक शायद पहले किंग
हुआ जिसने विक्ट्री में जश्न नहीं दुख व्यक्त किया यह चेंज मां की कहानी है जिसने पावर के लिए शायद अपने 99 भाइयों का कत्ल कर दिया था कुछ हिस्टोरियन कहते हैं की कलिंग वार के बाद शो करने वायलेंस को कंपलीटली छोड़कर बुद्धिस्म को अपना लिया उपगुप्त ने इसको पहले ही बुद्धिस्ट मोंक और सुषमा के बेटे नेगरोदा के अंदर बुद्धिस्ट उपासक बन गए थे अशोक अलग-अलग इतिहास को हमेशा समझना की कोशिश करते थे लेकिन वह सिर्फ नेगरोद से इंप्रेस हुए जो अपने पिता सुसीमा के मर्डर अशोक से मिलकर बिल्कुल भी नाराज नहीं हुए वैसे नेगरोद अशोक डायलॉग की हिस्टॉरिसिटी
भी डाउटफुल है अशोक का कन्वर्जन एक्जेक्टली कब हुआ यह बात डिबेटेबल है लेकिन यह फैक्ट है की उनका कन्वर्जन ओवरनाइट नहीं हुआ रोमिला था पर कहती हैं की अशोक एक एडिट में खुद लिखने हैं की वह कलिंगा वार के 2 साल बाद ही बुद्धिस्म के जलेश डायबिटीज बने लेकिन वहां भी कन्वर्जन डेट मेंशन नहीं है सारनाथ लुंबिनी और कुशीनगर के पिलग्राइमेज पर गए और बुद्धिस्म के मैसेज को एग्रेसिवली अपनी धाम की पॉलिसी के थ्रू स्प्रेड करने लगे हम आपको बता दें की बोधी ट्री में गौतम बुद्ध ने इन लाइटनमेंट अचीव किया सारनाथ में उन्होंने अपना पहले समान दिया
लुंबिनी उनका बर्थ प्लेस है और कुशीनगर में उन्होंने निरवाना अचीव किया थर्ड बुद्धिस्ट काउंसिल 240 ई में अशोक ने थर्ड बुद्धिस्ट काउंसिल ऑर्गेनाइजर किया इस काउंसिल का कोर्स था बुद्धिस्ट संघमित करप्शन और 60000 आगे का सामी इनफील्ट्रेशन काउंसिल में कुछ इंपॉर्टेंट डिसीजंस हुए जैसे संघ को रिऑर्गेनाइज करना मुगली पुत्र द्वारा कथा वीटीयू स्क्रिप्चर कंपिल किया गया दुनिया भर में बुद्धिस्ट मिशन भेजना का डिसीजन भी लिया गया और अशोक ने कश्मीर गांधार बर्मा सीरिया इजिप्ट और मेसिडोनिया तक ऑन वॉइस भेजें सबसे इंपॉर्टेंट मिशन अशोक के चिल्ड्रन
महिंद्रा और संघमित्र का माना जाता है लीजेंड्स संघमित्रा को श्रीलंका कैपिटल अनुराधापुरा में बोधी ट्री प्लांट करने का क्रेडिट देते हैं जो वहां आज भी है और एक सीक्रेट साइट है इस पॉलिसी ने बुद्धिस्म को श्रीलंका के अलावा तिब्बत चीन जापान और साउथ ईस्ट एशिया तक पहुंचा जो बाद में एक वर्ल्ड रिलिजन बन गया ये एक मॉडर्न इंडिया की सॉफ्ट पावर का भी सोर्स है इसके बाद इंडिया के फॉरेन कॉन्टैक्ट्स एक नए रूप से एस्टेब्लिश हुए और इस फॉरेन पॉलिसी ने अश्रुका को अपने बॉर्डर्स पीसफुली सीकर करने में भी हेल्प किया इन कॉन्टैक्ट्स का इन्फ्लुएंस अशोकनगर
आर्किटेक्चर में भी दिखता है इंस्पायर बताते हैं अशोक के रूल की सबसे इंपॉर्टेंट बात उनकी पॉलिसी ऑफ धर्म थी जो गौतम बुद्ध की मध्य मार्ग की फिलासफी से इन्फ्लुएंस थी यह हमें एक्सट्रीम इंदुलगेंस इन वर्ल्डिज्म दोनों से बचाने और मिडिल पाठ अडॉप्ट करने का सजेशन देती है इसीलिए अशोक ने सिर्फ एक्सट्रीम मैथर्ड को क्यूट किया लेकिन ऐसी टिज्म को अडॉप्ट नहीं किया यह बात नोट करने लायक है की कैसे अशोक ने बुद्धिस्ट आइडियल को उसे कर एक यूनिक और इंस्पिरेशनल पॉलीटिकल सिस्टम बनाया इस सिस्टम के अंदर बिटरनल किंगशिप आशु का के
रूल का गाइडिंग प्रिंसिपल बना है जिसमें सिटीजंस का वेलफेयर टॉप मोस्ट प्रायोरिटी था कहते हैं की कलिंगा वार के बाद अशोक पीपल स्क्रीन बन गए जो अपने सिटीजंस के ग्रीवेंस को पर्सनली रिड्रेस और वेलफेयर एक्टिविटीज प्रमोट करते थे उन्होंने मेडिसिनल ट्रीटमेंट मेडिसिनल प्लांट्स का प्लांटेशन और ट्रैवल्स के लिए फूड और शेड का इंतजाम किया अशोक ने अहिंसा ट्रूठफूलनेस रिस्पेक्ट पर एल्डर ह्यूमन ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स जैसे मैसेज भी स्प्रेड किया अशोक की पॉलिसी बिल्कुल नहीं था अशोक का सभी रिलिजियस को जनरस डोनेशन देते थे उन्होंने धाम मेहनत
नाम के स्पेशल ऑफिसर्स सेक्स का वेलफेयर था यहां तक की बार्बर केव्स के सुदामा और लोमस ऋषि केव्स को उन्होंने आजीवी सेट को डेडिकेट करने के लिए बनवाया था अशोक की इन्हीं किंडनेस और टोलरेंस की पॉलिसी की वजह से उनके एडिट उन्हें देवनाम भी आप यादासी बोलते हैं जिसका मीनिंग बिलव्ड ऑफ डी गोदरेज आदर्श विथ किंडनेस है अदर अचीवमेंट्स गवर्नेंस के अलावा अशोक कंट्रीब्यूशन आर्किटेक्चर में भी इमेंस है और उन्हें स्टोंस स्ट्रक्चर्स का पायनियर माना जाता है इनमें सबसे इंपॉर्टेंट असोकन पिलर्स हैं सारनाथ के लायन कैपिटल को तो आप जानते ही
होंगे जो हमारे नेशनल एंबलम और उसमें कबाड़ अशोक चक्र हमारे नेशनल फ्लैग में अडॉप्ट किया गए यह दोनों धाम के सिंबल्स हैं जिसमें वेलफेयर इंपॉर्टेंट [संगीत] एलिमेंट्स में है जो पूरे मौर्य अंपायर में मिलते हैं उनका में परपज धर्म को स्प्रेड करना था ऐसा कहते हैं की यह इनस्क्रिप्शंस डेली एक ऑफिसर सारे सिटीजंस के सामने रीड करता था और ऐसा लगता था की शायद एंपरर उनसे डायरेक्टली बात कर रही हैं इसीलिए इनको लाजली लोकल लैंग्वेज जैसे पाली प्रकृति और आयुर्वेद में लिखा गया मीन इनस्क्रिप्शंस में मेजर रॉक एडिट पर 12 और 13 और माइनर एडिट वन है एडिट पर
रूल्स ऑफ मोरालिटी उपासक होने का डिस्क्रिप्शन देते हैं और उनके ऊपर बनाने का ऑर्डर दिया हालांकि हिस्टोरियन 84000 सुपर को एग्जैगरेशन मानते हैं लेकिन अशोक ने कुछ तो बस बनवाई जरूर जिम मोस्ट इंपॉर्टेंट यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट सांची स्तूप है जो दुनिया भर में अपने ग्रैंडियर के लिए फेमस है बहरहुत स्तूप धमक स्तूप अमरावती स्तूप भी अशोक के रूल में ही बने अशोक को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट महाबोधि टेंपल गया को बनाने का क्रेडिट भी दिया जाता है वह गौतम बुद्ध गेंद इन लाइटनमेंट मौर्य पैलेस को तो मेगस्थनीज
सबसे महान क्रिशन में मानते हैं और फहीन इनको गॉड गिफ्टेड मॉन्यूमेंट्स कहते हैं इनमें मोस्ट फेमस अशोक पैलेस और पटना के कुम्हार का डेथ और लिगसी अशोक की डेथ पर भी कई डिबेट लीजेंड के हिसाब से 232 पीसी में अशोक की एक वाइफ ने बोधी ट्री को डिस्ट्रॉय कर दिया था जिसके शोक में उनकी डेथ हो गई मृत्यु का सच जो भी हो लेकिन अशोक के बाद मौर्य डायनेस्टी की ग्लोरी खत्म होने लगी ये एक हिस्टोरिकल फैक्ट है हिस्टोरियन राय चौधरी इसका कैसे अशोक की पेसिफिक पॉलिसी को ही मानते हैं जिसने उनकी मिलिट्री स्ट्रैंथ को कमजोर किया
लेकिन रोमिला था पर बोलती है की अशोक की पैसेफिस्ट पॉलिसी को ब्लेम करना एग्जैगरेशन है जिनकी पैसेफिज्म का मतलब मिलिट्री को डिसबैंड करना नहीं सिर्फ मैक्सिमम रेस्टोरेंट अडॉप्ट करना था मौर्यस्क डिक्लिन के दूसरे रीजंस जैसे बैक्टीरिया ग्रीक्स का इन्वेसन और लॉक ऑफ वर्दी सकसेस ज्यादा वैलिड मैन जाते हैं खैर 185 ई में पुष्यमित्र शुंग ने लास्ट मौर्य बृहद्रथ को एसासिनेट कर मौर्य अंपायर का अंत कर दिया लेकिन अशोक की लिगसी ने उसे इतिहास के पन्नों और लोगों की दिलों में अमर बना दिया अमर्त्य सेन कहते हैं की मॉडर्न सोसाइटी
में जहां वार वायलेंस और कम्युनलिज्म मेजर प्रॉब्लम्स हैं वहां अशोक की रिलिजियस टोलरेंस इंडिविजुअल फ्रीडम और पीस की पॉलिसी इंस्पिरेशनल है उनकी लिगसी की वजह से ही फेमस इंग्लिश राइटर ग वेल्स लिखने हैं की अमित क्राउड कॉलम्स ऑफ हिस्ट्री डी नाम ऑफ अशोक साइंस और साइंस शब्दों में कहें तो उनका सबसे बड़ा लिगसी उनका मैसेज डी फिनेस्ट कॉक्वेस्ट इसे डी कॉक्वेस्ट ऑफ डी राइट नोट मन ड्यूरिंग 200 ई तो 300ad आज हम कर करने वाले हैं असिएंट इंडियन हिस्ट्री का ऐसा पीरियड जिसे कन्वेंशनल हिस्ट्री राइटिंग्स में डार्क पीरियड कहा जाता है यानी की 200
ई से 300 एड तक का समय ऐसा इसलिए क्योंकि 200 ई और 300 एड के बीच कोई भी बड़ी इंपीरियल डायनेस्टी नहीं रहती बल्कि इस पीरियड के दौरान बहुत साड़ी डायनेस्टी अलग-अलग रीजन में रूल करती हैं बट क्या इस पीरियड को डकेज कहना ठीक होगा यह हम आज इस वीडियो में जन की कोशिश करेंगे आज हम इसी पीरियड की कुछ इंपॉर्टेंट डायनेस्टी को कर करेंगे जैसे सुंदर इसके अलावा हम इस पीरियड में हुई इंपॉर्टेंट स्ट्रेट डेवलपमेंट और ट्रेड गिल्ड्स को भी समझेंगे जो की मौर्य आर्मी में एक सेनापति थे लास्ट मौर्य रोलर बृहद्रथ को अराउंड 180 ई
में करने के बाद वो सॉन्ग डायनेस्टी को एस्टेब्लिश करते हैं कहा जाता है की उज्जैन को बिलॉन्ग करते थे पुष्यमित्र शुंग ने अश्वमेध यज्ञ भी परफॉर्म किया था बुद्धिस्ट सोर्सेस जैसे की दिव्या वदीना में पुष्यमित्र को बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज का डिस्ट्रॉयर कहा पुष्यमित्र शुंग नॉर्थ वेस्ट की तरफ से यवनज यानी की बैक्टीरिया ग्रीक्स के अटैक्स का भी सामना करते हैं और अपने ग्रैंडसन अग्निमित्र की हेल्प से इनको हारने में कामयाब होते हैं पुराण के अनुसार पुष्यमित्र 36 साल तक रूल करते हैं और उनके बाद रोलर बनते हैं अग्निमित्र
संगा अग्निमित्र संगा की बात करें तो यही कालिदास के फेमस ड्रामा मालविकाग्निमित्रों के हीरो हैं इनके रूल में भी बैक्टीरिया ग्रीक्स के साथ फ्रिक्वेंट क्लासेस होते हैं कहा जाता है की साकेत यानी की मॉडर्न अयोध्या तक ए जाते हैं इनके कोर्ट में ही तक्षशिला के राजा एचटीएल किड्स के मैसेज आते हैं अपने गरुड़ या 20 नगर इनस्क्रिप्शन के लिए यह भागवत रिलिजन अपना लेते हैं और विदिशा में गरुड़ पिलर का कंस्ट्रक्शन करवाते हैं जो बैग भद्र की कैपिटल थी 20 नगर इनस्क्रिप्शन सबसे पहले इनस्क्रिप्शन एविडेंस है भागवत रिलिजन का
यह राउंड 13 ई में बनवाया गया था लास्ट सॉन्ग रोलर थे देवभभूति यह कंस्पायरेसी का शिकार हो जाते हैं जिसका मास्टरमाइंड खुद इनका ही एक ब्राह्मण मंत्री होता है और वो मंत्री थे वासुदेव कनवा जो स्टार्ट करते हैं कंवर डायनेस्टी अराउंड 75 ई में लेकिन यह डायनेस्टी बहुत लंबे समय तक नहीं रहती राउंड 30 ई में इसका और हो जाता है कन्वर्ट डायनेस्टी के लास्ट रोलर थे सु शर्मा जिन्हें सातवाहन डायनेस्टी के फाउंडर सिम्यु का मार देते हैं सातवाहन डायनेस्टी के बड़े में हम थोड़ी देर में डिटेल में देखेंगे दोस्तों यह तो बात हुई नॉर्थ इंडिया के रीजन की अब चलते
हैं नॉर्थवेस्ट की तरफ जहां बहुत से आउटसाइडर आकर अपना रूल एस्टेब्लिश करते हैं इनमें सबसे पहले थे इंडो ग्रीक्स तो आई उनके बड़े में जानते हैं इंडो ग्रीक्स को इंडियन सोर्सेस जैसे की पुराण में यवनस कहा जाता है यह ओरिजिनल अंपायर के शत्रुध्स यानी की सबोर्डिनेट्स थे बाद में जब सालियों से अंपायर कमजोर होने लगता है तो राउंड 250 ई में बैक्टीरिया के ग्रीक गवर्नर दिउ डॉटर्स रिवॉल्ट कर देते हैं और एक इंडिपेंडेंस रोलर की तरह बैक्टीरिया पर रूल करना शुरू करते हैं बैक्टीरिया सेंट्रल एशिया के 1 इंच रीजन का नाम है जो हिंदू कुश माउंटेन रेंज के
नार्थ और एक्सिस रिवर के साउथ यानी की मॉडर्न दे अफगानिस्तान के एरिया को कर करता था सेंट्रल एशिया का एक नोमेडिक ट्राइब जिसका नाम था बैक्टीरिया ग्रीक्स के लिए खतरा बना हुआ था चाइनीस वॉल किचन के बाद क्ट्स चीन की तरफ मूव नहीं कर सकते थे इसलिए वो बैक्टीरिया की तरफ मूव करते हैं और अटैक करना शुरू करते हैं कीट के अटैक से बचाने के लिए बैक्टीरिया ग्रीक्स इंडिया की तरफ मूव करते हैं और यही बैक्टीरिया ग्रीक्स जो इंडिया में अपना अंपायर बनाते हैं इंडो ग्रीक्स कहे जाते हैं सबसे इंपॉर्टेंट इंडो-ग्री किंग थे मेनंदा और मिलिंद इनके
टाइम में यानी की अराउंड 165 ई में ग्रीक पावर स्वाद वाली से पंजाब तक फैली हुई थी पंजाब की सकल यानी मॉडर्न सियोल कोर्ट में इनकी कैपिटल से बहुत सारे क्वेश्चंस पूछते हैं बुद्धिस्म के बड़े में यह क्वेश्चंस और उनके आंसर्स एक बुक के फॉर्म में रिकॉर्ड किया जाते हैं जिसका नाम है बना इंडो ग्रीक्स पहले ऐसे रुलर्स थे जिन्होंने इंडिया में गोल्ड कोइंस इशू किया थे यह कोइंस की हिस्ट्री का वैल्युएबल सोर्स भी हैं कोइंस के ऊपर रोलर का नाम और इमेज होती थी और साथ ही उनका टाइम पीरियड भी जिससे हमें इन रुलर्स के बड़े में जानकारी मिलती है
हमें अराउंड 30 इंडो ग्रीक रुलर्स के बड़े में पता चला है उनके कोइंस की हेल्प से इन कोइंस पर इंडियन और ग्रीक में इनस्क्रिप्शन थे और कुछ कोइंस पर इंडियन डेट्स की इमेज भी मिलती हैं इंडो ग्रीक्स के टाइम में ही पहले बार बुद्ध की इमेज वरशिप शुरू होती है इसके अलावा सबसे ज्यादा ग्रीक इन्फ्लुएंस आर्ट और स्कल्पचर में देखने को मिलता है जैसे की गांधार स्कूल डायनेस्टी नॉर्थवेस्ट एरिया में कंट्रोल एस्टेब्लिश करती है वह उनके बड़े में जानते हैं सकेस सकेस सेंट्रल एशिया की नोमेडिक ट्राइब्स में से एक थे सेंट्रल एशिया की
एक और ड्राइव ऊ सक्स को अटैक करते हैं जिसकी वजह से सकेस को बैक्टीरिया बॉर्डर छोड़कर इंडिया की तरफ माइग्रेट करना पड़ता है सागर इंडो ग्रीक रुलर्स को हराकर इंडिया के नॉर्दर्न और नॉर्थ वेस्टर्न रीजन पे अपना कंट्रोल बना लेते हैं सकल फाइव ब्रांचेस में डिवाइडेड थे इनकी एक ब्रांच थी अपार डेक्कन में सेकंड ब्रांच का इन्फ्लुएंस था पंजाब में इनकी कैपिटल तक्षशिला थी थर्ड ब्रांच का हॉल वेस्टर्न इंडिया के ऊपर था फोर्थ ब्रांच मथुरा में सेटल थी और फिफ्थ अफगानिस्तान में यह गांधार के ऊपर रूल करते हैं यानी की आज के पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रीजन में
इनकी कैपिटल थी पाकिस्तान पंजाब के सरक एरिया में इनके पुत्र अजान टेरिटरीज को भी जीत लेते हैं आफ्टर डिफीटिंग डी लास्ट ग्रीक रोलर हिप्पोसरे टॉस को सबसे ज्यादा लंबे समय तक रूल करते हैं वेस्टर्न ब्रांच के साथ यह लगभग 4 सेंचुरी तक पावर में रहते कुछ इंपॉर्टेंट रुलर्स को जानते हैं जस्ट आना रेन 7880 जो उज्जैन से रूल करती थी वहां के राजा थे इनके 78 एड में पावर में आने पर ही शाखा एरा की शुरुआत मनी जाति है रुद्रा दमन वन रेन 13080 में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट मैन जाते ग्रैंडसन थे इनके किंगडम में कुंभकरण नर्मदा वाली काठियावाड़ गुजरात और मालवा
शामिल थे इन्होंने काठियावाड़ में सुदर्शन लेक को रिपेयर कराया था सुदर्शन लेख गिरनार हिल के मिडिल में लोकेटेड थी इसको सबसे पहले चंद्रगुप्त मौर्य के ऑर्डर पर उनके गवर्नर चंद्रगुप्त वैश्य ने कंस्ट्रक्ट कराया था इसके बाद अशोक के टाइम में उनके ग्रेट मास्टर तो शास्त्र ने इस लेख को रिबिल्ड और स्ट्रेंजर कराया यही पर रुद्रा दमन में संस्कृत का सबसे पहले इनस्क्रिप्शन भी इशू किया था जिसे जूनागढ़ इनस्क्रिप्शन या गिरनार इनस्क्रिप्शन कहा जाता है ये सका एयर 72 यानी की 150 एड में इनस्क्राइब्ड किया गया था इसको ब्राह्मी स्क्रिप्ट और
संस्कृत लैंग्वेज में लिखा गया है इस इनस्क्रिप्शन में 20 लाइंस हैं जिसमें से पहले आठ लाइन सुदर्शन लेकर रेस्टोरेशन के बड़े में है इसके अलावा इसमें रुद्रा दमन के मालवा सौराष्ट्र नॉर्दर्न कोकण और नर्मदा वाली के कॉक्वेस्ट की इनफॉरमेशन भी मिलती है यह भी बताया वृष्टि पुत्र दमन के बाद इस एरिया में सकेस का रूल बना राहत है फोर्थ सेंचुरी एड के रूल किड होता है गुप्ता डायनेस्टी के चंद्रगुप्त डी सेकंड हर देते हैं पार्थियन चलिए इनके बड़े में जानते हैं ऐसा कहा जाता है की भारतीय अंश ईरान को बिलॉन्ग करते थे और वहां से माइग्रेट करके
यह इंडिया आते हैं फर्स्ट सेंचुरी में नार्थ वेस्ट के स्मॉल पोर्शन में यह अपना कंट्रोल एस्टेब्लिश कर पाते हैं इनको इंडियन सोर्सेस में पहले वाज कहा जाता है सबसे रिनाउंड पार्थन किंग थी गोल्डफिश इनका रूल काबुल से लेकर पंजाब तकनिज के टाइम में ही सेंट थॉमस क्रिश्चियनिटी का प्रचार करने के लिए इंडिया आते हैं भारतीय को फॉलो करते हैं कुशंस आई जानते हैं और फिर धीरे-धीरे काबुल वाली की तरफ आते हैं और गांधार को कंकर कर लेते हैं कुशन अंपायर उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सेंट्रल एशिया के खोरासनतक और ऑक्सीजन कुशन अंपायर के फाउंडर थे
कैटफिश यह काबुल के एरिया में रूल करते हैं अराउंड विम कैटफिश जो कुशल कैटफिश को सकसीड करते हैं पहले कुशन रोलर थे जिन्होंने गोल्ड कोइंस इशू किया थे इनके कोइंस पर लॉर्ड शिवा और नदी की इमेज मिलती है सबसे इंपॉर्टेंट कुशन रोलर मैन जाते हैं कनिष्क जो रूल करते हैं 78 एडी से 10001 एड तक इनकी कैपिटल थी पुरुषपुर यानी की मॉडर्न पेस आवरण पाकिस्तान मथुरा इनकी सेकंड कैपिटल थी इनका अंपायर ईस्ट में पाटलिपुत्र तक फैला हुआ था और वेस्ट में अफगानिस्तान और बैक्टीरिया कनिष्क के कोर्ट में 5 फेमस पर्सनेलिटीज शामिल थी जिन्हें पंचरत्न अभी कहते
कनिष्क ने चाइनीस एंपरर के खिलाफ दो बार इन्वेसन किया जिसमें पहले बार इनको हर का सामना करना पड़ा था लेकिन दूसरी बार में इनको जीत मिलती है कुशन ने अपने खुद के टेंपल्स भी बनवाई मतलब इन टेंपल्स में कुशन राजाओं की पूजा होती थी कनिष्क के धड़ का स्टैचू हमें मथुरा में मिलता है जो मथुरा के ही म्यूजियम में रखा गया है कनिष्क ने कश्मीर में फोर्थ बुद्धिस्ट काउंसिल भी ऑर्गेनाइजर कराई थी बुद्धिस्म के महायान फॉर्म की डॉक्टर इसी काउंसिल में फाइनलाइज्ड होती हैं पुरुषपुर में एक मॉनेस्ट्री और सुपर भी कनिष्क ने बनवाया
था सिल्क रूट जहां से वर्ल्ड ट्रेड का मेजर पोषण होकर गुजरा था कनिष्क के अंपायर का पार्ट थी जिसे इन्हें काफी रिवेन्यू मिलता था इनके टाइम पीरियड में गांधार और मथुरा स्कूल अवार्ड काफी डेवलप होते हैं कनिष्क के सक्सेस रूल करना कंटिन्यू रखते हैं लगभग एक और सेंचुरी तक लास्ट इंपॉर्टेंट रोलर माना जाता है वासुदेव को इनके बाद कुशन अंपायर का डिक्लिन शुरू हो जाता है थर्ड सेंचुरी के मिड में ईरान में सासानियन पावर का राइस होता है जो कुशन अंपायर के अफगानिस्तान और इंडिया के वेस्ट वाले पार्ट्स को जीत लेते हैं इसके बाद
कुशन आज की पोजीशन रिड्यूस होकर सबोर्डिनेट्स की र जाति है वह इस टाइम पीरियड और कुशन रुलर्स के बड़े में काफी इंपॉर्टेंट इनफॉरमेशन देते हैं जैसे की इनके कोइंस पर अलग-अलग रिलिजियस ट्रेडीशंस की मोती देखने को मिलते हैं जैसे बुद्ध शिवा पर डेट इस हेलिओस और सलीम एटरा की इमेज इससे कुशन रुलर्स के रिलिजियस टोलरेंट नेचर का पता चला है इसके अलावा बड़े नंबर में कोइंस का इशू होना इनकी स्ट्रांग इकोनामिक कंडीशंस को भी दर्शाता है इनके कोइंस हमें अंपायर की बाउंड्री के बाहर जैसे की वेस्टर्न एशिया के रीजंस में और रोमन
अंपायर तक मिलते हैं जो बताता है की इन एरियाज के साथ कुशंस की ट्रेड रिलेशंस थे दोस्तों ये तो कहानी थी 9 दिन बाद की अब चलते हैं डेक्कन के रीजन की तरफ जहां सातवाहन डायनेस्टी अपना अंपायर बनती है सातवाहन पुराण में सातवाहनस को आंध्राज बोला गया सातवाहन आज डायनेस्टी का फाउंडर माना जाता है इनके भाई कृष्णा वन या कान्हा के बड़े में हमें नासिक के इनस्क्रिप्शन से पता चला है पहले इंपॉर्टेंट रोलर थे सातकर्णि वन जो 27 ई से 17 ई तक रूल करते हैं इनकी वाइफ का नाम था नेन का नग्निका ने ही नाना घाट इनस्क्रिप्शन इशू किया था जिससे हमें
इंपॉर्टेंट सातवाहन रुलर्स के बड़े में पता चला है सातकर्णि वन ने अश्वमेध यज्ञ भी ऑर्गेनाइज किया था इस यज्ञ के बाद उन्होंने सिल्वर के कोइंस इशू किया जिसमें उनकी वाइफ नगीनिका का नाम इंगरिव था इन्होंने दक्षिण किया था एक और इंपॉर्टेंट रोलर था हाल जो फेमस है गटर सप्तशती के राइटर के रूप में यह प्रकृति लैंग्वेज में लिखी गई थी सातवाहन डायनेस्टी के सबसे इंपॉर्टेंट रोलर मैन जाते हैं गौतमीपुत्र इनके बड़े में हमें पता चला है नासिक इनस्क्रिप्शन से नासिक इनस्क्रिप्शन इनकी मदर गौतमी बसी ने इशू किया था इसमें गौतमीपुत्र सातकर्णि की मिलिट्री
कॉक्वेस्ट की डीटेल्स मिलती है यह रूल करते हैं 116 से 138 तक इन्होंने ही वेस्टर्न डेक्कन और गुजरात यानी सरकार रुलर्स को हराया था गौतमीपुत्र सातकर्णि के बाद रोलर बनते हैं इनके पुत्र वशिष्ठ पुत्र फूलमावि इनको सरकार रोलर रुद्रा दमन ने दो बार हराया था यह अपनी कैपिटल चेंज करके बनाते हैं बैठे या प्रतिष्ठान इन मॉडर्न दे महाराष्ट्र लास्ट इंपॉर्टेंट सातवाहन रोलर थे यज्ञ [संगीत] सातवाहन आज ने अमरावती स्कूल अवार्ड को पीटर नाइस किया था सातवाहन को फॉलो करती है एक शिवाकू डायनेस्टी आई इनके बड़े में भी जानते हैं एक शिवा को
सातवाहन आज डायनेस्टी के फल के बाद आंध्र रीजन में रूल करते हैं एक शिवा को मत्स्य पुराण के अनुसार एक शिवा को डायनेस्टी के साथ राजा अराउंड 52 इयर्स तक यहां रूल करते हैं फाउंडर थे श्री संत मूल इन्होंने सत्व अनाज के लास्ट किंग बोलो महावीर डेट थर्ड को हराया था इनकी कैपिटल थी विजयपुरा श्री संत मूल्य के पुत्र वीर पुरुष दत्ता अगले राजा बनते हैं और इन्हें इश्कबाको डायनेस्टी का ग्रेटेस्ट किंग माना जाता है और साउथ इंडिया का अशोक भी कहा जाता है इन्हें श्री पर्वत डिप्टी भी बोला जाता है नागार्जुन कुंडा अमरावती जग गया बेटा
बाद में बुद्धिस्म अडॉप्ट करते हैं ये बुद्धिस्म फॉलो करने वाले एक शिवा को डायनेस्टी के अकेले र जाते हैं इनके टाइम पीरियड को महायान बुद्धिस्म का गोल्डन पीरियड भी का सकते हैं वीर पुरुष डेट के पुत्र थे यू वाला सतुमाला यह श्री पर्वत यूनिवर्सिटी में पुरुष भद्र टेंपल का कंस्ट्रक्शन कंप्लीट करते हैं जिसकी शुरुआत इनके पिताजी ने की थी और वाला संतु माला के पुत्र रुद्रा पुरुष डेट एक शुभाकू डायनेस्टी के लास्ट रोलर थे मंची कल इनस्क्रिप्शन के अनुसार इनको पल्लव डायनेस्टी के नरसिंह में बर्मन ने डिफीट किया था दोस्तों यह तो बात हुई 200
ई से 300 एड के बीच हुए पॉलीटिकल डेवलपमेंट्स की इसके अलावा यह पीरियड अपनी ट्रेड डेवलपमेंट के लिए भी जाना जाता है तो आई अब बात करते हैं इस पीरियड में हुई इंपॉर्टेंट ट्रेड डेवलपमेंट के बड़े में ट्रेड डेवलपमेंट फ्रॉम 200 ई तू 300 एड दोस्तों इस पीरियड में ट्रेड और कॉमर्स का बहुत तेजी से विस्तार होता है इंटरनल और एक्सटर्नल दोनों ही तरह होता था इंटरनल ट्रेड के लिए दो में रूट थे उत्तर पाठ और दक्षिण पाठ उत्तर पाठ का मार्ग पुष्कलावती या मॉडर्न 67 से तक्षशिला मथुरा कौशांबी वाराणसी होते हुए बाटुली पुत्र और वहां से
चंपा और चंद्रकेतु गढ़ तक जाता था दक्षिण पाठ जो गंगा वाली से गोदावरी वाली तक जाता था साउथ इंडिया की इंपॉर्टेंट स्ट्रीट सेंटर्स जैसे की प्रतिष्ठान और तीर को जोडा था इंटरनल ट्रेड का काम करने वाले मरचेंट्स के अलग-अलग नाम हमें कंटेंपरेरी टेक्स्ट में मिलते हैं जैसे जनरल ट्रेड को वनिक बोलते थे फाइनेंसर कुत्ते वहां कहा जाता था सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट देखने को मिलता है एक्सटर्नल ट्रेड में वेस्ट में रोमन अंपायर के साथ और ईस्ट में चाइनीस हनी अंपायर के साथ ट्रेड रिलेशंस मजबूत होते हैं परी प्लस सी में रोमन अंपायर के साथ इंडिया की ट्रेड
की डीटेल्स मिलती हैं एक्सपोर्ट के में आइटम्स थे पेपर पल्स सिल्क सैफरन और प्रेशर स्टोंस ए मॉन्सटर्स रोमन अंपायर से इंडिया में इंपोर्ट होने वाले आइटम्स थे ग्लासवेयर दिन ली इन वाइन कॉपर ईटीसी इसके अलावा चीन और रोमन अंपायर के बीच सिल्क थ्रेड में इंडियन मरचेंट्स इंटरमीडिएटीस का रोल भी निभाते थे एक्सटर्नल ट्रेड का एक रूट बैक्टीरिया से होते हुए ब्लैक सी तक जाता था और दूसरा रूट कंधार और हेर्ड से एक बटना तक जहां से फिर ट्रेडर्स लैंड के रास्ते पूर्वी मेडिटरेनियन कोर्स तक पहुंचने थे ट्रेड के डेवलपमेंट में मेजर रोल प्ले करती हैं
असिएंट पीरियड में एक ही जैसे क्राफ्ट और ऑक्यूपेशन को फॉलो करने वाले और एक ही रीजन में रहने वाले लोग गढ़ के फॉर्म में खुद को ऑर्गेनाइज करते थे वैसे तो गिल्ड्स हमें मौर्य अंपायर से ही देखने को मिलती हैं लेकिन 200 ई के बाद जब ट्रेड बढ़ाने लगता है तो गिल्ड्स का नंबर भी बढ़ता है और इनकी एक्टिविटी अपने मेंबर्स को ट्रेनिंग देती थी उनके लिए रा मटेरियल प्रोक्योर करती थी और सेल के लिए मार्केट भी देखते थी इसके अलावा गिल्ड्स बैंकर्स या ट्रस्टीस का रोल भी प्ले करती थी गिल्ड्स के कुछ जुडिशल फंक्शंस भी देखने को मिलते हैं जैसे की यह
इंश्योर करते थे की इनके मेंबर्स स्टेट के लॉस को फॉलो करें और गढ़ के अपने रूल्स को भी गल्स का एक और इंपॉर्टेंट रोल था वह था रिलिजियस और चैरिटेबल एक्टिविटीज में इनका कंट्रीब्यूशन बहुत सारे एग्जांपल्स मिलते हैं जहां गिल्ड्स ने टेंपल या मॉनेस्ट्री को दान दिया हो जैसे की मंदसौर इनस्क्रिप्शन में लिखा है की एक सिल्क विवर्स की गढ़ सूर्य टेंपल को रिनोवेट करने के लिए हेल्प करती है तो हम का सकते हैं की ट्रेड गल्स इस पीरियड में सिर्फ ट्रेड ही नहीं बल्कि हर फील्ड में बाढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं कंक्लुजन दोस्तों
हमने देखा की कैसे 200 ई से 300 एड तक का समय किसी एक बड़े डायनेस्टी का एन होकर बहुत साड़ी डायनेस्टीज का पीरियड था लेकिन एक बड़े डायनेस्टी ना होने का ये मतलब नहीं था की इस पीरियड में कोई इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट्स नहीं हुए बल्कि इस पीरियड में जैसा हमने देखा ट्रेड और कॉमर्स में काफी डेवलपमेंट हुए इसके अलावा इस पीरियड में 8 और कलर भी डेवलप होता है जिसकी डिटेल डिस्कशन हम आर्ट और कलर क्षेत्र में करेंगे संगम आगे सदन इंडिया में हिस्टोरिकल पीरियड की शुरुआत मनी जाति है और संगम पीरियड के टाइमलाइन की बात करें तो इसे थर्ड सेंचुरी ई और थर्ड सेंचुरी एड
के बीच का पीरियड माना जाता है तो चलिए शुरू करते हैं आज का डिस्कशन जो की है जिसमें हम डिटेल में इसके वेरियस एस्पेक्ट्स को समझेंगे सबसे पहले जानते हैं की इसको संगम पीरियड क्यों कहा जाता है और क्या मतलब है संगम का मीनिंग ऑफ संगम इस पीरियड का नाम पड़ा है यहां होने वाली संगम असेंबली यानी की अकादमी में ऑर्गेनाइज की गई थी इन संगम में बहुत से इंपॉर्टेंट स्कॉलर्स असेंबल होते हैं और लिटरेचर का कंप्लीशन करते हैं एंथॉलजी के फॉर्म में यह लिटरेरी वर्क द्रविडियन लिटरेचर के सबसे पहले स्पेसिमेंस मैन जाते हैं तमिलनाडु
की गई थी माना जाता है की फर्स्ट संगम मदुरई में हुई थी जिसे अटेंड किया था गॉड्स और लीजेंडरी संगम का कोई संगम ऑर्गेनाइजर की गई बहुत से तमिल लिटरेरी वर्क सरवाइव करते हैं और संगम पीरियड की हिस्ट्री को रिकंस्ट्रक्ट करने का यूजफुल सोर्स भी हैं तो आई जानते हैं संगम लिटरेचर के डीटेल्स है इसे हम रफले दो ग्रुप में डिवाइड कर सकते हैं पहले नेगेटिव और दूसरा मेजर वर्क कहा जाता है जिसमें 8thology और 10 ईडियट्स जिन्हें पट्टू पट्टू कहते हैं डिडेक्टिक टेक्स्ट को किल्लकुन्नाकु या 18 माइनर वर्क बोला जाता है सब कुछ मिलकर संगम लिटरेचर में शामिल हैं
टोल का पीएम एक टूट गई पट्टू पट्टू और दो अपेक्स सेल पर गम और मनी मंगली सबसे पहले बात करते हैं इसको सभी तमिल लिटरेचर वर्क में अर्लीस्ट माना जाता है वैसे तो यह तमिल ग्रामर के बड़े में है लेकिन उसे टाइम की पॉलीटिकल और सोशल इकोनामिक कंडीशंस के बड़े में भी इससे इनफॉरमेशन मिलती है है अगला है मतलब जो थे योनो गुरु नरनई अग्नानुरू पूर्ण हो गई कलेक्ट हो गई परिपेडल और मधुर से बंता है इसमें शामिल थे डिवाइड कर सकते हैं जिसमें सबसे ज्यादा माना जाता है है इसमें एक कोवलेंट नाम के परसों की स्टोरी है जो अपनी वाइफ गंदगी को छोड़कर
कावेरिपत्तिनम की कोटेशन माधवी से प्यार करता है दूसरी एपिक मनी मेघलाई को लिखने वाले शीतल मदुरई के ग्रीन मर्चेंट थे इन्होंने कोवलन और माधवी की डॉटर की लाइफ के एडवेंचर्स के बड़े में लिखा है संगम लिटरेचर के अलावा भी कुछ सोर्सेस हैं जो हमें इस पीरियड की इनफॉरमेशन देते हैं चलिए उनके बड़े में भी जानते हैं आदर्श संगम पीरियड के बड़े में हमें अलग-अलग सोर्सेस से डीटेल्स मिलती हैं जैसे की जैसे ग्रीक राइटर वेस्ट और साउथ इंडिया के बीच की ट्रेड कॉन्टैक्ट्स की इनफॉरमेशन देते हैं यह तो बात हुई संगम पीरियड की पॉलीटिकल सिचुएशन के बड़े
में पॉलीटिकल हिस्ट्री ऑफ संगम पीरियड संगम आगे के दौरान साउथ इंडिया को तीन डायनेस्टी रूल करती थी जो थी चेहरा से चिरस चिरस केरला के सेंट्रल और नॉर्दर्न पार्ट्स और तमिलनाडु के कोंग रीजन को कंट्रोल करते थे इनकी कैपिटल वजी थी वेस्टर्न कास्ट के पोर्ट्स जैसे की मर्सिडीज़ और तोंडी पर इनका कंट्रोल था शेराज का रॉयल एंबलम बो और अरा था फर्स्ट सेंचुरी एड के पुगलूर इनस्क्रिप्शन में शेरा रुलर्स की तीन जेनरेशन का रेफरेंस मिलता है रोमांस के साथ ट्रेड रिलेशंस की वजह से चेहरास की इंर्पोटेंस बढ़नी है रोमांस ने चेहरा किंगडम में अगस्तस का टेंपल भी
बनवाया था चेहरा को बिलॉन्ग करते थे उनकी मिलिट्री अचीवमेंट्स की डीटेल्स हमें एपीसिल्ला पत्ता ग्राम में मिलती है इसमें इनकी हिमालय एक्सपीडिशन के बड़े में भी लिखा गया है जहां इन्होंने बहुत सारे नॉर्थ इंडियन रुलर्स को हराया था पत्नी की आइडियल वाइफ के रूप में वरशिप स्टार्ट करते हैं यह साउथ इंडिया से चीन के लिए एंबेसी सेंड करने वाले पहले राजा थे आई अब जानते हैं चोल के बड़े में और सेंट्रल पार्ट्स को कंट्रोल करते थे इनके रोल एरिया कावेरी डेल्टा था जिसे बाद में चोलामंडलम के नाम से जाना जाता है इनकी कैपिटल तिरुचिरापल्ली टाउन के पास
उरईयुर में थी बिहार या कावेरिपत्तिनम इनका के पर टाउन था इनका रॉयल एंबलम था टाइगर चोल एक एफिशिएंट नेवी भी मेंटेन करते थे संगम ज्वेलर्स के फेमस किंग थे किंग कारी पेट में इनकी लाइफ और मिलिट्री कॉक्वेस्ट का डिस्क्रिप्शन मिलता है बहुत सी संगम पोयम्स करती हैं जहां इन्होंने अचीवमेंट्स इन्हें उसे टाइम के पूरे तमिल रीजन का ओवरलोड बना देती हैं बैंक में कंस्ट्रक्ट कराया था आई जानते हैं और बे का बंगाल के कॉन्फ्रेंस के पास लोकेटेड किया था यह वैदिक रिलिजन को मानते थे और ब्राह्मण प्रीत को पीटने प्रोवाइड करते थे
इनकी पावर कड़ब्रास नाम की ड्राइव की इन्वेस्टियन के बाद डिक्लिन कर जाति है संगम आगे के बाद करीब 1 सेंचुरी से भी ज्यादा समय तक पांडियन डायनेस्टी अपनी साइनिफिकेंस को देती है दोस्तों यह तो बात हुई इंपॉर्टेंट डायनेस्टी की अब संगम आगे की ओवरऑल पालिटी और एडमिनिस्ट्रेशन को भी समझते हैं एडमिनिस्ट्रेशन संगम पीरियड के टाइम गवर्नमेंट का फॉर्म हेरेडिटरी मोनार्की था मतलब की राजा का बेटा ही राजा बंता था जैसे की हमने पहले देखा चोला आज का टाइगर किंग को एसिस्ट करने के लिए ऑफिशल्स की एक व्हाइट बॉडी हुआ करती थी जो फाइव कंसल्स
में कैटिगराइज्ड होती थी यह काउंसिल थी मिनिस्टर्स जिन्हें एमेच्योर कहते थे प्रिंस यानी की अंतर ऑन वॉइस जिन्हें सुधार बोला जाता था मिलिट्री कमांडर्स यानी की सेनापति और स्पाइस मतलब और इनका मिलिट्री एडमिनिस्ट्रेशन काफी एफिशिएंट ऑर्गेनाइजर था और सभी रुलर्स के साथ एक रेगुलर आर्मी होती थी स्टेट की इनकम का के सोर्स लैंड रिवेन्यू था और फॉरेन ट्रेड पे कस्टम ड्यूटी भी लगे जाति थी रॉयल ट्रेजरी को भरने का इंपॉर्टेंट तरीका शब्द में कैप्चर की गई बूटी होती थी रोड्स और हाईवेज को मेंटेन किया जाता था रोबरी और स्मगलिंग को रोकने के लिए यहां
गॉड्स भी तैनात किया जाते थे तो दोस्तों यह थी उसे टाइम की पॉलीटिकल सिचुएशन अब चलते हैं संगम सोसाइटी की तरफ संगम सोसाइटी तोड़ का पीएम में लैंड के 5 डिवीजन बताए गए थे कुरिंजी मतलब की पेस्टोरल लैंड मर्म जो एग्रीकल्चर लैंड का पीएम में कर कास्ट का भी मेंशन मिलता है जैसे की अरे सर मतलब रनिंग क्लास और अनार जो पॉलीटिकल और रिलिजियस फील्ड में एग्रीकल्चर प्रिमिटिव ट्राइब्स पीरियड में रहती थी इसके अलावा संगम लिटरेचर में वूमेन की पोजीशन के बड़े में काफी इनफॉरमेशन मिलती है संगम पीरियड में वूमेन को रिस्पेक्ट के
साथ ट्वीट किया जाता था और उनको इंटेलेक्चुअल एक्टिविटीज पर शुरू करना कंट्रीब्यूशन दिया था वूमेन को अपना लाइफ पार्टनर चूज करने की फ्रीडम थी है लेकिन वीडियो की लाइफ मिसरेबल होती थी सोसाइटी के हायर स्ट्रेट में सती प्रथम का भी प्रचलन देखने को मिलता था सोसाइटी की डिस्कशन के बाद चलिए अब संगम पीरियड के दौरान रिलिजियस डेवलपमेंट्स को भी देखते हैं रिलिजन ड्यूरिंग संगम आगे संगम पीरियड के प्राइमरी डेट ही थे लॉर्ड मुरूगन जिन्हें तमिल गॉड भी कहा जाता है संगम लिटरेचर में गॉड मुरूगन से रिलेटेड फेस्टिवल्स का मेंशन मिलता है मुरूगन को शिक्षा बोर्ड से
ओनर किया जाता है जो और पढ़ाई वीडियो के नाम से फेमस है इनके अलावा संगम पीरियड के टाइम वरशिप होती थी गॉड माया और मतलब विष्णु की व्यंजन यानी की हीरो स्टोन वॉरियर्स के द्वारा वार में दिखाई गई बहादुर की याद में इरेक्ट किया जाते थे चलिए अब संगम आगे की इकोनामी को समझते हैं यहां के हैंडीक्राफ्ट्स की आइटम्स इंटरनल और एक्सटर्नल ट्रेड में हाय डिमांड में रहते थे कॉटन और सिल्क क्लॉथ की स्पिनिंग और वीविंग में संगम पीपल को एक्स्पिटीज हासिल थी इनकी वेस्टर्न वर्ल्ड में बहुत डिमांड रहती थी स्पेशली कॉटन क्लॉथस की
गुहार कपूर फॉरेन ट्रेड का इंपॉर्टेंट सेंटर था इसके अलावा और भी इंपॉर्टेंट पोर्ट्स थी जैसे की तोंडी मर्सिडीज़ जैसे की अगस्त और नीरू के द्वारा इशू किया गए बहुत सारे गोल्ड और सिल्वर के कोइंस तमिलनाडु के सभी पार्ट्स में मिलते हैं जो दर्शाते हैं फ्लशिंग ट्रेड को संगम आगे में मेजर एक्सपोर्ट्स के आइटम्स थे कॉटन फैब्रिक और स्पाइसेज जैसे की पेपर लेते हैं इनके पीरियड को एलियर हिस्टोरियन एक इंटर्रैग्नम या डकेज भी कहते हैं दोस्तों संगम पीरियड डिक्लिन तो कर जाता है लेकिन इसकी लिगसी बनी रहती है द्रविडियन लैंग्वेज का डेवलपमेंट इसी पीरियड से शुरू
होता है और संगम लिटरेचर के रूप में हमें क्लासिकल लिटरेरी हेरिटेज भी मिलता है इसके साथ ही साउथ इंडिया की पॉलीटिकल सोशल कल्चरल और इकोनामिक लाइफ की फाउंडेशन भी संगम आगे में ही मिलती है गुप्ता अंपायर पॉलीटिकल हिस्ट्री एडमिनिस्ट्रेशन और सोसाइटी दोस्तों आज हम बात करेंगे भारतीय इतिहास की उन 200 सालों की जिसमें एक नॉर्थ इंडियन अंपायर ने एडमिनिस्ट्रेशन इकोनामी सोशल रिलिजियस लाइफ आज लिटरेचर साइंस मेडिसिन कहा जाता है इस वीडियो में हम समझेंगे गुप्ताज की पॉलीटिकल हिस्ट्री एडमिनिस्ट्रेशन और सोशल लाइफ के बड़े में तो आई शुरू करते हैं
पॉलीटिकल हिस्ट्री से पॉलीटिकल हिस्ट्री चला है इनमें लिटरेरी सोर्सेस एपीग्राफिकल सोर्सेस जैसे इनस्क्रिप्शन पुराना से हमें गुप्ताज की रॉयल जेनियलॉजी का पता चला है वहीं वैशाख दत्ता द्वारा लिखित देवी चंद्रगुप्त्तम और मुद्रा रक्सन में गुप्ताज के राइस पर बड़ी अच्छी चर्चा की गई है इनके अलावा महरौली आयन पिलर इनस्क्रिप्शन और इलाहाबाद पिलर इनस्क्रिप्शन सबसे इंपॉर्टेंट एपीग्राफिक एविडेंस हैं इन सोर्सेस के अनुसार मौर्य साम्राज्य की डिक्लिन होने के बाद पूरा भारत फिर से छोटी-छोटी किंग्डम्स में बट गया था जहां सॉन्ग कावा सातवाहन और छड़ी
डायनेस्टी मौर्य की नेटिव सक्सेस थे वही इंडोग्रीस सकेस भारतीय कुशाना इत्यादि मौर्य अंपायर के फॉरेन सिक्स थे इसी सक्सेशन के कम में गुप्ताज होता है श्री गुप्ता को गुप्ता डायनेस्टी का फाउंडर बताते हैं पर गुप्ता वन को माना जाता है चलिए जानते हैं चंद्र उनका वन के बड़े में चंद्रगुप्त वन रेन फ्रॉम 3:19 तू 33480 चंद्रगुप्त वन पहले बार महाराजाधिराज टाइटल यानी डी ग्रेट किंग ऑफ किंग का इस्तेमाल को दर्शाता है अपनी साम्राज्य को बढ़ाने के लिए चंद्रगुप्त बने लिच्छवी प्रिंस कुमार देवी से शादी की इससे गुप्ता फैमिली
की पावर और प्रेस्टीज और बाढ़ जाति है चंद्रगुप्त वन गंगेटिक प्लेन इंक्लूडिंग अप बिहार पार्ट्स ऑफ बंगाल पर डायरेक्ट कंट्रोल एस्टेब्लिश करते हैं उनके सामने नॉर्थ का कोई भी रोलर टिक नहीं पता है इसी करण से चंद्रगुप्त वन को गुप्ता जोकर रियल फाउंडर भी कहा जाता है गुप्ता एरा उनकी राजगद्दी पर बैठने के बाद 39328 के लगभग शुरू हुआ था चंद्रगुप्त वन के बाद समुद्रगुप्त गुप्ता डायनेस्टी की कमान संभालते हैं समुद्रगुप्त रेन फ्रॉम 3:35 तू 388 समुद्रगुप्त अपने पिता द्वारा चलाएं गए विजय रथ को हर तरफ से नॉर्थ साउथ ईस्ट
वेस्ट में बढ़ते हरि सी द्वारा लिखित प्रज्ञा प्रशांत या इलाहाबाद पिलर इनस्क्रिप्शन उनके मिलिट्री कैंपेन का डिटेल अकाउंट देता है उनके कैंपेन तीन फेस में चले फर्स्ट फैज में विज्ञान पर कंप्लीट मास्टरी के लिए लोग रोलर अच्युत और कोटा रोलर नाग सी की टेरिटरीज को अनेक कर लेते हैं सेकंड फेस दक्षिण पाठ या साउथ एक्सपीडिशन के नाम से फेमस है इस फ्रिज में समुद्रगुप्त साउथ के 12 सी के कुबेर इत्यादि को हर देते हैं पर नॉर्थ इंडिया से दूरी होने के करण वे अपनी सुप्रीमेसी एस्टेब्लिश करने के बाद इन सारे रुलर्स को उनका राज्य लोटा देते
हैं साउथ में अपनी सुप्रीमेसी एक्सेप्ट करवाने के बाद समुद्रगुप्त वापस नॉर्थ पर फॉक्स करते हैं इस थर्ड फैज में वो पूरे नॉर्थ इंडिया को अपने कंट्रोल में लेने की थान लेते हैं इसके लिए वे रुद्रा देव मथेला नागदाता जैसे 9 और किंग को हराकर उनकी किंग्डम्स हैं एक्स कर लेते हैं इस तरह वे मोस्ट ऑफ नॉर्थ इंडिया यानी आर्यावर्त पर अपना आधिपत्य स्थापित कर देते हैं उनका साम्राज्य वेस्ट में कुशंस तक और साउथ में वक्त का आज तक पहुंच जाता है उनके इस बड़े के करण समुद्रगुप्त को गुप्ता डायनेस्टी का ग्रेटेस्ट किंग माना
जाता है कुछ हिस्टोरियन समुद्रगुप्त को नेपोलियन ऑफ इंडिया की उपाधि भी देते हैं समुद्रगुप्त के बाद गुप्ता अंपायर के अगली महान राजा थे चंद्रगुप्त डी सेकंड ड्रेन 380 तू 41480 देवी चंद्रगुप्त्तम किताब के अनुसार महान समुद्रगुप्त के बाद रामागुप्ता गाड़ी पर बैठने हैं पर वे बहुत डरपोक राजा थे वे शक इन वीडियोज के डर से अपनी पत्नी ध्रुव देवी को सुरेंद्र करने के लिए तैयार हो गए थे ऐसी कंडीशन में राम गुप्ता के छोटे भाई चंद्रगुप्त तू ध्रुव देवी के सम्मान को बचाने के लिए शाखा इनवेडर और राम गुप्ता दोनों को खत्म कर
देते हैं और राजगद्दी पर बैठने के साथ ही वह ध्रुव देवी से शादी भी कर लेते हैं आगे सक्स को परमानेंटली हारने के लिए डिप्लोमेसी और मेट्रोमोनियल एलाइंस दोनों का सहारा लेते हैं सबसे पहले सेंट्रल इंडिया के नगर की बेटी कुबेर लोग से शादी कर लेते हैं इसके अलावा अपनी बेटी प्रभादेवी की शादी कर देते हैं इससे पूरे डेक्कन और सेंट्रल इंडिया में उनकी पॉलीटिकल पावर बहुत बाढ़ जाति है इस स्ट्रांग डी लाइंस बिल्डिंग के बाद वो पूरे दाल बाल के साथ वेस्टर्न शक स्क्रब पर हमला कर देते हैं भीषण युद्ध के बाद शाखा स्त्रैप्स हर जाते हैं और मालवा
और गुजरात का रीजन उनके कंट्रोल में ए जाता है परिणाम स्वरूप पाटलिपुत्र के बाद मालवा में उज्जैन उनकी दूसरी कैपिटल बन जाति है इस विक्ट्री के बाद वे सकरी यानी डिस्ट्रॉयर ऑफ सक्स का टाइटल लेते हैं साथ ही वो खुद को विक्रमादित्य नाम से भी संबोधित करते हैं इस सिग्निफिकेंट कॉक्वेस्ट के करण गुप्ता अंपायर अरब सी तक फेल जाता है भरूच दोबारा कांबी जैसे सी पोर्ट से यूरोप तक का ट्रेड उनके डायरेक्ट कंट्रोल में ए जाता है महरौली आयरन पिलर के अनुसार उन्होंने वांगस और बहल्काज जैसे सुरमा किंग्डम्स को भी हर दिया सेकंड के समय गुप्ता अंपायर नॉर्थवेस्ट
में हिंदू कुश माउंटेंस वेस्ट में गुजरात मालवा ईस्ट में पूर्वी बंगाल और साउथ में नर्मदा नदी तक कर लिया था इसके अलावा साउथ की मोस्ट ऑफ डी रुलर्स तो उनके पिता की तरह उनकी सुसरेंटी एक्सेप्ट करते ही थे उनके पीरियड के देर सारे गोल्ड कोइंस मिलने से पता चला है की चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का साम्राज्य बहुत प्रॉस्परस भी था चंद्रगुप्त तू के बाद नालंदा यूनिवर्सिटी स्थापित करने वाले कुमार गुप्ता का नंबर आता है कुमार गुप्ता रेन फ्रॉम 4:15 245 एड कुमार गुप्ता ने गुप्ता साम्राज्य बढ़ाने से ज्यादा इस कंसोलिडेटेड करने का काम किया था उनके कल
में जनरल पीस और प्रोस्पेरिटी मेंटेन रही उन्होंने देर सारे कोइंस जो साम्राज्य के मिलते हैं उन्होंने नालंदा यूनिवर्सिटी की नव भी राखी जो आगे चलकर इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिपीटेशन बन गया पर उनकी रेन का और आते-आते नॉर्थवेस्ट यानी खैबर पास से हनी इन विजन का खतरा मंडराने लगता है हम एक बहुत खूंखार सेंट्रल एशिया पेस्टोरल ट्राइब था जो रिसोर्सेस की तलाश में इंडिया पर आक्रमण करने लगा था इसी खतरे के बीच स्कंदगुप्त गुप्ता साम्राज्य की गाड़ी पर बैठने हैं स्कंध गुप्ता रेन फ्रॉम 4:55 तू 467 एड स्कंदगुप्त गुप्ता डायनेस्टी के आखिरी
महान एंपरर थे उनके री में हंस का जबरदस्त आक्रमण शुरू हो गया पर वे अपनी विशाल सी की मदद से हम इसको हर देते हैं लेकिन हंस के कंटीन्यूअस अटैक्स के करण गुप्ता अंपायर वीक होने लगा था ट्रेड रूट बुरी तरह कंप्रोमाइज हो जाते हैं जिससे गुप्ता इकोनामी चरण र जाति है इस तरह स्कंद गुप्ता के करने के बाद गुप्ता अंपायर का डिक्लिन शुरू हो जाता है उनके बाद पूर्व गुप्ता नरसिंह गुप्ता और कुमार गुप्ता थर्ड जैसे कई गुप्ता सक्सेस आए पर कुछ खास कंट्रीब्यूट नहीं कर वीक रुलर्स होने के करण छोटे-छोटे राजा इंडिपेंडेंस डिक्लेअर
करने लगता हैं 500 एड से 50038 के बीच तोर माना और मिहिर कल जैसे पावरफुल हूं शासन सेंट्रल इंडिया और मालवा तक पहुंच गए थे पर आगे चलकर मालवा में यशोदा डरबन नाम के महान शासन का राइस होता है जो हंस को मालवा से उखाड़ फेंकते हैं गुप्ता अंपायर 548 आते-आते हम इनएवेजंस और मालवा में यशोधर्मन के राइस के करण पुरी तरह से खत्म हो जाता है इस तरह गुप्तों की पॉलीटिकल हिस्ट्री कम्स तू अनंत करते हैं गुप्ता पीरियड के एडमिनिस्ट्रेशन गुप्ता एडमिनिस्ट्रेशन गुप्ता अंपायर की सक्सेस में उनके एफिशिएंट एडमिनिस्ट्रेशन का बहुत बड़ा रोल
था उनका एडमिनिस्ट्रेशन मौर्य अंपायर से इंस्पायर था पर उनसे ली सेंट्रलाइज्ड था ब्यूरो कृषि एलेबोरेट रूप ले चुकी थी और हेरिटेज फैऊदलिज्म को बढ़ावा देने लगा था किंग को एडमिनिस्ट्रेशन में मदद करने के लिए एक काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स यानी मंत्री परिषद था जिसके हेड के मिनिस्टर थे इस मंत्री परिषद में सेनापति यानी आर्मी के कमांडर इन के होते थे महादंड नायक यानी जस्टिस मिनिस्टर संधि विग्रह यानी फॉरेन अफेयर्स या फिर वारेन पीस इनके अलावा महाप्रतिहारी यानी रॉयल पैलेस के अटैक यानी पुलिस डिपार्मेंट है और महापीलूपति यानी हाथी से ना किसी
होते थे अब हम गुप्ताज का प्रोविंशियल एडमिनिस्ट्रेशन भी देख लेते हैं गुप्ता किंग कुमार की मदद से प्रोविंशियल एडमिनिस्ट्रेशन से क्लोज कांटेक्ट में रहा करते थे कुमार जैसा स्पेशल कार्टर होता था जिससे सारे हायर ऑफिशल्स चुने जाते थे ये गदर किंग और प्रोविंशियल एडमिनिस्ट्रेशन के बीच एक लिंक का काम करता था गुप्ता अंपायर में प्रोविंस को भक्ति कहा जाता था जिसे उपरिकास गवन करते थे ऊपर मोस्टली राजकुमारों में से चुनाव जाता था भक्ति का विभाजन विषय किया जाता था जिसे आयुक्त या विश्वपति हेड करते थे वहीं सिटी या म्युनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन नगर सृष्टि
देखते थे विलेज एडमिनिस्ट्रेशन का स्मालेस्ट यूनिट होता था जिसके प्रमुख को ग्रामीण कहा जाता था गुप्ता पीरियड में लैंड रिवेन्यू आई का प्रमुख सोर्स था इसके अलावा जब भी सी किसी कंट्री साइड से गुजराती थी तब गांव वालों को उनके खाने पीने का पूरा ख्याल रखना होता था इस टैक्स को सी भक्ति टैक्स कहते थे और रॉयल आर्मी ऑफिशल्स की सेवा में पोस्ट लेबर को व्हिस्की टैक्स कहते थे पर किंग भी जनता की जरूर का पूरा ख्याल रखते थे जूनागढ़ इनस्क्रिप्शन के अनुसार सौराष्ट्र रीजन में वाटर स्कार्सिटी को दूर करने के लिए स्कंदगुप्त सुदर्शन लेक को रिपेयर करवाते
हैं दोस्तों यहां आपको यह भी बता डन की इस सुदर्शन लेख को मौर्य कल में चंद्रगुप्त मौर्य के आदेश पर बनवाया गया था इसके बाद मौर्य एंपरर अशोक सरकार रोलर रुद्रा दमन वन और स्कंदगुप्त समय समय पर इसे रिपेयर करवाते हैं गुप्ता पीरियड में दिए गए थे इनमें अग्रहरा लैंड ग्रांट ब्राह्मण के पर्सनल एक्सपेंड के लिए दिया जाता था वहीं देवगृहारा लैंड ग्रांट टेंपल्स यानी रिलिजियस प्लेस की मेंटेनेंस के लिए दिया जाता था चाइनीस ट्रैवलर फहीन के अकाउंट्स में हमें गुप्ता एडमिनिस्ट्रेशन के बड़े में कई इंपॉर्टेंट बातें पता चलती हैं उनके
अनुसार गुप्ता कल में आम जनता को काफी पर्सनल फ्रीडम मिला हुआ था वे कहानी भी ए जा सकते थे स्ट्रीट आम जनता की प्राइवेट लाइफ में दखल नहीं देता था पनिशमेंट बहुत नहीं थे फाइन लगाना आम पनिशमेंट था रोड सिर्फ थे और क्रीमिया नेगलिजिबल गुप्ता एडमिनिस्ट्रेशन मौर्य से ज्यादा लिबरल था एडमिनिस्ट्रेशन के बाद अब हम गुप्ता पीरियड की सोशल लाइफ के बड़े में जानते हैं सोशल लाइफ गुप्ता कल में सोशल लाइफ में काफी चेंज आए थे वर्ण सिस्टम मॉडिफाई होने लगा था और इसकी जगह कास्ट सिस्टम सोशल और अंपयारिकल रियलिटी बने लगा था इसकी कई करण थे पहले
गुप्ता पीरियड में ब्रह्मैनिज्म कर रहा है मोस्ट ऑफ डी गुप्ता रुलर्स वैष्णवी थे वेब ब्राह्मण को रिस्पेक्ट देने के साथ-साथ देर सर लैंड ग्रांट्स भी देते थे इससे ब्राह्मण को सोसाइटी में टॉप पोजीशन मिल गई दूसरा परी गुप्ता पीरियड से ही देर सारे फॉरेन इनवेडर्स भारत आकर बेसन लगे थे ब्राह्मण की ब्लेसिंग से उन्हें इंडियन सोसाइटी में लेजिटिमेसी मिलने लगी उदाहरण के लिए ब्राह्मण कुछ फॉरेन सेक्यूलर को क्षत्रिय वर्ण में जगह देने लगे वहीं कुछ लोकल ट्राइब्स को शुद्ध वर्ण में जगह दी जान लगी तीसरा क्राफ्ट्समैन की गढ़ कास्ट
का फॉर्म लेने लगे थे एग्जांपल के लिए जो मिट्टी का बर्तन बनाते थे वो कुम्हार जाति के हो गए जो बाल बनाते थे वह नई जाति के हो गए इसी समय अनटचेबिलिटी का राइस भी देखने को मिलता है कैट के आया ना नाम के स्मृति राइटर पहले बार एस्फ्षीय शब्द अनटचेबल्स के लिए इस्तेमाल के अनुसार चांडाल जाति बड़ी बुरी कंडीशन में थी उन्हें अनटचेबिलिटी के आधार पर रेजिडेंशली सैरीगेट कर दिया गया था फहीन के अनुसार वूमेन की कंडीशन भी मिसरेबल हो गई थी उनके रिलिजियस स्क्रिप्चर्स पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था स्वयंवर प्रथम समाप्त हो गई थी और मनुस्मृति के
अनुसार लड़कियों की शादी जल्दी हो जानी चाहिए थी वूमेन का प्रॉपर्टी पर से अधिकार खत्म हो गया मध्य प्रदेश में हमें पहले बार सती जैसी दर्दनाक प्रैक्टिस का भी एग्जांपल देखने को मिलता है रिलिजन के क्षेत्र में गुप्ता पेट्रोनज के करण ब्रह्मैनिज्म का बहुत विस्तार होने लगा था ब्रह्मैनिज्म के दो ब्रांचेस थे वैश्णवीम और श्रेयसिस्म मोस्ट गुप्ता रुलर्स वैष्णो थे बाकी धर्म की भी रिस्पेक्ट करते थे आइडियल वरशिप और टेंपल बिल्डिंग भी इसी समय बड़े स्केल पर शुरू हुआ था फहीन के अनुसार ब्रह्मीनिज्म के विस्तार के करण गंजेटिक वाली में
बुद्धिस्म और बुद्धिस्ट साइट्स दोनों नेगलेक्ट में जान लगता हैं जैनिज्म के फॉलोअर्स में भी कमी आई पर वासु बंधु जैसे बुद्धिस्ट स्कॉलर्स को गुप्ता किंग का पेट्रोनज प्राप्त था वही वेस्टर्न और सदन इंडिया में जैनिज्म खूब फल फूल रहा था वल्लभी में इसी समय जैन काउंसिल का भी आयोजन हुआ दोस्तों यह थी गुप्ता आगे की पॉलीटिकल हिस्ट्री एडमिनिस्ट्रेशन और सोशल लाइफ का डिस्कशन आशा करता हूं की आपको आज का डिस्कशन पसंद आया होगा नेक्स्ट पार्ट में हम चर्चा करेंगे की गुप्ता पीरियड को गोल्डन आगे क्यों कहते हैं दोस्तों गुप्ता अंपायर के फर्स्ट पार्ट
में हमने गुप्ता साम्राज्य की पॉलीटिकल हिस्ट्री एडमिनिस्ट्रेटिव जीनियस और सोशल लाइफ को समझा था आज हम बात करेंगे उनकी इकोनामी 8 आर्किटेक्चर कोइंस लिटरेचर और साइंटिफिक एडवांसमेंट की और साथ ही जानेंगे गुप्ता आगे की कुछ कैमियो के बड़े में तो चलिए शुरुआत करते हैं इकोनॉमिक्स लाइफ से इकोनामिक लाइफ गुप्ता अंपायर की इकोनामी बड़ी रॉबस्ट थी एग्रीकल्चर ट्रेड क्राफ्ट सभी में तेजी आई थी इसी प्रोस्पेरिटी के करण गुप्ता पीरियड को गोल्डन आगे कहा जाता है स्कॉलर्स का मानना है की गुप्ता पीरियड में स्टेट ही सारे लैंड का ओरिजिनल ओनर
होता था पहाड़पुर कॉपर प्लेट इनस्क्रिप्शन से भी एक्सक्लूसिव स्टेट ओनरशिप का पता चला है [संगीत] पुणे प्लेट इनस्क्रिप्शंस के अनुसार रेगुलर लैंड सर्विस भी होते थे और पुस्तकालय नाम के ऑफिशल जिला में होने वाले सारे लैंड ट्रांजैक्शंस का रिकॉर्ड रखते थे ट्रेड और कॉमर्स में भी गुप्ता पीरियड बहुत आगे था बंगाल के फाइन क्लॉथस बिहार का इंडिगो बनारस सिल्क हिमालय सेंस साउथ का सैंडल बोर्ड और स्पाइसेज रोम से साउथ ईस्ट एशिया तक एक्सपोर्ट होते थे ईस्ट कास्ट के तमरालिप्ती घंटा शाला तंदुर पोर्ट से साउथ ईस्ट एशिया ट्रेड होता था
वहीं वेस्ट कास्ट के भरूच दोबारा कैब पोर्ट से मेडिटरेनियन और वेस्ट एशिया ट्रेड होता था प्रॉस्परस ट्रेड और कॉमर्स के करण गुप्ता आगे अपने गोल्ड कोइंस के लिए बहुत फेमस है आई देखते हैं गुप्ता कोइंस गुप्ता रुलर्स ने प्राचीन भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा गोल्ड कोइंस इशू किया थे पर गोल्ड कंटेंट के टर्म्स में गुप्ता कोइंस कुशाना कॉइन से काम पूरे थे गुप्तों के गोल्ड कॉइन को डिनर कहा जाता था यह कोइंस और आर्टिस्टिक एक्सीलेंस के इनक्रेडिबल एग्जांपल लाइफ और प्रोस्पेरिटी के सिंबल्स भी हैं चंद्रगुप्त डी फर्स्ट के समय हमें
चंद्रगुप्त डी फर्स्ट कुमार देवी टाइप गोल्ड कोइंस मिलते हैं चंद्रगुप्त डी फर्स्ट के बाद समुद्रगुप्त ने बहुत तरह टाइप कॉइन और वीणा वादन यानी वीणा प्लेईंग टाइप कोइंस ये कोइंस उनकी आर्चरी स्किल करेज और लव म्यूजिक को भी दर्शाता है उनके बाद चंद्रगुप्त डी सेकंड ने अश्व रोही टाइप छात्रधारी टाइप चक्र विक्रम टाइप इत्यादि कोइंस इशू किया वहीं कुमार गुप्ता डी फर्स्ट ने खदकधारी टाइप गाजरोही टाइप सहन निहंता टाइप खंगनिहंता टाइप यानी राइनोसेरॉस लेयर टाइप कार्तिकेय टाइप कोइंस इशू किया इन कॉइन से यह भी पता चला है की कुमार गुप्ता डी फर्स्ट कार्तिकेय
भगवान के फॉलोअर थे कुमार गुप्ता डी फर्स्ट के बाद स्कंद गुप्ता के समय हंस के हमले से इकोनामी चरमर ए गई थी इसीलिए उनके द्वारा काम टाइप तो जरूर दिखता है पर उन्होंने कई तरह हॉर्स राइडर इत्यादि मार्शल पोज में दिखा करते थे वहीं बाद के कोइंस में मैरिज वीणा प्लेईंग अश्वमेध यज्ञ जैसे साइंस भी देखें जा सकते हैं भारत में कहानी देखने को नहीं मिलते हैं गोल्ड के अलावा गुप्ता किंग ने सिल्वर कोइंस को भी इशू किया यह कोइंस लोकल एक्सचेंज में अधिक उपयोग होता था जहां तक कॉपर कोइंस की बात है कुशंस के कंपैरिजन में गुप्ताज ने बहुत काम कॉपर कोइंस इशू
किया कोइंस के बाद अब हम आर्ट और कलर की बात कर लेते हैं जो गुप्ता पीरियड में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया था आज इन आर्किटेक्चर अंदर गुप्तों गुप्ता पीरियड में आठ एन आर्किटेक्चर में ट्रिमेंडस प्रोग्रेस देखने को मिलता है कुछ स्कॉलर्स जैसे विनय संस पीरियड भी कहते हैं पर ध्यान देने वाली बात यह है की इससे पहले कोई डार्क आगे नहीं था अनलाइक यूरोप इसीलिए गुप्ता पीरियड पिछले सारे इंटेलेक्चुअल और आर्टिस्टिक ट्रेडीशन का कल्मिनेशन माना जा सकता है स्कल्पचर के मध्य से बेहतर समझ सकते हैं तो चलिए शुरुआत करते हैं स्ट्रक्चरल टेंपल
से गुप्ता पीरियड से पहले रॉकेट टेंपल्स प्रचलन में थे पर स्ट्रक्चरल टेंपल के इवोल्यूशन के करण ब्रेक और स्टोन ब्लॉक की मदद से माउंटेन से दूर भी टेंपल बनाया जा सकता था गौर करने वाली बात है की नगर स्टाइल ऑफ टेंपल आर्किटेक्चर इसी समय डेवलप हुआ था देवगढ़ उत्तर प्रदेश का दशावतार टेंपल नगर स्टाइल का वन ऑफ डी ओल्डेस्ट सर्वाइविंग एग्जांपल है इसे एक रेस्ट रैक्टेंगुलर प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है यहां पंचायत प्लेन का उसे किया गया है जिसमें में श्री कर सब्सिडियरी शाइन से सराउंडिंग होती है इसी पीरियड में भीतरगांव टेंपल का भी
कंस्ट्रक्शन हुआ था जो इंटेलिजेंस के अलावा गुप्ता पीरियड में कई सुपरस्टार देखा जाता है पर सारनाथ का धाम मिक्स डूबा डी आर्किटेक्चर का इंपॉर्टेंट एग्जांपल है इसे ओरिजनली मौर्य अंपायर अशोक के पीरियड में बनवाया गया था पर गुप्ता पीरियड में इसका बड़े स्केल रिनोवेशन करवाया गया गुप्ता पीरियड अपने स्कल्पचर्स के लिए बहुत फेमस है इस पीरियड में इंडीजीनस मथुरा और सारनाथ स्कूल और स्कल्पचर ने गांधार स्कूल को रिप्लेस करना शुरू कर दिया था जहां गांधार स्कूल में ग्रीस और स्टोन के साथ ग्रीक इन्फ्लुएंस देखने को मिलता था वहीं मथुरा स्कूल में रेड
सेंडस्टोन के साथ इंडिजन स्टाइल का उसे होता था एग्जांपल के लिए मथुरा स्कूल के अंदर हमें अभयम मुद्रा में बुद्ध के बहुत सुंदर स्कल्पचर्स देखने को मिलते हैं वहीं सारनाथ स्कूल ऑफ स्कल्पचर को मथुरा स्कूल से ज्यादा रिफाइंड माना जाता है मथुरा स्कूल के कंपैरिजन में सारनाथ स्कूल में आइडियल की ड्राइवरी यानी कपड़ों में बहुत काम फोर्स देखने को मिलते हैं उदाहरण के लिए सारनाथ का स्टैंडिंग बुद्ध गुप्ता आज का वन ऑफ डी बेस्ट स्पेसिमेन है इस पीरियड में हमें पहले बार विष्णु शिवा और अन्य भगवानों की मूर्ति देखने को मिलती है
उदयगिरि केव्स के एंट्रेंस पर वराह डी ग्रेट बर की मूर्ति भी गुप्ता स्कल्पचर्स का शानदार नमूना है आर्ट और आर्किटेक्चर के साथ साथ गुप्ता पीरियड की मेटालर्ग प्रोवर्ब्स भी कमल की थी एग्जांपल के लिए दिल्ली के कुतुब परिसर में इंस्टॉल्ड आयरन पिलर है 99% आयन से बने के बावजूद इसमें 1600 साल बाद भी जंग का नाम और निशान तक नहीं है वही लिटरेचर के फील्ड में गुप्ता पीरियड आज भी प्रॉमिनेंट पोजीशन हॉल करता है आई देखते हैं लिटरेचर इन गुप्ता पीरियड गुप्ता पीरियड में संस्कृत वन ऑफ डी मोस्ट प्रॉमिनेंट लैंग्वेज बन गई थी संस्कृत शायरी ड्रामा
एपिक नई ऊंचाइयों को चुने लगी थी इसके अलावा साइंटिफिक लिटरेचर की तो बात ही कुछ अलग थी इसको अच्छे से समझना के लिए हम लिटरेचर को 3 पार्ट्स में डिवाइड कर सकते हैं पहले है रिलिजियस लिटरेचर हिंदू टेक्स्ट में आज की पुराण की रचना इसी समय हुई थी इनमें भागवत विष्णु व्यू और मत्स्य पुराना मोस्ट इंपॉर्टेंट पुराण है महाभारत और रामायण एपिक को फाइनल टच इसी पीरियड में दिया गया था इसी प्रकार कई बुद्धिस्ट और जैन टेक्स्ट भी इसी समय लिखे गए थे जो आज भी रेलीवेंस रखते हैं एग्जांपल के लिए बुद्ध घोषाल द्वारा लिखित विश्वविद्यालय
वतम प्रमुख दूसरा है सेकुलर लिटरेचर सेकुलर लिटरेचर के फील्ड में आपने किंगचंद्र गुप्ता डी सेकंड के नवरत्नों में से एक कालिदास का नाम तो जरूर सुना होगा कालिदास के ब्रिलियंट कंपोजिशंस के लिए उन्हें शेक्सपियर ऑफ इंडिया भी कहा जाता है उनके मास्टरपीस संस्कृत ड्रामा अभिज्ञानाशकुंतलम को वर्ल्ड के 100 बेस्ट बुक्स में कंसीडर किया जाता है इस ड्रामा में उन्होंने शकुंतला नाम की लेडी की लाइफ में चल रही ऑडियंस को बहुत ड्रामाटाइज्ड तरीके से पेस किया है इसके अलावा उन्होंने रितु संभार जैसी पॉर्न मालविकाग्निमित्रम् मेघदूतम कुमारसंभवम्
और रघुवंशम जैसे क्लासिकल ड्रामा लिखे वैशाख दत्ता भी इस समय के सेलिब्रेटेड ऑथर में से एक थे जिन्होंने संस्कृत ड्रामा मुद्राराक्षस और देवी चंद्रगुप्त लिखा वहीं केरा अर्जुन्य भैरवी द्वारा काव्या दर्शन कुमार चरित टंडन द्वारा पंचतंत्र विष्णु शर्मा द्वारा कामसूत्र अमर सिंह द्वारा लिखे गए तीसरा क्षेत्र है साइंटिफिक लिटरेचर गुप्ता पीरियड मैथमेटिक्स एस्ट्रोनॉमी एस्ट्रोलॉजी मेडिसिन के क्षेत्र में भी काफी ए गया था आर्यभट्ट ने अपनी किताब आर्यभट्ट में कई महत्वपूर्ण खोज के बड़े में लिखा था उनके हिसाब से अब स्फेरिकल था और अपने एक्सेस
पर घूमता था और पे की वैल्यू 3.14 थी उन्होंने ही दुनिया को जीरो का कॉन्सेप्ट दिया वही पांच सिद्धांतिका में वाराह्मीरा ने 5 एस्टॉनोमिकल सिस्टम का जिक्र किया बृहद जाता का नाम की किताब एस्ट्रोलॉजी के फील्ड में उनका रिमरकेबल कंट्रीब्यूशन है इसके अलावा बृहद संहिता नाम की पुस्तक आदि पर विस्तार से चर्चा को बोला जाता है अब तक हमने गुप्ता पीरियड के डिफरेंट अचीवमेंट्स की बात की पर इस वजह से गोल्डन आगे कहा जाना चाहिए आई देखते हैं गुप्ता पीरियड गोल्डन आगे ऑफ इंडिया मित और रियलिटी गहराई में एनालिसिस करने पर पता चला है की
पान नॉर्थ इंडियन अंपायर फॉरेन रूल से फ्रीडम पीस और प्रोस्पेरिटी लोअर टैक्स बर्डन ऑन पीपल माइल्ड पनिशमेंट रिलिजियस टोलरेंस आर्ट लिटरेचर साइंटिफिक एडवांसमेंट के नजरिया से देखा जाए तो गुप्ता पीरियड को बिल्कुल एक गोल्डन आगे कहा जा सकता है पर वूमेन के स्टेटस में डिक्लिन सती और अनटचेबिलिटी और कास्ट रिगिडिटी में बढ़ोतरी की बात करें असिएंट इंडिया के ग्लोरियस अंपायर्स में से एक था इस समय शुरू हुए कई इंटेलेक्चुअल ट्रेडीशंस आज भी इंडियन सोसाइटी इकोनामी और वालुज को से कर डी रेनवहर्ष वर्धन दोस्तों गुप्ता अंपायर के बाद पूरा
भारतवर्ष फिर से छोटे-छोटे प्रदेशों में बन गया था लेकिन इसके बावजूद एक ऐसा विराट सम्राट हुआ जो पूरे उत्तर भारत में अपना साम्राज्य कायम करने में सफल हो गया और साथ शिक्षा साहित्य धर्म और टोलरेंस की प्रेरणा भी बना प्रज्ञा और कन्नौज असेंबली जैसे बड़े आयोजन उन्हें की कल में आयोजित किया गए इस करण उन्हें शक्ल उत्तर आपातिश्वर यानी की लॉर्ड ऑफ डी नॉर्थ भी कहा जाता है यह सम्राट कौन थे दोस्तों यह थे पुष्यभूति वंश के महान शासन शिलादित्य हर्षवर्धन जिनकी आज हम बात करेंगे तो आई शुरू करते हैं पॉलीटिकल हिस्ट्री साल है 600 एड का हर्षवर्धन 10 साल के हो
चुके थे उनके पिता एवं प्रतापी राजा प्रभाकर वंदना ठणीश्वर जो की प्रेजेंटेशन हरियाणा रीजन के अराउंड था उसकी राजा थे पुष्यभूति वंश के साम्राज्य को विदेशी खतरों से प्रोटेस्ट कर रहे थे पर 65 ए में उनके पिता प्रभाकर वंदना अनटाइमली गुर्जर जाते हैं और उनकी माता यशोमति सती हो जाति हैं इस मुश्किल घड़ी में हर्षवर्धन के मामा और के मिनिस्टर वर्धन के बड़े भाई राज्यवर्धन को राज्य सिंहासन पर बैठने के लिए माना लेते हैं लेकिन आगे बढ़ाने से पहले हम थानेश्वर की ज्योग्राफी समझ लेते हैं थानेश्वर आज की हरियाणा राज्य में लोकेटेड था इसकी ईस्ट
में जहां मुखड़ी वंश के ग्रह बर्मन का शासन था वेस्ट में बाल अभी था जहां मित्र का वंश के ध्रुव सी तू का राज था नॉर्थ में कश्मीर था और साउथ और साउथ वेस्ट में मालवा जहां देव गुप्ता का शासन था और गॉड यानी बंगाल के राजा थे शशांक जो देव गुप्ता के दोस्त थे इसके अलावा फॉरेस्ट में भास्कर बर्मन का शासन था थानेश्वर राज्य के इन्फ्लुएंस को बढ़ाने के लिए हर्षवर्धन के पिता प्रभाकर वर्धन अपनी बेटी राज्य श्री की शादी कन्नौज के राजा ग्रहबरमन के साथ करवा देते हैं इस मेट्रोमोनियल एलियंस से थानेश्वर राज्य की प्रतिष्ठा पुरी उत्तर भारत में काफी
बाढ़ जाति है परंतु प्रभाकर वंदना की मृत्यु के बाद मालवा के राजा देव गुप्ता कन्नौज पर आक्रमण कर देते हैं बड़ी कुर्ता से वो गृहवर्मन को मार देते हैं और राज्य श्री को बंदी बना लेते हैं बदला लेने के लिए राज्य वर्धन मालवा पर एक बड़ी सी के साथ हमला कर देते हैं और देव गुप्ता को हराकर राज्य श्री को चुडा लेते हैं राज्यवर्धन की विशाल सिंह देखकर गौर यानी बंगाल का शासन शशांक समझ जाते हैं की राज्यवर्धन को सीधी लड़ाई में हरण नामुमकिन है इसलिए वो छलक सहारा लेकर राज्यवर्धन को मार देते हैं इसके बाद राइस होता है राज्यवर्धन के छोटे भाई हर्षवर्धन
का आई देखते हैं हर्षवर्धन राज्यवर्धन की अचानक हुई मृत्यु से हर्षवर्धन बहुत छोटी उम्र में अकेले पद जाते हैं पर भांडी मामा को पता था की हर्षवर्धन अपने भैया से कहानी अधिक कुशल पराक्रमी और चतुर राजा बन सकते हैं इसलिए भांडी मामा हर्षवर्धन को ललकारते हुए कहते हैं की यह वक्त आंसू बहाने का नहीं बल्कि शत्रुओं का खून बहाने का है हर्षवर्धन सबसे पहले अपनी बहन को विंध्याचल के जंगल में सती होने से रॉक लेते हैं और फिर शुरू होता है शिवा भक्ति हर्षवर्धन की लड़ाई और जीत का सिलसिला उनकी एक लाख सैनिक और 60 हजार हाथी के
विशाल सी के सामने कोई राजा टिक नहीं का रहा था राज्यवर्धन को चल से करने वाले शशांक भी हर्षवर्धन की सी को देखकर कन्नौज से पीछे है जाते हैं इसके बाद हर्षवर्धन कन्नौज को ना केवल अपने राज्य में मर्ज कर लेते हैं बल्कि अपनी कैपिटल थानेश्वर से कन्नौज शिफ्ट कर देते हैं शशांक की चल का बदला लेने के लिए हर्षवर्धन भी शतरंज की चल चलते हैं पहले वो कामरूप यानी असम के राजा भास्कर बर्मन से एक मैत्री संधि कर लेते हैं फिर गॉड पर दो तरफ आक्रमण कर देते हैं सेशशांक जैसे तैसे अपनी जान बचाकर कहानी दूर जंगल में भाग जाता है कुछ सालों बाद उसकी मृत्यु हो
जाति है और पूरा गौर साम्राज्य हर्षवर्धन के अधीन हो जाता है वेस्ट में बाल अभी के राजा और पुलकेशिन तू के मित्र ध्रुव सीन तू को भी हर माननी ही पड़ती है पर बफर स्टेट मेंटेन करने के लिए हर्षवर्धन वलभी को पुरी तरह एनएक्स करने की बजे ध्रुव सीन तू को वापस गाड़ी पर बैठा देते हैं यह हर्षवर्धन की बड़ी जीत होने के साथ-साथ उनकी बेहतरीन स्टेट क्राफ्ट का नमूना भी था इस तरह ईस्ट वेस्ट नॉर्थ साउथ हर्षवर्धन अपना विजय परचम लहरा देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर में हिमालय दक्षिण में नर्मदा दक्षिण पश्चिम में अब सागर दक्षिण पूर्व में बंगाल की खड़ी और
पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी तक उनका साम्राज्य फेल जाता है लड़ाई जीत और सूझबूझ से हर्षवर्धन शक्ल उत्तर आपातिश्वर यानी लॉर्ड ऑफ डी नॉर्थ की ख्याति का लेते हैं उनके विजय रथ को एकमात्र झटका नर्मदा पर करने पर चालू के शासन पुलकेशिन दूध द्वारा लगता है जिसका एविडेंस हमें आई होल इनस्क्रिप्शन में देखने को मिलता है आई जानते हैं इसके बड़े में आई होल इनस्क्रिप्शन हर्षवर्धन और पुलकेशिंटू के बीच हुई महान लड़ाई का वर्णन पुलकेशिन तू के राजकवि रवि कृति द्वारा लिखे आई होल इनस्क्रिप्शन में देखा जा सकता है करने का इरादा छोड़ देते हैं और अपना सर
ध्यान उत्तर भारत को कंसोलिडेटेड करने में लगा देते हैं आगे चलकर हर्षवर्धन 40 साल से भी ज्यादा रूल करते हैं पर लॉक का पावरफुल सक्सेसर प्रज्ञा असेंबली के समय सर खजाना खाली कर देने की प्रथम और डिक्लिनिंग ट्रेड और कॉमर्स के करण हर्षवर्धन के बाद उनका अंपायर टिक नहीं पता और नॉर्थ इंडिया में फिर से इंस्टेबिलिटी ए जाति है दोस्तों हर्षवर्धन की सफलता में उनके एफिशिएंट एडमिनिस्ट्रेशन का बड़ा रोल था इसलिए आई अब हम उनका एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम देख लेते हैं एडमिनिस्ट्रेशन अंदर हर्ष हर्षवर्धन ने मौर्य और गुप्ता कल से इंस्पिरेशन लेकर कई
एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स किया यही करण था की वे लगभग 40 साल तक शासन कर पे थे पर गुप्ताज के कंपैरिजन में उनका एडमिनिस्ट्रेशन से भारत हुआ था राजगढ़ी संभालने के बाद वह अपनी राजधानी थानेश्वर से बदलकर कन्नौज कर देते हैं इससे कुछ ही सालों में कन्नौज पुरी उत्तर भारत का ध्रुव तारा बन जाता है राजकवि बाद भट्ट द्वारा लिखित राजा खुद अपनी सी के कमांडर इन के भी होते थे हर्षवर्धन ने महाराजाधिराज परम भट्टर का परम महेश्वर जैसे टाइटल भी लिए पर्सनली प्रशासन की गतिविधियों पर नजर रखते थे राजा को सलाह देने के लिए एक
मंत्रिपरिषद भी होता था जिसको के मिनिस्टर हेड करते थे अवंती नाम के अधिकारी वारेन पीस डिपार्मेंट देखते थे सिंहनाद मिलिट्री हेड होते थे स्कंदगुप्त हाथी दस्ते के हेड होते थे और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुख को सामंत महाराज बुलाया जाता था पूरे साम्राज्य को प्रदेशों में बंता गया था जिसे भुक्ति बोला जाता था भक्ति का विभाजन विशेष यानी जिलों में किया गया था गांव प्रशासन की सबसे छोटी यूनिट हुआ करती थी लोगों पर मिनिमम टैक्स बर्डन रखा गया था और गुड गवर्नेंस एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंस को कंट्रोल किया गया श्रुत हुआ करते थे इसके अलावा छोटे-छोटे
राजा और फ्यूडिटरीज भी एंपरर को ट्रिब्यूट दिया करते थे डॉ और ऑर्डर अच्छा था परंतु उसमें कुछ कमियां भी थी उदाहरण स्वरूप सफर के दौरान कई बार खुद हुए इंसान के साथ रोबरी की घटना हुई थी बड़े अधिकारियों को पैसे के बदले जमीन दी जाति थी इसके करण हर्षवर्धन कल में फैऊदलिज्म को बहुत बढ़ावा मिला एफिशिएंटेड एडमिनिस्ट्रेशन के अलावा हर्षवर्धन की सफलता का श्री उनकी विशाल और प्रशिक्षित आर्मी को भी जाता है चलिए जानते हैं 60000 हाथी 50000 थल सी हुआ करती थी इतनी बड़ी सी को मेंटेन करने के लिए हर्षवर्धन ने कई फ्यूडिटरीज
को लैंड ग्रांट्स दिए एडमिनिस्ट्रेशन और आर्मी की खूबियां तो हमने देख ली पर सु इकोनामिक कंडीशन पर डिस्कशन किया बिना आज की चर्चा अधूरी र जाएगी आई हर्षवर्धन अंपायर की सोशल लाइफ को सोशल लाइफ हर्षवर्धन के समय में वर्ण सिस्टम पुरी तरह से मॉडिफाई हो गया सिस्टम के अंदर कास्ट सिस्टम इंपीरियल रियलिटी बन गया सदस्यता मिलती थी और इसे जन्म के बाद बदला नहीं जा सकता था इंटर कास्ट डाइनिंग और मैरिज प्रोहिबिटेड था जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान था अनटचेबिलिटी बड़ा रूप ले चुका था इस समय महिलाओं की स्थिति में गुप्ता कल
जैसी ही गिरावट देखने को मिलती है सती प्रथम ने विराट रूप ले लिया था हर्षवर्धन अपनी माता यशोमति को तो नहीं पर किसी प्रकार अपनी बहन राज्य श्री को सती होने से बच्चा लेते हैं परंतु ऊंची जाति की महिलाओं के लिए नॉर्मल केसेस में यह पॉसिबल नहीं था पर्दा प्रथम की शुरुआत नहीं हुई थी पर महिलाओं की स्वतंत्र घूमने पर देर सारे प्रतिबंध थे लेकिन पशुओं के साथ अच्छा व्यवहार करने का निर्देश स्वयं महाराजा हर्षवर्धन की तरफ से दिया गया किसी भी जानवर को मारना बड़ा अपराध था लोकल पापुलेशन सिंपल और मोरल लिविंग में विश्वास रखती थी सोसाइटी के बाद अब हम
हर्षवर्धन अंपायर की इकोनामी पर भी चर्चा कर लेते हैं इकोनामी अंदर हर्ष वूमेन की कंडीशन डेटियोरोरेट होने के साथ-साथ हर्ष कल में ट्रेड और कॉमर्स में भी डिक्लिन हुआ था इस करण से हर्षवर्धन ने गुप्ताज की कंपैरिजन में बहुत काम कोइंस इशू की है पैसे की जगह लैंड ग्रांट्स दिया जाता था जिसे हर्ष आप पीरियड में फैऊदल इकोनामी को बहुत बढ़ावा मिला था एक्सकैवेशन में मिले कॉपर प्लेट्स इसकी गवाही देते हैं कन्नौज प्रज्ञा यानी इलाहाबाद और बनारस हर्ष साम्राज्य की बड़ी शेरों में जिन जाते थे इकोनामिक प्रोस्पेरिटी के साथ साथ हर शक्ल
रिलिजियस टोलरेंस के लिए भी याद किया जाता था आई देखते हैं प्रज्ञा जिसे आज प्रयागराज कहा जाता है और बनारस हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र हुआ करते थे वहीं महायान बौद्ध धर्म के सबसे बड़े सेट के रूप में उभर कर आया था हर्षवर्धन मूल्य शिवभक्त यानी सेवाएं थे परंतु क्यों सॉन्ग के अनुसार वो एक कन्विंस्ड महायान बुद्धिस्ट भी थे उन्होंने गंगा नदी के किनारे कई बुद्धिस्ट सुपर बनवाई थे कुछ अकाउंट्स के अनुसार एक स्तूप तो 100 फिट ऊंचा था पर वे पुरी तरह से बुद्धिस्म में कन्वर्ट हुए थे या नहीं ये अभी भी डिबेट का विषय है
सम्राट अशोक की तरह उन्होंने भी जब हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था पुर और डेस्टिट्यूट के लिए मुफ्त खाने और दवाइयां की व्यवस्था की गई थी इसके अलावा दिल खोलकर चैरिटी भी किया करते थे उनकी दान प्रवृत्ति के सबसे बड़े प्रमाण प्रज्ञा असेंबली और कन्नौज असेंबली का आयोजन थे चलिए पहले जानते हैं प्रज्ञा असेंबली के बड़े में प्रज्ञा असेंबली हर्षवर्धन हर 5 वर्ष पर प्रज्ञा में एक ग्रैंड धार्मिक सम्मेलन का आयोजन करते थे जिसमें सभी धर्म के स्कॉलरशिप को इनविटेशन भेजो जाता था कई शास्त्रार्थ या डिबेट्स का आयोजन किया जाता था और सभी स्कॉलर्स को
देर सर धन दिया जाता था 5 साल के अंत में जो भी ख़ज़ाने में बच्चा होता था सब दान कर दिया जाता था प्रज्ञा असेंबली के बाद अब हम कन्नौज असेंबली के बड़े में भी जान लेते हैं कन्नौज असेंबली यू इंसान ने हर्षवर्धन के राज में लगभग 8 साल बीते थे हर्षवर्धन हमसगासी इतने प्रभावित हो गए थे की उन्होंने उनके सम्मान में अलग से 643 एड में कन्नौज असेंबली का आयोजन कर देर सर दान दिया इस असेंबली का मुख्य उद्देश्य महायान बुद्धिस्म को पापुलराइज करना था कुछ कॉलेज का मानना है की यह एक्सट्रीम दान प्रथम उनके अंपायर की डिक्लिन का
इंपॉर्टेंट करण बनी थी दान पुण्य के अलावा हर्षवर्धन एक महान स्कॉलर भी थे उनकी री में लर्निंग और लिटरेचर में बहुत तरक्की हुई थी पहले बात करते हैं लिटरेचर की लिटरेचर हर्षवर्धन खुद 3 संस्कृत प्लीज रत्नावली प्रियदर्शिका और नागानंद की और थे उनकी समय की रचनाएं आज भी फेमस है बाणभट्ट हर्ष के राज कवि थे जिन्होंने कादंबरी और हर्ष चरित जैसी प्रसिद्ध पुस्तक लिखी थी हर्ष चरित्र जहां हर्षवर्धन की लाइफ के बड़े में बताता है वही कादंबरी में दो प्रेमियों की ट्रैजिक लव स्टोरी डिस्क्राइब की गई है यह थी लिटरेचर की बात
लेकिन लर्निंग के क्षेत्र में नालंदा यूनिवर्सिटी को कैसे भुलाया जा सकता है नालंदा यूनिवर्सिटी लिटरेरी प्राइवेट के साथ-साथ गुप्त कल में स्थापित नालंदा यूनिवर्सिटी हर्षवर्धन के समय में अपनी पीठ पर पहुंच गया स्टूडेंट रहे थे नालंदा यूनिवर्सिटी के इंपैक्ट को देखते हुए हर्षवर्धन ने 100 गांव की जमीन यूनिवर्सिटी के मेंटेनेंस के लिए दान में दी थी 1280 में बख्तियार खिलजी ने अपनी मिलिट्री एक्सपीडिशन में नालंदा यूनिवर्सिटी को आज लगता दी थी कहा जाता है की यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में इतनी किताबें थी की 3 महीने तक आज जलती रही
बख्तियार खिलजी ने कई बुद्धिस्ट मोंक को भी मारवा दिया था जिससे भारत में बुद्धिस्म को बहुत हनी हुई हर्षवर्धन की पापुलैरिटी के साथ साथ उनको लेकर कुछ कंट्रोवर्सी भी रही हैं आई देखते हैं कंट्रोवर्सी पहले कंट्रोवर्सी हर्षवर्धन के वर्ण को लेकर है कुछ हिस्टोरियन के अनुसार पुष्यभूति डायनेस्टी वैश्य वर्ण से संबंध रखती थी परंतु कुछ दूसरे हिस्टोरियन उन्हें क्षत्रिय वर्ण का भी बताते हैं दूसरी कंट्रोवर्सी उन्हें लास्ट ग्रेट हिंदू एंपरर ऑफ इंडिया बोलने पर रही है और ना ही उन्होंने पूरे भारत पर राज किया था तो फिर उन्हें लास्ट ग्रेट हिंदू एंपरर
ऑफ इंडिया कैसी कहा जा सकता है जिसमें कश्मीर शामिल नहीं था और उनके बाद भी राजपूत विजयनगर और मराठा जैसी कई ग्रेट हिंदू किंग्डम्स राइस हुए थे पर इन साड़ी कंट्रोवर्सी के बावजूद हर्षवर्धन अपने रिलिजियस टोलरेंस एनिमल वेलफेयर पॉलिसीज डोनेशन और लॉर्ड ऑफ डी नॉर्थ के नाम से हमेशा याद रखें जाएंगे स्ट्रगल पर कन्नौज पलस प्रतिहारस और राष्ट्रकूट 800 एड तू 100080 आज इस कहानी में हम डिस्कस करेंगे 800 से 1000 एड के बीच हुई एक इंपॉर्टेंट स्ट्रगल के बड़े में जिसमें तीन अंपायर्स यानी पार्लर्स प्रतिहारस और राष्ट्रकूट नॉर्थ इंडिया में
अपने वर्चस्व के लिए लाड रहे थे यह इंडियन मेडिकल हिस्ट्री का एक इंपॉर्टेंट फेस था जिसने नॉर्थ इंडिया की पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स में इंपॉर्टेंट चेंज ले और आने वाले समय में नई पॉलीटिकल सेंटर्स को क्रिएट किया सोसाइटी और कलर पर भी अपना प्रभाव छोड़ यह कहानी गंगा वाली और कन्नौज के डोमिनेशन से स्टार्ट होती है इसीलिए सबसे पहले हम यह जान लेते हैं की आखिर कन्नौज इतना इंपॉर्टेंट क्यों था डोमिनेशन ओवर कन्नौज सेवंथ सेंचुरी में हर्ष के अंपायर के डिक्लिन के बाद नॉर्थ इंडिया डेक्कन और साउथ इंडिया में कई बड़े किंग्डम्स उभर कर आए गुप्ता और हर्ष के
अंपायर में गंगा वाली दोनों अंपायर्स की है मनी का बेसिस बनी गंगा वाली पापुलेशन और ह्यूज रिसोर्सेस के करण ट्रेड और कॉमर्स का सेंटर थी इस पर रूल करके ही गुप्ता रुलर्स और हर्ष ने गुजरात पर अपना आधिपत्य जमाया जो की अपने रिच सी पोर्ट्स और मैन्युफैक्चरर्स के करण ओवरसीज ट्रेन के लिए इंपॉर्टेंट था मालवा और राजस्थान इन दोनों सेंटर्स यानी गंगा वाली और गुजरात के बीच एसेंशियल ड्रिंक थे नॉर्थ इंडिया में रूल कर रही किसी भी अंपायर के लिए यही ज्योग्राफिकल लिमिट थी हर्ष की डिक्लिन के बाद गंगा वाली में स्थित कन्नौज एक इंपॉर्टेंट स्ट्रैटेजिक
सेंटर के रूप में उभर कर आया कन्नौज गंगा की राइट बैंक में एक क्लिफ पर बस हुआ था जो की हाइट के करण एडवांटेज था हर्ष नीतू कन्नौज को सिंबल ऑफ इंपीरियल पावर बनाया कन्नौज ट्रेड कॉमर्स और कम्युनिकेशन का सेंटर बना जहां से इंडिया की सभी डायरेक्शंस में जान वाले ट्रेड रूट निकलते थे यह उसका इकोनामिक इंर्पोटेंस था इस पर कंट्रोल करके एक तरह से पुरी गंगा वाली पर कंट्रोल किया जा सकता था पेस्ट के मगध की तरह ही कन्नौज अभी इंपॉर्टेंट हो चुका था कन्नौज पर रूल करना एक तरह से पूरे नॉर्थ इंडिया पर रूल करने का सिंबल था यह उसका पॉलीटिकल इंर्पोटेंस
था 750 से 1000 के बीच कई बड़े किंग्डम्स हुए पूर्वी इंडिया को डोमिना मिडनाइट सेंचुरी तक डी प्रतिहार अंपायर जिसने वेस्टर्न इंडिया और एपीएनजाइटिक वाली को मिड-टेंट सेंचुरी तक डोमिनेट किया इसको गुर्जर प्रतिहार अंपायर भी बोला जाता है और राष्ट्रकूट अंपायर जिसने डेक्कन पर अपना डोमिनेशन एस्टेब्लिश किया ये तीन अंपायर्स भले ही आपस में लड़ते रहे लेकिन एक बड़े एरिया में उन्होंने लोगों को एक स्टैब्लाइफ दी एग्रीकल्चर को एक्सटेंड किया पॉन्ड्स और कनाल बनाएं आर्ट और आर्किटेक्चर को पीटने दिया इंक्लूडिंग टेंपल्स इन तीनों में से राष्ट्रकूट
अंपायर सबसे लंबे समय तक चला और नॉर्थ और साउथ इंडिया के बीच एक तरह से कल्चरल ब्रिज का काम किया तो ये तो बात हुई कन्नौज की इंर्पोटेंस की अब बढ़ते हैं स्ट्रगल की तरफ इसमें हम एक-एक करके तीनों अंपायर्स के बड़े में बात करते हुए उनके आपस के स्ट्रगलर की भी बात करेंगे शुरू करते हैं पार्लर से डी पार्लर हर्ष की डेथ के बाद का जो पीरियड था एक तरह से पॉलीटिकल कन्फ्यूजन का दूर था कश्मीर के कारकोटा डायनेस्टी के रोलर ललितादित्य 724 से 760 एड ने कुछ समय के लिए पंजाब और एवं कन्नौज पर कंट्रोल एस्टेब्लिश किया कन्नौज उसे समय सिंबल ऑफ
सॉवरेन्टी हुआ करता था ललित आदित्य और वहां के राजा को मार दिया ललिता आदित्य ने इस दौरान पूरे भारत का भ्रमण किया और कई किंग को डिफीट भी किया इस जॉनी के बाद वह वापस कश्मीर लोट गए और सभी एरियाज में एक तरह का पावर वेक्यूम क्रिएट हो गया इस पावर वेक्यूम के चलते पलस और गुर्जर प्रतिहारस का राइस होने लगा जिसके बाद ललित आदित्य [संगीत] खैर 758 में पाल अंपायर को गोपाल ने फार्मूले फाउंड किया जो एक इलेक्ट्रिक लीडर थे पूर्वी इंडियन रीजन के नामी लोगों ने इनकी को खत्म करने के लिए गोपाल कुकिंग बनाया गोपाल का बर्थ किसी हाय रॉयल फैमिली
में नहीं हुआ था उनके फादर प्रोफेशन से एक सोल्जर थे गोपाल ने अपने रूल में बंगाल को यूनिफाई किया और एवं मगध को अपने कंट्रोल में लिया गोपाल को उनके सन धर्मपला ने 778 में सकसीड किया जिसने अगले 40 साल यानी 810 एड तक राज किया त्रिपाठी स्ट्रगल धर्मपला की रेन में ही हुई धर्मपला ने प्रतिहार और राष्ट्रकूट की आपसी लड़ाई का खूब फायदा उठाया जब प्रतिहार रोलर गॉड यानी बंगाल की तरफ एडवांस करने ही वाले थे तब प्रतिहार रोलर को राष्ट्रकूट रोलर ध्रुव ने डिफीट किया प्रतिहार रोलर को राजस्थान के डेजर्ट में रिफ्यूज लेना पड़ा और ध्रुव वापस डेक्कन
लोट गए इसके करण कन्नौज एक तरह से वसंत हो गया जिसके चलते धर्मपाल ने कन्नौज पर कब्जा कर लिया धर्मपाल ने एक ग्रैंड दरबार ऑर्गेनाइजर किया जिसमें पंजाब पूर्वी राजस्थान एक्सट्रा के वेसल स्टेटस को इनवाइट किया ऐसा बताया जाता है की धर्मपाल का रूल इंडिया के नॉर्थ वेस्ट की फेस्ट लिमिट तक फेल गया जिसमें मालवा और विरार भी इंक्लूड थे लेकिन धर्मपला ज्यादा समय तक अपनी पावर नॉर्थ इंडिया में कंसोलिडेटेड नहीं रख पाया नागब भट्ट डी सेकंड 85 से 833 के रोल में प्रतिहारस ने फिर से पावर को रिवाइव किया और धर्म बालक को डिफीट किया बिहार और मॉडर्न हिस्ट्री
बना रहा है नॉर्थ में हर के बाद पार्लर्स को दूसरी डायरेक्शन में रुक करना पड़ा धर्मशाला ने उनको सकसीड किया 8 एलईडी में जिसने प्रज्ञा ज्योतिष पुरी यानी असम और पार्ट्स ऑफ उड़ीसा में अपना कंट्रोल एक्सटेंड किया तो ऐसा कहा जा सकता है की मिड 8th सेंचुरी से लेकर मिडनाइट सेंचुरी के बीच पूर्वी इंडिया को पाल रुलर्स ने डोमिनेट किया ऐसा बताया जाता है की मॉडर्न नेपाल का कुछ पाठ रुलर्स बुद्धिस्ट लर्निंग और रिलिजन की ग्रेट पेट्रो थे नालंदा यूनिवर्सिटी जो की पूर्वी वर्ल्ड में काफी फेमस थी उसको रिवाइव करने का श्री धर्म पलक हो जाता है
विक्रमशिला यूनिवर्सिटी को सेटअप करने का श्री भी धर्म बालक हो जाता है जो की नालंदा के बाद फेमस होने वाली सिर्फ दूसरी यूनिवर्सिटी डिबेट के साथ पार्लर रुलर्स के क्लोज कल्चरल रिलेशंस रहे नॉटेड बुद्धिस्ट स्कॉलर को तिब्बती व्हाइट किया गया जहां पर उन्होंने बुद्धिस्म की एक नए फॉर्म को इंट्रोड्यूस किया जिसके करण कई तिब्बती बुद्धिस्ट नालंदा और विक्रमशिला यूनिवर्सिटी में स्टडी के लिए आए बुद्धिस्म के सपोर्टर होते हुए भी पलाज ने शैविज्म और वैश्णविज्म को पिटनीच दिया यह उनकी रिलिजियस डाइवर्सिटी और टोलरेंस को शो करता है नॉर्थ इंडिया के बड़े नंबर ऑफ
ब्राह्मण को ब्रांड दिए जिसके चलते वह लोग बंगाल की तरफ जान लगे इनके आने के करण बंगाल में कल्टीवेशन का एक्सटेंशन हुआ बंगाल की बढ़नी प्रोस्पेरिटी के करण सऊदी एशिया की कंट्रीज जैसे बर्मा मालय जावा सुमात्र एट सिटेरा में ट्रेड और कल्चरल कॉन्टैक्ट्स का विस्तार हुआ बढ़ते ट्रेड और प्रोस्पेरिटी के करण बंगाल में इन कंट्रीज अमाउंट्स में गोल्ड और सिल्वर आना चालू हुआ सऊदी ईस्ट की फेमस शैलेंद्र डायनेस्टी ने बालाकोट में कई एंबेसीज भेजी और इनकी देखभाल के लिए पांच विलेज की डिमांड पाल रोलर देवपुर से की गई डिमांड मां ली गई जो
की इन दो अंपायर्स की क्लोज रिलेशन को दर्शाता है तो दोस्तों अभी तक हमने देखा पूर्वी इंडिया के पाल अंपायर के बड़े में हमने जाना की किस तरह अंपायर करिस हुआ और कैसे वो त्रिपाठीते स्ट्रगल का पार्ट बने के रूप में उभर कर आए और उनके रूल का सबसे स्ट्राइकिंग पॉइंट रहा उनका इंटरनेशनल ट्रेड और कॉमर्स आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं जिन्होंने कन्नौज पर लंबे समय तक राज किया उन्हें गुर्जर प्रतिहारस भी कहा जाता था सेंट्रल और पूर्वी राजस्थान में प्रतिहारस ने एक सीरीज को एस्टेब्लिश किया मालवा और गुजरात के कंट्रोल के लिए राष्ट्रकूट से
क्लास में शामिल रहे और आगे चलकर कन्नौज के कंट्रोल के लिए कैश हुआ नागभट्ट धवन 730 तू 760 के अंदर में प्रतिहारस ने प्रॉमिनेंस गेम किया और सिंह के अब रुलर्स को कड़ा रेजिस्टेंस दिया जो राजस्थान गुजरात और पंजाब पर कब्ज जमाना चाहते थे भीनमाल में प्रतिहारस की पहले कैपिटल थी जैसा की हमने पलस की कहानी में देखा की शुरुआती प्रतिहार आज रुलर्स को राष्ट्रकूट रोलर ध्रुव और गोपाल डी थर्ड किया और अपार गंगा वाली को कंट्रोल करने से रॉक दिया 790 और 86780 में भी राष्ट्र स्कूटर रुलर्स ने प्रतिहारस को डिफीट किया और वापस डेक्कन
की और चले गए को माना जाता है भोज ने अंपायर को रिबिल्ट किया और करीब 836 एड में कन्नौज को रिकवर किया जो की अगले 100 साल तक प्रतिहार अंपायर की कैपिटल बनी रही भोज ने ईस्ट में अपना अंपायर एक्सटेंड करना चाहा लेकिन पार्लर रोलर देवपुर ने उनको डिफीट कर दिया इस डिफीट के बाद भोज ने डेक्कन सेंट्रल इंडिया और गुजरात की तरफ रुख किया जिसके चलते एक बार फिर राष्ट्रकूट से स्ट्रगल का रिवाइवल हुआ नर्मदा के बैंक्स पर हुई बैटल में भोज ने मालवा और गुजरात के कुछ पार्ट्स पर अपना आधिपत्य जमाया लेकिन डेक्कन की तरफ और आगे नहीं बाढ़ अपने के करण एक बार फिर नॉर्थ
की तरफ रुख किया कुछ इनस्क्रिप्शंस के अनुसार उसकी टेरिटरी सतलज के वेस्टर्न साइड तक पहुंच चुकी थी अब ट्रैवल्स बताते हैं की प्रतिहार रुलर्स के पास इंडिया की बेस्ट केवलारी यानी घुड़सवार सी थी सिल्क रोड की प्रॉक्सिमिटी में होने के करण और स्ट्रीट उसे समय का एक इंपॉर्टेंट देवपुर की डेथ के बाद भोजनी ईस्ट में भी अपना अंपायर एक्सटेंड किया भोज विष्णु के डायबिटीज और आदि वराह का टाइटल अडॉप्ट किया जिसका मेंशन उनके रूल के कई कोइंस में मिलता है उनको मिहिर भोज भी कहा जाता है यह जानना जरूरी है की उज्जैन के परमार
डायनेस्टी के राजा भोज अलग थे जिन्होंने कुछ समय बाद रूल किया भोज की डेथ 85 एड में हुई और उनके सन महेंद्र पलावन ने उनको सकसीड किया महेंद्र पलवा का रूल 9980 तक चला महेंद्र पाल ने भुज के अंपायर को मगध और नार्थ बंगाल तक एक्सटेंड किया ईस्ट पंजाब और अवध और काठियावाड़ में भी उनकी इनस्क्रिप्शंस मिले हैं सेंचुरी के बीच करीब 100 साल तक नॉर्थ इंडिया पर राज किया अल मसूदी जो की बगदाद की नेटिव थे और 9:15 में गुजरात विजिट करते हैं प्रतिहार अंपायर की पावर प्रेस्टीज और वस्तनेस को टेस्टिफाई करते हैं प्रतिहारस लर्निंग और लिटरेचर के ग्रेट
पत्रों थे ग्रेट संस्कृत कवि और ड्रैमेटिस्ट राजशेखर महिपाल के कोर्ट में थे जो भोज का ग्रैंडसन था कन्नौज में कई फाइन बिल्डिंग और टेंपल्स को बिल्ड करवाया 8th और नाइंथ सेंचुरी में कई इंडियन स्कॉलर्स ने बगदाद के कैलिब्स के कोर्ट में आसन एंबेसी ट्रैवल किया इन स्कॉलर्स ने इंडियन साइंस स्पेशली मैथमेटिक्स अलजेब्रा और मेडिसिन को अब वर्ल्ड में इंट्रोड्यूस किया सिंह के अब रोलर से होस्टिलिटी होते हुए भी स्कॉलर्स और गुड्स का आना जाना कंटिन्यू रहा 915 से 98 के बीच राष्ट्रकूट किंग इंद्र थे थर्ड ने फिर कन्नौज पर अटैक किया और सिटी को
डिस्ट्रॉय कर दिया इससे प्रतिहार अंपायर वीक हो गया और गुजरात को प्रोबेबली राष्ट्रकूट सबूत नहीं है की गुजरात को राष्ट्रकूट स्नेक कैप्चर किया या किसी दूसरी डायनेस्टी ने है लेकिन इतना कंफर्म है की प्रतिहार अंपायर के पास अब गुजरात का सी कास्ट नहीं था गुजरात जो की ओबीसी स्ट्रीट का हब था उसको लॉस करके प्रतिहार अंपायर को बड़ा झटका लगा एक और राष्ट्रकूट रोलर कृष्णा डी थर्ड ने 963 में नॉर्थ इंडिया को इन्वेंट किया और प्रतिहार रोलर को डिफीट किया इसके बाद ही प्रतिहार अंपायर का रेपिड्यूशन चालू हो गया तो दोस्तों यह
कहानी थी प्रतिहारस की जिनके राइस और डिक्लिन को देखते हुए हमने जाना की त्रिपाटीद स्ट्रगल में उनकी क्या भूमिका रही प्रतिहारस लर्निंग और लिटरेचर और आर्किटेक्चर की ग्रीक पेट्राइम्स मैन जाते हैं इंडियन साइंस को अब वर्ल्ड में इंट्रोड्यूस करना उनके फौरन रिलेशंस को शो करता है लेकिन इलेवंथ सेंचुरी के स्टार्ट में मोहम्मद ऑफ गजनी के रिपीटेड इनवेजंस के चलते यह अंपायर खत्म हो गया जब नॉर्थ इंडिया में पलस और प्रतिहारस रूल कर रहे थे उसे समय डेक्कन पर राष्ट्रकूट से ग्राइमरकेबल डायनेस्टी थी जिसके हिस में वॉरियर्स और एबल एडमिनिस्ट्रेटर की
लंबी कतर है इस किंगडम को मिड 8th सेंचुरी के आसपास सेटअप किया जिन्होंने अपनी कैपिटल मान्य खेत या मालखेड़ में बनाई जो की मॉडर्न कर्नाटक के गुलबर्गा जिला के नजदीक है सेटअप होने के कुछ समय में ही राष्ट्र क्यूटर ने नॉर्दर्न महाराष्ट्र का पूरा एरिया डोमिनेट कर लिया और जैसा की हमने देखा इन्होंने प्रतिहारस के साथ गुजरात और मालवा की ओवरलोड शिव के लिए लड़ाई लड़ी भले ही उनकी रेट्स के करण अंपायर का एक्सपेंशन गंगा वाली में नहीं हुआ लेकिन रिच स्प्लेंडर से उनका फिल्म लगातार बढ़ता रहा आंध्र प्रदेश की पूर्वी चालू किया
गोविंदा डी थर्ड 793 से 814 और अमोघवर्ष 848 राष्ट्रकूट के सबसे ग्रेटेस्ट रोलर मैन जाते में प्रतिहार रोलर नागभट्ट ऑफ कन्नौज के खिलाफ सक्सेसफुल कैंपेन के बाद और मालवा को एनएक्स करने के बाद गोविंदा डी थर्ड ने साउथ की तरफ रुख किया एक इनस्क्रिप्शन में बताया गया है की गोविंदा ने केरला पांडे और चोला किंग को टरफाई किया और पल्लवास को कमजोर होने पर मजबूर कर दिया कर्नाटक की गैंगस को तो मौत के घाट ही उतार दिया अमोंग वर्षा ने 64 साल तक राज किया लेकिन उनको वार के बजे परस्यूट ऑफ रिलिजन और लिटरेचर में इंटरेस्ट था वो खुद भी एक ऑथर
थे और उन्हें कनाडा में पॉलिटिक्स पर पहले बुक लिखने का श्री दिया जाता है कैपिटल सिटी करने खेत को भी उन्होंने ही बनवाया जो उनकी ग्रेट बिल्डर होने का प्रमाण है उनके रूल में अंपायर के दूर-दराज हसन में रिबेलियंस हुए और उनकी डेथ के बाद फिर से स्टार्ट होने वर्षा की ग्रैंडसन इंद्र थे थर्ड 9:15 से 927 ने इन रिबेलियंस पर रॉक लगे और अंपायर को रिस्टैब्रिज किया पार्लर रोलर महिपाल को डिफीट करके और 9:15 में कन्नौज पर कब्जा करके इंदिरा डी थर्ड उसे समय का मोस्ट पावरफुल रोलर बना अल मसूदी की मैन तो राष्ट्रकूट किंग बल्हारा और वल्लभ राजा
उसे समय के ग्रेटेस्ट किंग थे और मोस्ट किंग उनकी सुजरेंटी को मानते थे कृष्णा थे थर्ड 934 से 963 ब्रिलियंट रुलर्स की लाइन में लास्ट रोलर थे वो मेली मालवा के परमार्स और पूर्वी चालू किया जो वांगी के साथ स्ट्रगल में रहे कृष्णा डी थर्ड ने चोला किंग परांत का डी फर्स्ट को 949 में डिफीट किया और चोला अंपायर के नॉर्दर्न पार्ट को कैप्चर किया उनकी डेथ के बाद उनके इन्हीं अपोनेंट्स ने यूनाइटेड होकर राष्ट्रकूट कैपिटल मालखेड़ पर 979 में अटैक किया और डिस्ट्रॉय कर दिया यही पर राष्ट्रकूट अंपायर का एंड हो गया राष्ट्रकूट अंपायर 200 साल तक यानी 10th
सेंचुरी के और तक चला वह रिलीजियस टोलरेंट थे और शैविज्म और वैश्णविज्म के साथ जैनिज्म को भी पेट्रनाइज्ड किया एलोरा का फेमस कैलाश नाथ रॉकेट टेंपल राष्ट्रकूट किंग कृष्णा डी फर्स्ट ने बिल्ड करवाया जैनिज्म फॉलोअर थे लेकिन उन्होंने दूसरे किया और इस्लाम प्रीच करने को भी पेमेंट किया है इस टोलरेंस पॉलिसी से फॉरेन ट्रेड प्रमोट हुआ उनके कोर्ट में एन सिर्फ संस्कृत स्कॉलर्स बल्कि प्रकृति और अपभ्रंश में लिखने वाले प्वाइंट्स भी थे स्वयंभू जो की अपभ्रंश के ग्रेट कवि थे प्रोबेबली राष्ट्रकूट कोर्ट में ही थे तो दोस्तों ये कहानी थी
राष्ट्रकूट की जो ट्राई पार्ट आई स्ट्रगल का पाठ रहे प्रतिहारस की तरह ये भी आठ लिटरेचर और रिलिजन के ग्रेट पैट्रिम्स थे उनका रिलिजियस टोलरेंस उनके रूल का हाईलाइट बन जाता है आगे बढ़ते हैं और देखते हैं इन तीनों किंग्डम्स के पॉलीटिकल सेटअप एडमिनिस्ट्रेशन और सोशल लाइफ के बड़े में ही था किंग एडमिनिस्ट्रेशन का कमांडर इन के था किंग की पोजीशन हेरेडिटरी थी और किंग को एसिस्ट करने के लिए मिनिस्टर्स थे जैसे रिवेन्यू ट्रेजर फॉरेन अफेयर्स सेनापति के जस्टिस और पुरोहित तीनों किंग्डम्स के पास बड़े ऑर्गेनाइज्ड केवलारी इन्फेंट्री और
एलीफेंट थे किंगडम मिनिस्टर्स टेरिटरीज को कुछ पार्ट्स में डिवाइड किया गया था जैसे राष्ट्र जिसको राष्ट्रपति या गवर्नर सुपरवाइज करता था भुक्ति प्रोविंस का ऊपरी का था जो रिवेन्यू भी कलेक्ट करता था और डॉ और ऑर्डर भी मेंटेन करता था मंडेलास या विषय जिसको विषय पति हेड करता था यह बेसिकली डिस्ट्रिक्ट की तरह महाजन यानी विलेज एल्डर एडमिन को एसिस्ट करते थे ट्रेड और कॉमर्स में भी कुछ बातें इंपॉर्टेंट हैं ट्रेड इन कॉमर्स 747 के बीच नॉर्थ इंडिया में ट्रेड और कॉमर्स में ह्यूज डिक्लिन आया इसकी दो रीजंस थे नॉर्थ इंडिया का रोमन अंपायर के
साथ अच्छा खास था जिसके खिलाफ होने के बाद ट्रेड पर इंपैक्ट हुआ इस्लाम के राइस के करण यूरेनियम सैशनेट अंपायर का डिक्लिन हुआ और इंडियन वरलैंड के फॉरेन ट्रेड को बड़ा नुकसान हुआ इंडिया की गोल्ड और सिल्वर वेल्थ का में रीजन था फॉरेन ट्रेड फॉरेन ट्रेड की डिक्लिन होने से गोल्ड कोइंस में कमी ए गई इंटरेस्टिंग बात रही की इसी पीरियड में साउथ इंडिया और साउथ ईस्ट एशिया कंट्रीज के बीच का ट्रेड इंक्रीज हुआ उत्तर पाठ और दक्षिण पाठ में भी ट्रेड काफिरोबस्त था कंक्लुजन तो दोस्तों इस कहानी में हमने देखा नॉर्थ इंडिया की
अर्ली मेडिकल हिस्ट्री यानी 800 से 1000 एड के बड़े में इस पीरियड में तीन इंपॉर्टेंट किंग्डम्स कराया हुआ और तीनों किंग्डम्स आपस में वर्चस्व की लड़ाई में लगे रहे हैं लगातार स्ट्रगल के बाद भी लोगों की लाइव स्टेबल रही और टेंपल्स आठ लिटरेचर का विस्तार हुआ इस पीरियड में एक इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन हमें देखने को मिला 8th सेंचुरी के और में शुरू हुई कन्नौज की डोमिनेशन की ये लड़ाई अगली 200 साल यानी 1000 एड तक चली इस लंबी लड़ाई में तीनों अंपायर ग्रैजुअली वीक होते चले गए इसका रिजल्ट यह हुआ की नॉर्थ इंडिया का
पॉलीटिकल डिसइंटीग्रेशन हो गया इसी दौरान वेस्ट और सेंट्रल एशिया में हमको रैपिड पॉलीटिकल चेंज देखने को मिले जिसके करण यहां के इस्लामी की वीडियो ने नॉर्थ इंडिया की सिचुएशन को देखकर इनवाइट किया इस तरह नॉर्थ इंडिया में डोमिनेशन के लिए एक नए फीस की शुरुआत हुई हम जानते हैं की भारत हमेशा से एक ड्राइवर कलर्स का देश रहा है जहां कई सिविलाइजेशन और अंपायर्स राइस हुए और डिस्ट्रॉय हो गए मौर्य गुप्ता और मुगल तो हमारे कॉन्शसनेस में आज भी जिंदा है लेकिन इनके अलावा कुछ और ग्लोरियस अंपायर्स की कहानी कई डब की र गई बात नाइंथ सेंचुरी की है जब नॉर्थ
इंडिया की पालिटी त्रिपर्टाइट स्ट्रगल की वजह से 20 स्टेबलाइजर हो चुकी थी और पाल राष्ट्रकूट और प्रतिहार कन्नौज के लिए लगातार स्ट्रगल कर रहे थे लेकिन किसी को डिसाइड विक्ट्री नहीं मिल रही थी लेकिन क्या आपको पता है की ऐसा ही एक स्ट्रगल साउथ में पल्लव पांडे और चोला रोलर्स के बीच भी हो रहा था जिसमें चोल इमर्जड विक्टोरियस इस वीडियो में हम देखेंगे उसे चोला अंपायर के 450 सालों के इतिहास के बड़े में जिसने साउथ इंडिया पालिटी को स्टेबलाइजर करते हुए अपना डोमिनेंस एन सिर्फ इंडिया में बढ़ाया बल्कि उसके बॉन्ड सऊदी
ओरिजिनल वैसे चोल का इतिहास काफी पुराना है इस नाम की एक किंगडम का एस्टेब्लिशमेंट सबसे पहले कावेरी डेल्टा के अराउंड कुछ 320 में हुआ अर्ली चोला कहते हैं लेकिन वह इनके किंगडम को अंपायर का दर्ज नहीं देते और कहते हैं की यह कावेरी डेल्टा के अराउंड ही लिमिटेड था हमारे वीडियो का टॉपिक यह अर्ली चोला नहीं बल्कि चोला अंपायर या इंपीरियल चोल हैं जिनकी हिस्ट्री लगभग 850 एड में स्टार्ट होती है इनका अर्ली चोला से कोई लिंक था या नहीं यह बात काफी डिस्प्यूटेड है [संगीत] है लेकिन यह किंग्डम्स नाइंथ सेंचुरी तक काफी वीक हो चुके थे और इनके बीच साउथ
इंडिया की सुप्रीमेसी को लेकर कनफ्लिक्ट चल रहा था विजय चोला ने इनकी वीकनेस और रिवरी का फायदा उठाकर खुद को भी इस स्ट्रगल में झूम दिया और पांडे से तंजावुर को छन कर अपनी कैपिटल बना लिया बाद में विजय लिया की बेटे आदित्य वन ने पल्लवन डायनेस्टी को डिस्ट्रॉय और चोला अंपायर को फरदर स्ट्रैंट किया चुलस की इंडियन एक्सपीडिशंस की बात करें तो 925 में प्रैंक वन ने राष्ट्रकूट रोलर कृष्णा तू को डिफीट किया और अपना इन्फ्लुएंस नॉर्दर्न टेरिटरीज में एक्सपीएनडी किया लेकिन चोला अंपायर की सबसे पावरफुल किंग राज राजा चोला वन और
राजेंद्र कलवन थे जिन्हें अंपायर के कंसोलिडेशन और उसे कावेरी डेल्टा के बॉन्ड एक्सपेंड करने का क्रेडिट दिया जाता है इनकी बदौलत ही चोल का कंट्रोल नॉर्थ में कृष्णा गोदावरी बेसन से लेकर साउथ में श्रीलंका और मोल्डीस और वेस्ट में लक्षद्वीप से लेकर ईस्ट में मालिया पेनिनसुला तक फेल गया था राजेंद्र वन में राज राजा को सकसीड किया जिनका इंडिया में सबसे बड़ा अचीवमेंट था गंगा बेसन का कैंपेन और उड़ीसा और पाल रुलर्स पर मैसिव विक्ट्री इसके बाद उन्हें गली गई कोंडा चोला का टाइटल मिला जिसका मीनिंग है काफी धूमधाम से हुआ और राजेंद्र ने इस
विक्ट्री को मां करने के लिए कैपिटल का कंस्ट्रक्शन करवाया जो प्रेसेंटा तमिलनाडु में लोकेटेड है 12580 से लेकर अगले 250 साल तक यह चुलस की कैपिटल बनी रही फॉरेन कॉक्वेस्ट चुला किंगडम की सबसे बड़े अचीवमेंट्स उनके फॉरेन कॉक्वेस्ट रहे जिसकी वजह से उन्हें इंपीरियल चोला का दर्ज दिया गया चोल को इंपीरियल इसलिए बोला गया क्योंकि मॉडर्न इंपीरियल कंट्री जैसे यूनाइटेड किंगडम की तरह ये भी कुछ फौरन टेरिटरीज के इकनॉमिक रिसोर्सेस को अपनी मिलिट्री पावर के थ्रू कंट्रोल और वहां के रिसोर्सेस को खुद की प्रोस्पेरिटी में उसे करते थे की
हिस्टोरियन चोल के इस पॉलीटिकल इकोनामिक सिस्टम को पीएसईउदो कॉलोनियलिज्म भी बोलते हैं खैर चोल का सबसे पहले इंपॉर्टेंट फॉरेन कॉक्वेस्ट परांठक वन का श्रीलंका कैंपेन था जिसको फिनिश राज राजा ने किया है इसके साथ चोल ने मालदीव्स में भी अपना कंट्रोल एक्सपेंड किया वैसे राज राजा की टाइम ही चोला अंपायर काफी ज्यादा एक्सपेंड हो चुका था लेकिन फिर भी राजेंद्र ने साउथ ईस्ट एशिया के श्री विजय अंपायर पर एक मैसिव अटैक किया जहां पर विक्ट्री के बाद भी उन्होंने सिर्फ इनडायरेक्ट कंट्रोल मेंटेन किया तो सवाल ये है की इतना रिस्की
और एक्सपेंसिव कैंपेन राजेंद्र ने लॉन्च ही क्यों किया जब डायरेक्ट रूल का कोई प्लेन नहीं था वेल इसका जवाब हमें उसे वक्त की इकोनामी लोकल पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स के लिंकन में मिलता है वैसे तो चोल के श्री विजय पर अटैक का इमीडिएट ट्रिगर पॉइंट कंबोडिया अंकुर डायनेस्टी और श्री विजय अंपायर के बीच का कनफ्लिक्ट था अंकुर चोल के इलाए थे और जब अंकुर और श्री विजय के बीच वार हुआ तो राजेंद्र ने भी एंकर के सपोर्ट में श्री विजय पर अटैक कर दिया लेकिन यह फिर भी इतने बड़े कैंपेन को जस्टिफाई नहीं करता दूसरी थ्योरी के हिसाब से इसका कैसे तमिल
गल्स और मेरिट टाइम्स सिल्क रूट का पॉलिटिक्स था मेरिट टाइम्स सिल्क रूट से अब्बा सिर्फ कैलिफते और चीन के टांग डायनेस्टी के बीच हो रहे प्रॉस्परस ट्रेड में साउथ इंडियन पोर्ट्स और वाले एयरपोर्ट्स का काफी इंपॉर्टेंट रोल था जो शिप के लिए ट्रांजिशन प्वाइंट्स थे और जहां वह रिफ्यूलिंग के लिए रुकते थे इस ट्रेड का मुनाफाली तमिल गल्स के पास था जिनका कंट्रोल मालन पोर्ट्स में भी था लेकिन इस दूर में शिवा बिल्डिंग टेक्निक्स काफी इंप्रूव हुए लगी इसकी वजह से इंडियन तमिल गिल्ड्स को काफी नुकसान हुआ बाद में श्री विजय अंपायर
ने मालय बेस्ट तमिल गिलेज के साथ भी डिस्क्रिमिनेशन चालू कर दिया और गल्स की कंडीशन और ज्यादा खराब होने लगी पावर की वजह से ही शायद राजेंद्र ने श्री विजय पर अटैक किया राजेंद्र को यह भी डर था की कहानी ये गल्स एनीमी किंग्डम्स को सपोर्ट ना करने लगे रीजन कुछ भी हो पर एक बात फैक्ट है की राजेंद्र ने अपनी उन मैच नवल सुप्रीमेसी की वजह से साउथ ईस्ट एशिया में बड़ी जीत हासिल की राजेंद्र की नेवी इतनी स्ट्रांग थी की उसकी लगते करने के लिए 1972 में एक नवल ट्रेनिंग अकादमी का नाम स राजेंद्र रखा गया और वहां छोटी-छोटी
और उनकी मिलिट्री बेसिस को अपने किंग्डम्स में एक्सेप्ट किया इसका फाइनल आउटकम यह हुआ की अगले एक सेंचुरी तक साउथ ईस्ट एशिया में तमिल गल्स का डोमिनेंस बना रहा और मैरिटाइम सिल्क रूट पर चोल की अजय मिनी भी डी सिविल गोल्डन आगे चोला रूल को सिविलाइजेशन गोल्डन आगे भी कहा जाता है क्योंकि इस दूर में मैसिव इंफ्रास्ट्रक्चर टेंपल्स और फाइन ब्रोंज स्कल्पचर्स का ग्रोथ दिखता है चोला रूल में ट्रेंड्स एग्रेरियन एक्सपेंशन की वजह से कावेरी बेसन में मैसिव कनाल बने बने जिम सबसे फेमस या कुंदन और राजेंद्र वह कल आज भी एक्जिस्ट करते हैं कनाल के अलावा
मैं सिर्फ वाटर टैंक्स भी बने हैं जिम सबसे इंपॉर्टेंट गंगाईकुंडा चोलापुरम का 16 माइल्स लॉन्ग 16 गंगनम है जिसको लिक्विड पिलर ऑफ विक्ट्री भी कहा जाता है टेंपल्स की बात करें तो राज्य राजा वन के पहले के किंग ने भी कई टेंपल्स बनाए जो साइज में काफी छोटे थे लेकिन चोला इसकी टेंपल आर्किटेक्चर का ब्रिलियंस और मैसिवेनेंस राज राजा के रूल में ही बढ़ता है ओल्ड टेंपल से लगभग 5 गुना ज्यादा बड़े हो गए यूनेस्को ने डी ग्रेट लिविंग चोला टेंपल्स को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का स्टेटस भी दिया है जिसमें तीन टेंपल्स इंक्लूड है
बृहदेशवारा टेंपल ऑफ तंजावुर इनमें ओल्डेस्ट और लार्जेस्ट में बनवाया था 25 साल बाद उनके बेटे राजेंद्र ने से नाम का बृहदेशवारा टेंपल गंगाईकोंडा चोलापुरम में बनवाया तीसरा और सबसे छोटा टेंपल इरावती ईश्वर और इंजीनियरिंग वंडर तंजावुर का बृहदेशवारा टेंपल है जिसका ग्रेनाइट और बिना मोटर या सीमेंट का बना हुआ 59 मी टोल है और 1000 साल बाद जो द्रविडियन टेंपल्स की सेंटम के ऊपर बनाए जाते हैं बृहदेशवारा टेंपल के इस विमान के टॉप मोस्ट स्टोन का वेट 80 टर्म्स है और इंजीनियर आज भी इस पर डिबेट करते हैं की बिना मॉडर्न मशीनरी के ये स्टोन 59 मीटर
ऊपर पहुंच कैसे खैर चोला रुलर्स शिवा थे और इसलिए तंजावुर टेंपल के में ही शिवा है और यहां पूरे भारत के वन ऑफ डी लार्जेस्ट शिवलिंग लोकेटेड है यहां पर हमें वर्ल्ड फेमस नटराज का ब्रोंज स्कल्पचर भी मिलता है जो शिवा के कैसे में डांस ऑफ क्रिएशन और डिस्ट्रक्शन को सिंबॉलिस्ट करता है स्कल्पचर्स में भोगशक्ति और सुब्रह्मण्य के ब्रोंज भी मास्टरपीसेज मैन जाते हैं वैसे ये चोला टेंपल्स मैसिव ग्रांट मिलने की वजह से सेंटर्स इकोनामिक एक्टिविटीज भी थे जो साथ में विलेज वेलफेयर के लिए भी काम करते थे लिटरेचर के फील्ड में भी काफी
डेवलपमेंट हुए और पॉपुलर वैष्णव प्रबंधन को भी चोला पीरियड में 12 अलवर साइंस निकम्पायर किया ओला एडमिनिस्ट्रेशन भी उनकी लिगसी का सिंबल है यहां हमें एक फूली डेवलप्ड सेक्रेटेरिएट की इनफॉरमेशन भी मिलती है ऐसा कहते हैं की पं लीव्स उसे करके चोल ने एक ब्रिलियंट रिकॉर्ड सिस्टम भी बनाया जिसमें लैंड रिकॉर्ड से लेकर इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स तक के रिकॉर्ड्स थे इसके अलावा चोला अंपायर नाइन प्रोविंस में डिवाइडेड था जिनको मंडलम कहते थे और इनकी गवर्नर स्टैंडिंग आर्मी भी मेंटेन करते थे प्रोविंस को नाडु नाम के डिस्ट्रिक्ट में
डिवाइड किया जाता था जिन्हें ऑटोनॉमस असेंबली नटर गवर्न करती थी वैसे तो चोला एडमिनिस्ट्रेशन लाजली एक सेंट्रलाइज्ड पॉलीटिकल सिस्टम था लेकिन उसमें पावरफुल लोकल एडमिनिस्ट्रेशन का एक्जिस्टेंस भारत के इतिहास में काफी अनोखा और यूनिक इनोवेशन था जिसका क्रेडिट राज्य वन को दिया जाता है यहां के विलेजर्स को और सभा नाम की असेंबलीज गण करती थी जो ह्यूज ऑटोनोम एंजॉय करती थी पूरा असेंबली इसके बड़े में खास बात ये है की वहां सभी कास्ट के लोग रहते थे जबकि सभा विलेज को गवन करती थी जो चोला किंग द्वारा ब्राह्मण को ग्रैंड किया गए थे इस सिस्टम
की लिगसी और इन्फ्लुएंस हमें गांधी जी के विलेज रिपब्लिक की आइडिया और मॉडर्न इंडिया के पंचायती राज सिस्टम में भी दिखाई देती है चोला मिलिट्री की बात करें तो उसमें सबसे इंटरेस्टिंग उनकी अनमैचेद लेवल पावर थी एक और इंटरेस्टिंग बात यह है की वीनेशन ट्रैवलर मार्को पोलो के हिसाब से किंग के सारे बॉडीगार्ड्स खुद को डेड किंग के फ्यूनरल वायर में सैक्रिफिस कर देते थे डिक्लिन लीटर चूल्हा डायनेस्टी को कैपेबल रुलर्स जैसे डिक्लिन स्टार्ट हुआ इसका सबसे पहले कोर्स था श्रीलंका में सिंगल किंगडम का राइस जिसने उन्हें श्रीलंका से स्पेनिश कर दिया
दूसरा एक रिकॉर्ड के हिसाब से राज्य बना लिया था चोल के डिक्लिन का थर्ड कैसे पंड्यास का राइस और खोया सालसकर डिवाइस से पॉलिटिक्स रस ने डिवाइस से पॉलिटिक्स उसे करके चोला और पांडे दोनों को राइस होने से रोकने की कोशिश की चोल को रोकने में तो हो सालार सक्सेसफुल रहे लेकिन पंड्यास एक फॉर्म्सीडेबल पावर बन ही गए सालास को और फिर 1279 में चोला उसको हराया राजेंद्र थ्री के टाइम तक पांडे ने अंपायर अपने प्रोस्पेरिटी के चरण पर था और 1279 राजेंद्र 3 के रूल की लास्ट रिकॉर्डिंग डेट हुई जिसके बाद चोल का भारत से नामोनिशान मिट्टी गया
सब्बू सिटी में एक इंडियन चोला प्रिंस राज लुमिया ने किया था जो वहां एक मिलिट्री बेस एस्टेब्लिश करने गए थे खैर स्पिन विजन के बाद यह किंगडम भी खत्म हो गया और चोला अंपायर का ग्लोरियस इतिहास बन गया लेकिन चोला इसकी लिगसी जिंदा है और आज भी वहां के कलर रिलिजन और टेंपल्स में फल फूल रही है स्ट्रगल पर सुप्रीमेसी पलवल चालुक्य और पंड्यास आज की इस कहानी में हम आपको ले चलते हैं इंडिया के 300 से 758 के पेनिनसुलर रीजन में हिस्टोरियन की मैन तो इस पीरियड को विंध्यास के सदन रीजंस की हिस्ट्री का सेकंड फ्रिज कहा जाता है पहले फेस था 200
ई से 300 एड तक जिसमें शुरू होने वाले कुछ प्रोसेस सेकंड फैज में कंटिन्यू रहे इसके साथ जो की पहले सिग्निफिकेंट नहीं थे इस कहानी में हम इस पीरियड की इंपॉर्टेंट कनफ्लिक्ट और पॉलीटिकल सीनरियों के बड़े में जानेंगे और अल्टीमेटली इन कनफ्लिक्ट के करण सोसाइटी कलर और इकोनामी में क्या चेंज आए उनको समझेंगे दोस्तों जैसा की हमने बताया 300 से 700 एड को पेनिनसुलर रीजन की हिस्ट्री का सेकंड फेस कहा जाता है पर सेकंड फैज को अच्छे से समझना के लिए और इस लेक्चर का कांटेक्ट सेट करने के लिए ये जानना जरूरी है की सेकंड फेस फर्स्ट फेस से कैसे अलग था आई
जानते हैं [संगीत] अपना आधिपत्य जमाया और तमिल किंग्डम्स ने तमिलनाडु के सदन किंग्डम्स को डोमिनेट किया इस पीरियड में नॉर्दन तमिलनाडु सदन कर्नाटक साउथ महाराष्ट्र और गोदावरी और महानदी के बीच के लेंस के रुलर्स इंडिपेंडेंस नहीं थे सराउंडिंग रीजंस के पॉलीटिकल अथॉरिटीज की तरफ था सेकंड फेस में इन रीजंस में और साथ ही विदर्भ में 300 से 680 के बीच लगभग दो डाजेन स्टेटस उभरकर आए बदामी के चालुक्य और मदुरई के पंड्यास तीन मेजर स्टेटस के रूप में उभर कर आए फर्स्ट पेज के कुछ स्पेशल फीचर्स रहे जैसे इंटरनल और एक्सटर्नल ट्रेड न्यूमरस
क्राफ्ट्स व्हाइट स्प्रेड उसे ऑफ कोइंस और बड़ी संख्या में टोंस जैसे अमरावती धनिया कटक नागार्जुन कोंडा ब्रज एक्सरे जबकि सेकंड फेस में ट्रेड टोंस और कॉलेज का डिक्लिन होने लगा लेकिन इस फैज में हमें टेंपल्स और ब्राह्मण को दी जान वाले न्यूमरस लैंड ग्राम्स देखने को मिलते हैं जो की टैक्स फ्री थे इन ग्रैंड से पता चला है की कई नए एरियाज को कल्टीवेशन और सेटलमेंट के अंतर्गत लाया गया इसलिए इस पीरियड में एग्रेरियन इकोनामी में बड़ी ग्रोथ देखने आंध्र और महाराष्ट्र में एक्सटेंशन बुद्धिस्ट मॉन्यूमेंट्स बनाए गए जैसे
आंध्र का अमरावती स्तूप और महाराष्ट्र की अजंता बुद्धिस्ट के मॉन्यूमेंट्स तमिलनाडु के सदन डिस्ट्रिक्ट के इनस्क्रिप्शन से हमको जैनिज्म और बुद्धिस्म दोनों के ही इन्फ्लुएंस का प्रमाण मिलता है मोस्ट इनस्क्रिप्शंस मदुरई और तिरुनेलवेली के पास मिले हैं दूसरी तरफ सेकंड फेस में ब्रह्मैनिज्म का स्प्रेड हुआ जैनिज्म कर्नाटक तक सीमित रहा पूरे पेनिनसुला में ओवरऑल देखें तो किंग के द्वारा वैदिक सेक्रेफिसिस की किया जान के न्यूमरस इंस्टेंस मिलते हैं सेकंड फैज में ही पाल लवर्स के अंदर तमिलनाडु और चालू किया उसके अंदर कर्नाटक में स्टोन
टेंपल्स के कंस्ट्रक्शन की शुरुआत हुई जो की शिवा और विष्णु के लिए डेडीकेटेड थे सेकंड फेस की शुरुआत में ही साउथ इंडिया लैंड ऑफ मेगालिथ की इमेज को आबंदों कर फेस के और तक ऐसे प्रोसेस की शुरुआत कर पाया जिससे साउथ इंडिया आज लैंड ऑफ टेंपल्स कहलाता है कलर की अगर बात करें ऑर्गेनाइजेशन और ब्राह्मण पर फ्रंट में आया इसका करण था किंग के द्वारा दिए जान वाले लैंड ग्रांट्स जो की या तो ब्रह्मन्नास को दिए जाते थे या फिर उनको जो उनके कैसे को सपोर्ट करते थे टेंपल लैंड्स के मैनेजर्स होने के करण भ्रमानुस कल्चरल और रिलिजियस एक्टिविटीज को गाइड
करते थे संस्कृत का स्प्रेड किया जो अल्टीमेटली ऑफिशल लैंग्वेज बनी आंध्र और कर्नाटक में मिलने वाले इनस्क्रिप्शन से हमें पता चला है की 300 ई और 300 एड के बीच लोग प्रकृति लैंग्वेज बोला और लिखा करते थे लेकिन 480 के बाद संस्कृत ही ऑफिशल लैंग्वेज बन गई और मोस्ट चार्ट संस्कृत में ही कंपोस्ट किया जाते थे दोस्तों आगे बढ़ते हैं और देखते हैं इस पीरियड में डेक्कन और साउथ इंडिया में कौन से स्टेट उभर कर आए स्टेटस ऑफ डी डेक्कन और साउथ इंडिया स्कोर्स उनके द्वारा सुखी गई यह ब्रह्मनिकल रिलिजन के लीडर थे और कई वैदिक
सैक्रिफाइस को परफॉर्म करते थे वक्त अगर इसकी पॉलीटिकल हिस्ट्री नॉर्थ इंडिया से ज्यादा जुड़ी रही बजे साउथ इंडिया के कल्चुरली अगर बात करें तो वक्त अगर मेली ब्रह्मनिकल इतिहास और सोशल इंस्टीट्यूशंस को साउथ में ट्रांसमिशन के एक चैनल की तरह काम करता रहा उसको बदामी करीब 500 एड में रिप्लेस किया जिन्होंने डेक्कन और साउथ इंडिया की हिस्ट्री में इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया दो सेंचुरी यानी 757 एड तक आई जानते हैं चालुक्य के बड़े में चालू किया चालू किया और मनु और डी मून को बताया उन्होंने बताया की उनके आंसेस्टर्स अयोध्या के रुलर्स थे
लेकिन ऐसा सिर्फ लेजिटिमेसी और रिस्पेक्टेबिलिटी अपने के लिए मेडिकल ब्लेसिंग के करण रनिंग वरना में कॉमेडी किया गया एस्टेब्लिश की जो की आज के हिसाब से कर्नाटक की बदामी टाउन बीजापुर जिला में लोकेटेड है आगे चलकर चालू किया 200 साल तक राज किया इस डायनेस्टी के बाद विजयनगर अंपायर ही अगला सिग्निफिकेंट अंपायर टाइम्स में सेटअप हुआ अब जानते हैं पेनिनसुला के पूर्वी रीजन में पल्लवास के बड़े में बलवास पेनिनसुला के पूर्वी पार्ट यानी कृष्णा गुंटुर रीजन में सातवाहन को उसने थर्ड सेंचुरी में सकसीड किया एक शुभाकू किंग
वाइड थे और वैदिक राइट्स परफॉर्म करते थे लेकिन उनके रेन में बुद्धिस्म भी हुआ एक शिवा को क्वींस और किंग ने प्रेजेंट दे नागार्जुन कोंडा और धरनी कोटा में कई मॉन्यूमेंट्स बनवाई कृष्णा गुंटुर रीजन में इन्होंने ही लैंड ब्रांड की प्रैक्टिस को चालू किया जहां पर उनसे रिलेटेड कई कॉपर प्लेट इनस्क्रिप्शंस मिले हैं उनको थोड़ा टाइम लगा क्योंकि तमिल में पल्लव रबर का भी एक सायनोनिम है तमिलनाडु तक एक्सटेंड हुई है जो की आज के हिसाब से कांचीपुरम है उनके रोल में यह सिटी टाउन ऑफ टेंपल्स और वैदिक लर्निंग के लिए फेमस हुई
अली पर नवाज का कनफ्लिक्ट कदंबा से भी हुआ जिन्होंने अपना रूल नॉर्दर्न कर्नाटक और कोकण में फोर्थ सेंचुरी में एस्टेब्लिश किया कदंबा किंगडम को मयूर शर्मा ने 345 एड में एस्टेब्लिश किया ऐवेंंचुअली पलवल ने कड़मबाज को डिफीट तो किया लेकिन मयूर शर्मा को रॉयल इनसाइनिया यानी एक तरह के रॉयल सिंबल से नवाज ऐसा कहा जाता है की मयूर शर्मा ने 18 अश्वमेध यानी हॉट सैक्रिफिसेज की है और ब्रह्मन्नास को कई विलेज दान में दिए कड़मबाज ने अपनी कैपिटल विजयंती और बनवासी में सेटअप की जो की आज कर्नाटक के कनाडा जिला में है जिन्होंने फोर्थ सेंचुरी में सदन कर्नाटक
में अपना किंगडम एस्टेब्लिश किया वेस्टर्न गैंगस भी बोला जाता है जो की फिफ्थ सेंचुरी के कलिंग के पूर्वी गंगा से अलग हैं अपने री के मोस्ट पार्ट में वेस्टर्न गैंगस पल्लवास के वृक्ष ही रहे और उन्होंने ब्राह्मण को ज्यादा प्रेफर किया बलवास ने मोस्टली ब्रह्मन्नास को ही लैंड ग्रांट्स दिए जो की टैक्स और स्टेट को दिए जान वाले फोर्सड लेबर से कंपलीटली फ्री थे आई अब जानते हैं पंड्यास के बड़े में पंड्यास दोस्तों सदन इंडिया जी थी डी कलस डी चेयर्स और डी पांडेयर्स ये तीनों डायनेस्टी संगम आगे यानी सिक्स्थ सेंचुरी ई से थर्ड सेंचुरी एड के शुरुआत
में डेवलप हुई पांडे ने अपनी रेन में प्रिडिकली कई उतार-चढ़ावफेस की थर्ड सेंचुरी एड में कल भारत रिवॉल्ट के चलते इनका डिक्लिन हुआ रिवॉल्ट के खत्म होने के बाद किंग कानून की लीडरशिप में सिक्स्थ सेंचुरी में फिर से इनकराइज हुआ इन्हीं को मेडिकल पंड्यास भी कहा जाता है की पांडे डायनेस्टी को एक वूमेन रूल किया यह पंड्यास के मेट्रोर कल इन्फ्लुएंस को दर्शाता है इंडियन पेनिनसुला के सदन मोस्ट और साउथ पूर्वी पोषण पर पांडे ने राज किया मदुरई में कंपिल हुए संगम लिए पांड्यस्क मेंशन देखने को मिलता है इस लिटरेचर की मैन तो स्टेट
बहुत ही वेल्डिंग और प्रॉस्परस था पांडे किंग का ट्रेड रोमन अंपायर से था और रोमन अंपायर अगस्त की कोर्ट में एंबेसेडर भी भेजें गए ब्राह्मण ने इनके रूल में कंसीडरेबल इन्फ्लुएंस इंजॉय किया और पांडे किंग भी वैदिक सैक्रिफाइस परफॉर्म करते थे तो दोस्तों यह तो बात हुई 300 से 700 एड यानी साउदर्न इंडिया के सेकंड हिस्टोरिकल फैज में रूल कर रहे तीन किंग्डम्स की जो थे चालू किया जो बदामी पल्लवास अफ़कांची और पांडे जब मदुरई आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन किंग्डम्स के बीच कनफ्लिक्ट के बड़े में कनफ्लिक्स बिटवीन थे थ्री किंग्डम्स
पीरियड में पेनिनसुला इंडिया की पॉलीटिकल हिस्ट्री का सबसे में इंटरेस्ट की लड़ाई जो की मदुरई और तिरुनेलवेली के रोलर थे ने यह लड़ाई जो हुआ था लेकिन दोनों के बीच ब्लेंडर प्रेस्टीज और टेरिटोरियल रिसोर्सेस के लिए कोरल होता ही राहत था कृष्णा और तुंगभद्र रिवर के बीच की लैंड में दोनों अपनी सुप्रीमेसी सेटअप करना चाहते थे इस लंबी कनफ्लिक्ट में सबसे पहले इंपॉर्टेंट इवेंट हुआ लोकेशन डी सेकंड 69 से 42 एड के आई होल इनस्क्रिप्शन में उनके कोर्ट कवि रवि कीर्ति द्वारा लिखी उनकी जूलॉजी के मध्य से उनके बड़े में जानकारी मिलती है इस
इनस्क्रिप्शन को संस्कृत के पोएटिक एक्सीलेंस का एक एग्जांपल कहा जा सकता है बनवासी में इस्टैबलिश्ड कदंब कैपिटल को उसने सबजूगेट किया और गैंगस ऑफ मैसूर को उसकी सुजरेंटी एक्सेप्ट करने पर मजबूर किया नर्मदा के पास हर्ष की आर्मी को डिफीट किया और डेक्कन की तरफ उसकी मार्च को रॉक के साथ कनफ्लिक्ट में पुल लोकेशन ऑलमोस्ट पल्लवर कैपिटल तक पहुंच ही चुका था लेकिन बलवास ने अपनी नॉर्दर्न प्रोविंस को सीट करके पीस मांगा 680 के आसपास कृष्णा और गोदावरी के बीच के एरिया को पुलकेशिन ने कंकर किया जो आगे चलकर व्यंग्य लेकिन पुलकेशिन का सेकंड
इन्वेस्टियन पल्लवन टेरिटरी का फूल हो गया कैपिटल वातापी को कैप्चर कर लिया 642 एड में भी कहा जाता है इसके बाद नरसिंह वर्मा ने वातापी गोंडा और वातापिका टाइटल असम किया है और ऐसा कहा जाता है की उसने चोल चिरस पंड्यास और कलभराज को भी डिफीट किया सेवंथ सेंचुरी के और में कनफ्लिक्ट में पोज आया जो 8थ सेंचुरी की शुरुआत में फिर से रिज्यूम हुआ चालू किया किंग विक्रमादित्य 733 से 7:45 18 में पल्लव कैपिटल कांची को तीन बार ओवर रन किया 748 में उसने बल्लेबाज को कंपलीटली डिस्ट्रॉय कर दिया इस विक्ट्री के बाद साउथ इंडिया में पल्लवास की सुप्रीमेसी
कंपलीटली डिस्ट्रॉय हो गई हालांकि इस विक्ट्री के बाद भी चालू किया इस लंबे समय तक रूल नहीं कर पे क्योंकि उनकी हिजामानी को राष्ट्रकूट ने 757 एड में खत्म कर दिया आगे बढ़ते हैं और देखते हैं इस पीरियड में क्या सोशल और कल्चरल चेंज सबसे पहले नजर डालते हैं रिलिजन और टेंपल कंस्ट्रक्शन पर रिलिजन और टेबल्स रिलिजन की बात करें सेवंथ सेंचुरी के बाद से भक्ति कल्ट ने साउथ इंडियन की रिलिजियस लाइफ को डोमिनेट करना चालू किया अल्बर्ट और 9apps ने इसके प्रोपेगेशन में एक बड़ा रोल प्ले किया पल्लव किंग ने सेवंथ और 8th सेंचुरी में
कई स्टोन टेंपल्स का कंस्ट्रक्शन किया इन सभी गॉड्स की हाउसिंग के लिए इनमें से सबसे फेमस है महाबलीपुरम के सेवन राधा टेंपल्स जो की चेन्नई से 65 कि की दूरी पर है इन टेंपल्स में महाभारत के इनसीडियस को डिपिक्ट किया गया है महाबलीपुरम एक पोर्ट सिटी थी जिसको नर्सिंगमा वर्मा ने सेवंथ सेंचुरी एड में फाउंड किया यहां का शो टेंपल भी बहुत फेमस है यह स्ट्रक्चरल टेंपल है जो शिवा और विष्णु को डेडीकेटेड आर्किटेक्चर का टेंपल है जिसकी शिवा है यहां पर दूसरी तरफ चालू किया उसने भी आई होल में कई टेंपल्स का कंस्ट्रक्शन किया बदामी
इनके टेंपल्स देखने को मिलते हैं टेंपल सबसे ज्यादा सेलिब्रेटेड हैं दोस्तों अब नजर डालते हैं उसे टाइम की इकोनामी पर इकोनामी इस पीरियड में एक तरह की टेंपल इकोनामी डेवलप हुई टेंपल्स को मेंटेन करने के लिए लैंड ग्रांट्स दिया जाना एक आम प्रैक्टिस थी इन ग्राम्स को टेंपल्स की वाल्स पर रिकॉर्ड किया जाता था मोस्ट टेंपल्स ब्राह्मण के द्वारा ही मैनेज किया जाते थे अर्ली मेडिकल टाइम्स तक इन टेंपल्स ने 35th ऑफ एयरबैग लैंड को ऑन कर रखा था यह टेंपल कास्ट बेस्ड आईडियोलॉजी के सेंटर्स बन चुके थे शुरुआती दूर में टेंपल्स को मेली
आम पीपल के द्वारा दिए गए टैक्सी से कंस्ट्रक्ट और मेंटेन किया जाता था कर्नाटक में चालू किया उसके अंदर कुछ टेंपल्स को जैन ट्रेडर्स ने इरेक्ट किया स्टेटस बढ़ाने और अपनी रिलिजियस क्रेविंग्स को सेटिस्फाई करने के लिए रिच ऑफिरिंग्स भी दिया करते थे रिलिजन को प्रमोट करने के लिए और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ को मेंटेन करने के लिए प्रोवाइड करती थी लैंड टैक्स के अलावा किंग सीरियस और गोल्ड की डोनेशन की डिमांड भी कर सकता था फ्लावर्स और मिल्क वुड और ग्रास की भी डिमांड की जाति थी और विलेजर्स को फ्री ऑफ चार्ज लोड स्केरी करने के लिए कंपेयर किया
जाता था इससे पता चला है की स्टेट प्रेजेंटरी से लेबर और प्रोड्यूस की हैवी डिमांड करता था इस पीरियड में साउथ इंडिया में तीन तरह के विलेजर्स देखने को मिलते हैं और सभा और नगर यूजुअल टाइप के विलेज थे जहां प्रेजेंट कास्ट रहती थी विलेज हैडमैन टैक्स कलेक्ट करता था और किंग को पे करता था ग्रुप होता था ना गम ऐसे विलेज थे जहां ट्रेडर्स और मरचेंट्स का सेटलमेंट और अफेयर्स को विलेज एल्डर मैनेज करते थे जिनको महाजन कहा जाता था दोस्तों अब बात करते हैं साेशैटल स्ट्रक्चर की सुसाइडल स्ट्रक्चर इस पीरियड की सोसाइटी मेली प्रिंस और प्रिंस से डोमिनेटेड थी
प्रिंस अपना स्टेटस या तो क्षत्रिय या ब्राह्मण एक रिस्पेक्टबल फैमिली ट्री इन्वेंट किया करते थे जिससे किंग को रिस्पेक्ट मिलती थी सोसाइटी में लैंड ग्रांट्स की मदद से प्रीस्ट इन्फ्लुएंस और अथॉरिटी जेन करते थे कई साउथ इंडियन रुलर्स खुद को ब्राह्मण की कैटिगरी में रखते थे जिसका मतलब है की साउथ इंडिया में क्षत्रिय ब्रह्मन्नास जितने इंपॉर्टेंट नहीं थे साउथ इंडिया में वर्ण सिस्टम थोड़ा अलग तरीके से ऑपरेट करता था कंक्लुजन है तो दोस्तों इस कहानी में हमने साउथ इंडिया की हिस्ट्री के सेकंड फैज यानी 300 से 758 की बात की इस पीरियड के और में
चालू केया नेपाल लवर्स और पंड्यास को डिफीट करके फाइनल पावर के रूप में उभर कर आए हमने देखा किस तरह से इस पीरियड में सोसाइटी का ब्रह्माइनाइजेशन हुआ और जाना की यहां का है राखी कल स्ट्रक्चर नॉर्थ इंडिया से किस प्रकार डिफरेंट रहा इस आगे में ही टेंपल कंस्ट्रक्शन के कुछ प्रोसेस स्टार्ट हुए जिनकी मदद से आगे चलकर ये रीजन आज लैंड ऑफ टेंपल्स बन पाया स्टडी इक इस अब तैयारी हुई अफॉर्डेबल